दुनिया से गिद्धों की संख्या लगातार खत्म हो रही है. इनकी कुछ प्रजातियां तो विलुप्त हो गईं, कुछ विलुप्त होने की कगार पर थीं. इससे पहले वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका निकाला जिससे इनकी आबादी बढ़ाई जा सकती है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने कैलिफोर्निया कंडर (California Condor) प्रजाति की दो वर्जिन मादा गिद्धों को खोजा जो बिना नर से संबंध बनाए जन्म दे रही हैं. अब बिना नर के साथ संभोग किए अगर कोई मादा पक्षी बच्चे पैदा करे तो ये हैरान करने वाली घटना है. (फोटोः गेटी)
अमेरिकी वैज्ञानिक दशकों से कैलिफोर्निया कंडर (California Condor) गिद्धों की प्रजाति को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. साल 1982 में इनकी आबादी सिर्फ 22 बची थी. फिर इनके संरक्षण को लेकर काम शुरु किया गया. 2019 में इनकी आबादी बढ़ाकर 500 से ज्यादा की गई. आबादी इसलिए बढ़ी क्योंकि इन्हें ऐसी जगह रखा गया था, जहां पर वैज्ञानिक इन्हें नियंत्रित कर सकें. (फोटोः गेटी)
वैज्ञानिकों ने पिछले 39 सालों में ऐसे कैलिफोर्निया कंडर (California Condor) गिद्धों की पहचान की जो जन्म देने लायक थे. जो स्वस्थ पीढ़ी को जन्म दे सकते थे. इनके जेनेटिक डेटा की स्टडी की गई. वैज्ञानिकों ने दो नर गिद्धों को खोजा जिनका नाम SB260 और SB517 था. जब आबादी के बाकी गिद्धों की जांच की गई तो पता चला कि इन नर गिद्धों का जीन्स किसी भी अन्य गिद्ध से नहीं मिलता. जबकि बाकी के गिद्ध उनके बाद पैदा हुए. यानी ये गिद्ध किसी भी नए गिद्ध के पिता नहीं थे. (फोटोः गेटी)
कैलिफोर्निया कंडर (California Condor) गिद्धों की जो आबादी बढ़ी है, उस वैज्ञानिक प्रक्रिया को फैक्लटेटिव पार्थोजेनेसिस (Facultativ Parthogenesis) कहते हैं. यानी वर्जिन बर्थ (Virgin Birth). सामान्य भाषा में कहें तो नर से संबंध बनाए बिना मादा गिद्ध ने बच्चों को जन्म दिया. यह हैरतअंगेज वैज्ञानिक स्टडी हाल ही में जर्नल ऑफ हेरेडिटी में प्रकाशित हुई है. (फोटोः गेटी)
बिना नर से संबंध बनाए अगर कोई मादा बच्चे पैदा करती है तो उसे एसेक्सुअल रिप्रोडक्शन (Asexual Reproduction) कहते हैं. ये प्रक्रिया उन्हीं जीवों में होती है, जिनमें मादा के शरीर में कुछ खास तरह की कोशिकाओं का जन्म होता है, जो मादा के अंडे के साथ मिलकर भ्रूण का निर्माण करते हैं. यानी ये कोशिकाएं नर स्पर्म की तरह काम करती हैं. आमतौर पर ऐसी घटनाएं शार्क, रे और छिपकलियों की कुछ प्रजातियों के साथ होती है. (फोटोः गेटी)
वैज्ञानिकों ने कुछ अन्य पक्षियों में भी खुद से मां बनने की क्षमता देखी है. ये है टर्की, मुर्गी और चाइनीज पेंटेड क्वेल. ये पक्षी में बिना नर के साथ संभोग किए मां बन सकते हैं. लेकिन गिद्धों के साथ ऐसा मामला पहली बार सामने आया है. इस स्टडी में शामिल वैज्ञानिक ओलिवर राइडर कहते हैं कि SB260 और SB517 की मां भी अलग थीं. इनकी मांओं ने नर गिद्धों के साथ संबंध बनाया था. लेकिन इनके बाद इनकी मांओं ने एक बार भी नर के साथ संबंध नहीं बनाया और बच्चे पैदा किए. (फोटोः गेटी)
मिसिसिपी स्टेट यूनिवर्सिटी की रिप्रोडक्टिव फिजियोलॉजिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट रेशमा रामचंद्रन ने बताया कि खतरे में पड़ी कैलिफोर्निया कंडर की आबादी अब 300 से ज्यादा बची है, ये कैलिफोर्निया, एरिजोना और उटाह में देखने को मिलते हैं. जब आबादी इतनी कम हो तब जानवर फैक्लटिव पार्थेनोजेनेसिस यानी वर्जिन बर्थ की प्रक्रिया को अपनाते हैं. यह प्रजाति को बचाने का एक तरीका है. यानी ये पक्षी सर्वाइव करना चाहते हैं. (फोटोः गेटी)
रेशमा ने बताया कि जिन जीवों की आबादी खतरे में आती है, वो अक्सर इस तरीके का उपयोग करते हैं. लेकिन ये क्षमता सभी जीवों में नहीं होती. उदाहरण के तौर पर गंभीर रूप से खतरे में मौजूद स्मॉलटूथ सॉफिश (Smalltooth Sawfish) अब पार्थेनोजेनेसिस की प्रक्रिया में लगी हुई है, ताकि अपनी प्रजाति को बचा सके. क्योंकि इनकी दुनिया में मादाओं को संबंध बनाने के लिए नर खोजना मुश्किल होता है. नर इसलिए भी नहीं मिलते क्योंकि संबंध बनाने की प्रक्रिया काफी ज्यादा सेलेक्शन वाली होती है. अगर नर सभी मानकों पर खरा नहीं उतरता तो उससे मादा संबंध नहीं बनाती. (फोटोः गेटी)
जहां तक बात रही कैलिफोर्निया कंडर (California Condor) की तो नियंत्रित इलाके में रह रही एक मादा गिद्ध ने पार्थेनोजेनेसिस से बच्चे पैदा किए. ये जीवित रहे और अभी स्वस्थ हैं. जबकि, नर के साथ संबंध बनाकर पैदा हुए SB260 और SB517 मारे गए. पहला वाला दो साल में मर गया. दूसरा वाला 8 साल में. जबकि कैलिफोर्निया कंडर अधिकतम 60 साल की उम्र तक जीवित रहते हैं. (फोटोः गेटी)
ओलिवर राइडर कहते हैं कि हो सकता है कि मादा कैलिफोर्निया कंडर में जेनेटिक म्यूटेशन हुआ हो. जिसकी वजह से कुछ गिद्ध सर्वाइव नहीं कर पा रहे हैं. यानी वो पैदा तो हुए लेकिन उनके जीन्स में कोई दिक्कत थी, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. साइंटिस्ट इन गिद्धों में जेनेटिक म्यूटेशन और बीमारियों का अध्ययन कर रहे हैं. (फोटोः गेटी)