प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 11 अक्टूबर 2021 को भारतीय अंतरिक्ष संघ (Indian Space Association - ISpA) का उद्घाटन किया. उन्होंने इसके स्टेक होल्डर्स से बात की. सुझाव मांगे. सवालों के जवाब दिए. आखिरकार भारत सरकार ने इसरो के रहते हुए दो-तीन नई संस्थाएं क्यों बनाईं. जैसे- न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), InSpace और अब Indian Space Assocition (ISpA). असल में ISRO को सुविधाएं और स्पेस इंडस्ट्री में आने वाले नए भागीदारों को मौका देने के लिए इन संस्थाओं के स्थापित किया गया है. आइए जानते हैं ISpA का क्या है, इसका क्या काम होगा और ये किसके साथ मिलकर काम करेगा? (फोटोःISpA)
भारतीय अंतरिक्ष संघ (Indian Space Association - ISpA) स्पेस संबंधी नीतियों के निर्धारण में मदद करेगा. स्पेस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को एकसाथ लाकर सरकार के साथ डील कराएगा. नई टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी साझा करेगा. ताकि नए स्पेस स्टार्टअप्स को मौका मिल सके. भारत को अंतरिक्ष उद्योग की दुनिया में ऊंचे मुकाम पर पहुंचाया जा सके. इस संघ में सरकारी, गैर-सरकारी, रक्षा, संचार, स्टार्टअप समेत कई उद्योग के लोगों शामिल हैं, जो किसी भी प्रकार से अंतरिक्ष संबंधी सेवाएं लेते हैं. (फोटोःISpA)
भारतीय अंतरिक्ष संघ (Indian Space Association - ISpA) का मकसद आत्मनिर्भर भारत के तहत सभी भागीदारों को साथ लेकर इंडियन स्पेस इंडस्ट्री को वैश्विक स्तर पर सर्वोच्च स्तर पर ले जाना है. इंडियन स्पेस सेक्टर के लिए निजी कंपनियों के लिए उपयुक्त माहौल बनाना, उन्हें हर तरह की सुविधाएं और मौके प्रदान करना ताकि वो देशहित में कार्य कर सकें. (फोटोःगेटी)
ISpA देश में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के लिए काम करेगा. ताकि लोगों को देश के चप्पे-चप्पे पर तेज गति वाला इंटरनेट मिल सके. मोबाइल कम्यूनिकेशन के लिए काम करेगा, ताकि 5जी और उसके बाद की नई तकनीकों के प्रचार-प्रसार हो सके. इसके लिए वह मोबाइन नेवटर्क ऑपरेटर्स के साथ मिलकर काम करेगा. साथ ही एप्लीकेशन बनाने वाले नए स्टार्टअप्स और पुरानी कंपनियों को एकसाथ लेकर आएगा. (फोटोःगेटी)
इसके अलावा ब्रॉडकास्टिंग कम्यूनिकेशन सैटेलाइट्स, ग्लोबल वीडियो चैनल्स, डीटीएच, डायरेक्ट ब्रॉडकास्ट सैटेलाइट्स, पोजिशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग सिस्टम के लिए काम करेगा. इससे संबंधित उद्योगों और स्टार्टअप्स के आइडिया और प्रोडक्ट्स को सरकार के पास तक पहुंचाएगी. फिर उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें इसरो की मदद से अंतरिक्ष में लॉन्च कराया जाएगा. ताकि इसका उपयोग नागरिक उड्डयन और कॉमर्शियल सेक्टर में लाया जा सके. (फोटोःगेटी)
A landmark for India's Space Industry & proud moment for every Indian! As envisioned by the Hon'ble Prime Minister Shri Narendra Modi @narendramodi, the mission of Indian Space Association (ISpA) is to make India Aatmanirbhar & a leader in Global Space Arena. #PMlaunchesISpA pic.twitter.com/To0iQLcw8c
— ISpA - Indian Space Association (@ISpA_India) October 11, 2021
भारतीय अंतरिक्ष संघ (Indian Space Association - ISpA) अर्थ ऑब्जरवेशन यानी धरती पर निगरानी वाले रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स की नई टेक्नोलॉजी विकसित करने, लॉन्च करने, निजी और सरकार संस्थाओं को जोड़ने का काम भी करेगा. इन सैटेलाइट्स के जरिए आपदा प्रबंधन, कृषि, जंगल, मछली उत्पादन और रक्षा क्षेत्र के लिए काफी मदद मिलती है. (फोटोःगेटी)
भारतीय अंतरिक्ष संघ (Indian Space Association - ISpA) इन सैटेलाइट्स के जरिए एप्लीकेशन सर्विसेज का भारी मात्रा में उपयोग कराने के लिए प्लेटफॉर्म मुहैया कराएगा. जैसे- टेली-एजुकेशन, टेली-मेडिसिन, विलेज रिसोर्स सेंटर और डिजास्टर मैनेजमेंट सिस्टम प्रोग्राम. असल में ISpA बी2बी, बी2सी, बी2जी सेवाएं प्रदान करेगा. यह एडवांस सैटेलाइट सॉल्यूशन देगा, जैसे- IoT, M2M आदि. इसके अलावा अंतरिक्ष उद्योग से जुड़े ढांचागत विकास को भी बढ़ावा देगा. ताकि अंतरिक्षीय सुविधाओं और तकनीकों को नियंत्रित किया जा सके. (फोटोःगेटी)
ISpA ऐसी संस्थाओं को एकसाथ लेकर चलेगा जो अंतरिक्ष की दुनिया से संबंधित तकनीकों को बनाते हैं. अगर एक भी तकनीक बीच से हट जाए तो यह प्रोग्राम फेल हो सकता है. इस लिए इसमें हर तकनीक से जुड़े लोगों को शामिल करके चलने की मुहिम चलाई जाएगी. जैसे- अभी तक इसरो खुद रॉकेट बनाता था. या एक-दो निजी संस्थाएं. लेकिन अब भारत में भी रीयूजेबल रॉकेट बनेंगे. जैसे एलन मस्क बनाते हैं. इसके लिए कई स्टार्ट अप कंपनियां काम कर रही हैं. (फोटोःगेटी)
ISpA में फिलहाल लार्सन एंड टुब्रो, नेल्को (Tata Group), वनवेब, भारती एयरटेल, मैपमाईइंडिया, वॉलचंदनगर इंडस्ट्रीज, अनंथ टेक्नोलॉजी, गोदरेज, ह्यूग इंडिया, एजिस्टा-बीएसटी एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, बीईएल, सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स, मैक्सार इंडिया समेत कई देसी स्टार्टअप्स भी शामिल हैं. ये सभी अलग-अलग तरह के स्पेस प्रोडक्ट बनाते हैं. जिन्हें इसरो के जांच और अनुमति के बाद लॉन्च किया जाता है या भविष्य में किया जाएगा. (फोटोःगेटी)