क्या हो अगर समुद्र में तैरने वाली व्हेल किसी शहर के नदी में आ जाए. या आर्कटिक इलाके में रहने वाला वॉलरस आपके शहर के तट के पास आराम कर रहा हो. ब्रिटेन के तटों पर पिछले 18 सालों में ऐसी घटनाएं दस बार हुई हैं. यहां तक कि लंदन की थेम्स नदी में व्हेल मछली तक आ चुकी है. आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या ये जलवायु परिवर्तन का नतीजा है या समुद्री जीव नए घर या खाने की तलाश में ऐसा कर रहे हैं? (फोटो:गेटी)
साल 2021 में अब तक ऐसी तीन घटनाएं हो चुकी है. फ्रेडी नाम का सील हैमर्सस्मिथ इलाके में थेम्स नदी में तैरते हुए देखा गया था. यह स्कॉटलैंड की तरफ से इंग्लैंड के पूर्वी तट से होते हुए थेम्स नदीं में पहुंचा. उत्तरी अटलांटिक और प्रशांत महासागर में तैरने वाली मिन्क व्हेल रिचमंड इलाके में थेम्स नदी में देखी गई. इसके अलावा ग्रीनलैंड में पाई जाने वाला वॉली द वॉलरस टेन्बी इलाके में देखा गया. ये सारे जीव इंसानी इलाकों में आ रहे हैं, जो कि खतरनाक बात है. (फोटो:गेटी)
इससे पहले साल 2020 में उत्तरी अटलांटिक महासागर और ग्रीनलैंड में घूमने वाली बॉटलनोस व्हेल्स गेअर लोच, एरजिल और बूट इलाके में देखी गई. इसके अलावा अटलांटिक, बहामास और कैनरीज की तरफ दिखने वाली ट्रू बीक्ड व्हेल मछली सथर्स आइलैंड के तट के पास देखी गई. इसके अलावा कैलिफोर्निया की खाड़ी और आर्कटिक में तैरने वाली फिन व्हेल नारे प्वाइंट, द लिजार्ड और कॉर्नवेल में देखी गई. (फोटो:गेटी)
इससे पहले उत्तरी अटलांटिक और प्रशांत महासागर में तैरने वाली मिंक व्हेल 2003 में ट्रेंट नदी में देखी गई थी. फिर साल 2006 नॉर्दन अटलांटिक महासागर, बैरेंट्स सागर और ग्रीनलैंड में तैरने वाली बॉटलनोस व्हेल वेस्टमिंस्टर इलाके में थेम्स नदी में तैरती हुई देखी गई. 2014 में हवाई, मेक्सिको की खाड़ी और उत्तरी अटलांटिक महासागर में तैरने वाली ब्लेनविले बीक्ड व्हेल कॉर्नवॉल के प्रा सैंड्स के पास देखी गई. साल 2018 में अटलांटिक महासागर में गोता लगाने वाली बेनी द बेलुगा ग्रेव्ससेंड इलाके में थेम्स नदीं में देखी गई. (फोटो:गेटी)
अब समस्या ये है कि समुद्री जीवों के एक्सपर्ट ये नहीं पता कर पा रहे हैं कि आखिरकार ये विशालकाय जीव शहरी इलाकों के आसपास और नदियों में क्यों दिख रहे हैं. पिछले हफ्ते पेमब्रोकशायर के पास वॉली नाम के वॉलरस को देखा गया. यह अपने निवास स्थान यानी आर्कटिक सर्किल से करीब 1000 किलोमीटर दूर आ चुका था. सिर्फ इतना ही नहीं, सबसे बड़ी दिक्कत है कि ब्रिटेन के तटीय इलाकों के आसपास कई प्रजातियों की व्हेल्स देखी गई. कुछ तो मरी मिली. (फोटो:गेटी)
Whales in Thames and walrus in Wales…climate change is causing animals to stray https://t.co/Vew5M1s1cy
— The Sun (@TheSun) May 12, 2021
समुद्री जीवों के एक्सपर्ट्स को आशंका है कि जल्द ही हम अपने तटीय इलाकों के आसपास और नदियों में ग्रेट व्हाइट शार्क भी देख सकते हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसा क्लाइमेट चेंज की वजह से हो रहा है. आर्कटिक सर्किल में तापमान बढ़ रहा है. आइसबर्ग पिघल रहे हैं. ग्लेशियर टूट रहे हैं. ऐसे में समुद्री जीव अपने खाने, रहवास और सहवास के लिए नई जगह खोजते हैं. (फोटो:गेटी)
इस मामले को लेकर साइंटिस्ट्स की राय अलग अलग है. कुछ का मानना है कि ये जीव नेविगेशन में गड़बड़ी होने की वजह से दिशा भटक कर शहरों की तरफ आ जाते हैं. इसके अलावा समुद्र में इंसानों की गतिविधियों के बढ़ने की वजह से भी ये जीव समुद्र से शहरों और सागरों से नदियों की तरफ आ रहे हैं. कई बार ये नौसैनिक एक्सरसाइज और पनडुब्बियों से भी प्रभावित होते हैं. (फोटो:गेटी)
वाइल्डलाइफ चैरिटी व्हेल एंड डॉल्फिन कंजरवेशन के डैनी ग्रोव्स कहते हैं कि व्हेल मछलियां आवाजों की दुनिया में रहती हैं. वो इससे नेविगेट करती हैं. आपस में बात करती हैं. खाना खोजती हैं. इसके लिए इकोलोकेशन प्रोसेस का उपयोग करती हैं. अगर इसमें किसी भी तरह इंसानों द्वारा बाधा पैदा की जाती है तो इसके बुरे परिणाम देखने को मिलते हैं. व्हेल मछलियां या तो दिशा भटक कर तटों पर फंसकर मर जाती हैं. या फिर नदियों में आ रही हैं. (फोटो:गेटी)
पिछले हफ्ते ही कॉर्नवेल के तट के पास दो ओर्का व्हेल्स देखी गई थीं. इसके अलावा एक हफ्ते में 100 से ज्यादा बार ग्रेट व्हाइट शार्क तटों के नजदीक तैरते हुए दिखाई दी हैं. ब्रिटेन के समुद्री जीव एक्सपर्ट बेन फोगल ने बताया कि मैं हाल ही में ऐसे जीवों के शहरों की तरफ आने की प्रक्रिया की जांच करने के लिए थेम्स नदी के सागर में मिलने वाले इलाके में गोता लगाया. मैंने देखा वहां पर 200 ब्लू शार्क तैर रही थीं. यह एक खतरनाक इशारा है. (फोटो:गेटी)