गहरी, अंधेरी और रहस्यमयी...ये पहचान है दुनिया के सबसे बड़े सब-ग्लेशियल झील लेक वोस्तोक (Lake Vostok) की. सब-ग्लेशियल झील यानी बर्फ की मोटी परत यानी ग्लेशियर के नीचे बनी हुई झील. किसी जमाने में यह झील जमीन की सतह पर मौजूद थी लेकिन अब यह बर्फ की 4 किलोमीटर मोटी परत के नीचे दबी हुई है. आइए जानते हैं कि लेक वोस्तोक है क्या चीज? इसके पीछे का रहस्य क्या है? (फोटोः गेटी)
वैज्ञानिकों का मानना है कि लेक वोस्तोक (Lake Vostok) सदियों से बर्फ के नीचे दबी हुई है. इसका रोशनी और वायुमंडल से सीधा संपर्क टूट गया है. यह धरती के सबसे भयावह स्थानों में से एक है. लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के बायोलॉजिस्ट ब्रेंट क्रिस्नर ने कहा कि यह झील करीब 1.50 करोड़ सालों से बर्फ के नीचे दबी है. हमने इस झील के ऊपर मौजूद बर्फ की अलग-अलग स्थितियों में जांच की है. वहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के मुताबिक 2.50 करोड़ साल पहले से बर्फ के नीचे दबी है. (फोटोः US Antarctic Programme)
लेक वोस्तोक (Lake Vostok) धरती पर मौजूद साफ पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है. इसके टक्कर में उत्तरी अमेरिका में मौजूद लेक ओंटारियो ही है. लेक वोस्तोक 240 किलोमीटर लंबी, 50 किलोमीटर चौड़ी और सैकड़ों मीटर गहरी है. इस झील का दक्षिणी किनारा 1 किलोमीटर गहरा है. लेकिन उत्तरी और दक्षिण-पश्चिमी किनारे तुलनात्मक रूप से कम गहरे हैं. (फोटोः गेटी)
लेक वोस्तोक (Lake Vostok) के बारे में सबसे पहले रूसी जियोग्राफर और पायलट ने 1960 में बताया था. क्योंकि उन्होंने अंटार्कटिका के ऊपर उड़ान भरते समय उन्होंने एक बड़ा, चिकना और मैदानी बर्फ की परत देखी थी. लेकिन साल 1993 तक इसके बारे में किसी को जानकारी इसलिए नहीं मिल पाई क्योंकि इस इलाके में कोई गया नहीं था. बाद में सैटेलाइट्स से जांच से पता चला कि यहां पर एक सब-ग्लेशियल झील है. (फोटोः विकिमीडिया)
ब्रेंट क्रिस्नर ने कहा कि लेक वोस्तोक (Lake Vostok) बेहद आसानी से पहचान में आती है, क्योंकि इसका आकार ही इतना बड़ा है. लेकिन इसके अंदर कई रहस्य भी छिपे हैं. इस झील के अंदर से न तो साफ पानी बाहर आता है, न ही अंदर कहीं से पानी जाता है. यहां जमी बर्फ के पिघलने से झील का आकार घटता-बढ़ता है. झील और उसके पानी की उम्र का सही अंदाजा अभी तक नहीं लगा है. (फोटोः निकोल रेजर फुलर/NSF)
वैज्ञानिकों ने लेक वोस्तोक (Lake Vostok) की तस्वीरें और नक्शे रिमोट-सेंसिंग तकनीक से बनाई है. जैसे- सीसमिक साउंडिंग्स और आइस-पेनीट्रेटिंग राडार. इसके गहरे और छिछले इलाके एक रिज (Ridge) के जरिए विभाजित हैं. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये रिज एक हाइड्रोथर्मल वेंट (Hydrothermal Vent) है. यह झील एक घाटी के सबसे निचले हिस्से में बनी है, जैसे कि रूस की लेक बैकल (Lake Baikal). (फोटोः NASA)
Nature जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हाइड्रोथर्मल वेंट की वजह से जमीन के अंदर से निकलने वाली गर्मी लेक वोस्तोक (Lake Vostok) का तापमान माइनस तीन डिग्री सेल्सियस पर टिका कर रखती है. इसी वजह से बर्फ की इतनी मोटी परत के नीचे भी पानी का बहाव बना रहता है. इसी गर्मी की वजह से झील के पानी में माइक्रोब्स (Microbes) भी मिले हैं. यानी इस झील के अंदर जीवन मौजूद है. बर्फ की मोटी परत की वजह से झील की ऊपरी सतह का 1 सेंटीमीटर हिस्सा जमता है लेकिन नीचे पानी बहता रहता है.
लेक वोस्तोक (Lake Vostok) के अंदर विभिन्न प्रकार के जीवों के होने की उम्मीद है. क्योंकि इसके अंदर तक सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती, इसलिए यहां मौजूद पत्थरों पर ऐसे सूक्ष्मजीव जमे हुए हैं, जो सदियों से इस झील के अंदर ही अपना जीवन जी रहे हैं. ये जीव खनिजों से अपने लिए ऊर्जा हासिल करते हैं. हाल ही में हुई एक डीएनए स्टडी में पता चला है कि इस झील के अंदर कई प्रकार के सिंगल-सेल जीव मौजूद हैं. (फोटोः गेटी)
दो साल के गहन अध्ययन के बाद पता चला कि लेक वोस्तोक (Lake Vostok) के अंदर विभिन्न प्रकार के माइक्रोब्स मौजूद हैं. कुछ तो सिंगल सेल और कुछ बहुकोशिकीय जीव हैं. इन जीवों के बारे में जानकारी जमा करने के लिए वैज्ञानिक झील के ऊपर जमी बर्फ की परत में छेद करके नीचे से पानी, पत्थर और जीवों का सैंपल लेते रहते हैं. (फोटोः गेटी)