जब भी कोई अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन की ओर जाता है तो उसपर धरती से एक आंख नजर रखती है. ज्यादातर एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन से इस आंख की फोटो लेते हैं. वीडियो बनाते हैं. क्योंकि ये आंख इतनी बड़ी है कि ये धरती करीब 450 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगा रहे स्पेस स्टेशन से भी दिख जाती है. ये आंख पूरी तरह से गोल है. इसका व्यास 50 किलोमीटर का है. इसलिए इसे अंतरिक्ष यात्री खुली आंखों से भी देख लेते हैं. (फोटोःनासा)
इस आंख के कई नाम हैं. इसे कहते हैं सहारा की आंख (Eye of Sahara). यानी सहारा रेगिस्तान की आंख. ये उत्तर-पश्चिम अफ्रीका के मॉरिटैनिया में स्थित है. इसलिए इसे मॉरिटैनिया की आंख (Eye of Mauritania) भी कहते हैं. ये अफ्रीका में है इसलिए इसे अफ्रीका की आंख (Eye of Africa) भी कहा जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये प्राकृतिक रूप से खत्म हुआ एक पठारी गुंबद था. जो लगातार कटाव की वजह से अब सिर्फ गोलाकर परत-दर-परत गड्ढा बचा है. (फोटोःनासा)
साइंटिस्ट सहारा की आंख (Eye of Sahara) को रिचट स्ट्रक्चर (Richat Structure) बुलाते हैं. इस ढांचे के चारों तरफ गोलाकार छल्ले बने हैं. हर छल्ले का बाहरी हिस्सा पथरीला और पठारी है, जबकि अंदर वाला हिस्सा गहरा और रेतीला है. सिर्फ वैज्ञानिक तौर पर ही यह जगह नहीं जानी जाती. यहां पर आचुलियन (Acheulean) पुरातात्विक कलाकृतियों का गढ़ भी कहा जाता है. आपको इसके चारों तरफ जो छल्ले दिखते हैं वो सिर्फ पथरीले नहीं हैं. भूरे रंग के पत्थर हैं. पीले और सफेद रंग की रेत है. हरे रंग के पौधे और कंटीले झाड़ हैं. नीले रंग में जो दिख रहा है वह नमक है. (फोटोःनासा)
आचुलियन (Acheulean) एक प्राचीन सभ्यता थी, जहां पर पत्थरों के यंत्र और औजार बनते थे. यहीं पर कुल्हाड़ी और हथौड़ी की इंसानों ने खोज की थी. यह सभ्यता उस समय पूरे अफ्रीका में फैली थी. इसके अलावा दक्षिण एशिया यानी पूरे भारत में, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन का दक्षिण पूर्वी हिस्सा, पूर्वी एशिया, मध्य-पूर्व एशिया और यूरोपीय देशों में भी इसका साम्राज्य था. माना जाता है कि पत्थरों से यंत्र और औजार बनाने की तकनीक यहां पर 10.76 करोड़ साल पहले खोजी गई थी. (फोटोःनासा)
सहारा रेगिस्तान की आंख यानी रिचट स्ट्रक्चर में कई तरह के पत्थरों का जमावड़ा है. यहां पर रियोलिटी पत्थर (Rhyolitic Rocks) भी हैं, जो किसी समय लावा के साथ बहकर आए होंगे. इसके अलावा गैब्रोस, कार्बनटाइटिस और किंबरलाइटिस भी मौजूद थे. गैब्रोस (Gabbros) ऐसे पत्थर हैं जो अंदर के दो छ्ल्ले बनाते हैं. सबसे अंतर का छल्ला भी ऐसा ही है. यह केंद्र से 3 किलोमीटर व्यास पर बना हुआ है. इस छ्ल्ले की चौड़ाई 20 मीटर है. (फोटोःनासा)
"A usual suspect in astronaut photos (I think we've all taken a pic of it at some point) is the Richat structure, or Eye of the Sahara. Easy to find because of its 50 km diameter, we can see it with the naked eye," says @Thom_astro. More #MissionAlpha pics https://t.co/m2Zkq2clnT pic.twitter.com/JjROYVYGQO
— ESA (@esa) May 23, 2021
वैज्ञानिकों ने जब यहां के कार्बनटाइटिस (Carbontitis) की उम्र पता की तो पता चला कि यह 9.4 करोड़ साल से लेकर 10.4 करोड़ साल पुराना है. वैज्ञानिकों को लगता है कि ये एक प्राचीन गुबंद था. इसे साइंटिस्ट रिचट मोलार्ड ने खोजा था. उसके बाद 1952 में वैज्ञानिक थियोडोर मोनोड ने स्टडी की. फिर इन पत्थरों की जानकारी जुटाई. (फोटोःनासा)
रिचट स्ट्रक्चर में आचुलियन सभ्यता के पुरातात्विक पथरीली कलाकृतियों का भी जमावड़ा है. अक्सर पुरातत्वविद यहां पर जाकर अध्ययन करते हैं. यहां पर नियोलिथिक जमाने के भाले और तीर भी मिले हैं. जो कि पत्थरों से बनाए गए थे. यहां पर काफी मात्रा में सेडीमेंट्स भी इकट्ठा हैं. ये रेतीला जमावाड़ा 9.8 फीट से लेकर 13.1 फीट की ऊंचाई तक जमा है. अरबी भाषा में इस जगह को काल्ब-ए-रिसत (Guelb-er-Richat) कहते हैं. (फोटोःनासा)