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साइंस न्यूज़

Temperature on Mars: मंगल ग्रह पर तापमान कितना रहता है... क्या वहां मौसम बदलते हैं?

temperature on mars
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मंगल ग्रह (Mars) धरती की तुलना में ठंडा है. आमतौर पर वहां का तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस रहता है. यह तापमान धरती के उत्तरी गोलार्ध में रूस के पास आर्कटिक इलाकों में ही देखने को मिलता है, वह भी सर्दियों में. सवाल ये उठता है कि क्या मंगल ग्रह पर हमेशा इतना ही तापमान रहता है. असल में मंगल ग्रह अपने तारे यानी सूरज से धरती की तुलना में दूर है. जाहिर सी बात है...सूरज की गर्मी कम पहुंचती है. मंगल ग्रह पर एक पतला वायुमंडल है, जिसमें 95 फीसदी कार्बन डॉईऑक्साइड है. (फोटोः गेटी)

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कई वजहों से मंगल ग्रह का तापमान बहुत कम रहता है. कई बार तो यह तापमान माइनस 128 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के अनुसार धरती पर अंटार्कटिका में सबसे कम तापमान माइनस 88 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा चुका है. धरती पर इससे ज्यादा नीचे पारा नहीं गया है. सिर्फ इतना ही नहीं मंगल ग्रह पर गर्मियां भी धरती की सर्दी की शुरुआत की तरह होती हैं. (फोटोः गेटी)

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मंगल ग्रह पर अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है. जबकि धरती का अधिकतम तापमान 56 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा चुका है. यह तापमान पिछली साल ही अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित इनियो काउंटी में रिकॉर्ड किया गया था. अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार मंगल ग्रह इतना ठंडा क्यों है? मंगल ग्रह का वायुमंडल धरती के वायुमंडल से 100 गुना पतला है. बिनी किसी गर्म करने वाले कंबल के मंगल ग्रह हीट एनर्जी को बचा नहीं पाता. इसलिए वहां का औसत तापमान माइनस 60 डिग्री रहता है. (फोटोः गेटी)

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सर्दियों में ध्रुवों के पास तापमान माइनस 125 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. गर्मियों में औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहता है, लेकिन रात में यह गिरकर माइनस 73 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. NASA के मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह के तापमान को लेकर कई जरूरी डेटा भेजे हैं. उसने बताया कि दोपहर में आमतौर पर तापमान 6 डिग्री सेल्सियस रहता है. लेकिन ये डेटा किसी खास दिन का ही है. औसत नहीं. वहीं, पर्सिवरेंस रोवर ने इससे अलग डेटा दर्ज किया है. (फोटोः गेटी)

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मैड्रिड स्थित सेंटर ऑफ एस्ट्रोबायोलॉजी के साइंटिस्ट फेलिप गोमेज ने बताया कि मंगल ग्रह के तापमान को समझना एक बेहद हैरतअंगेज अनुभव है. तापमान में इतना ज्यादा बदलाव और अंतर होना किसी को भी हैरान कर सकता है. यहां पर आद्रता यानी ह्यूमिडिटी (Humidity) तापमान के साथ कम ज्यादा होता रहता है. क्योंकि यहां पर जो भाप मौजूद है, वह 100 प्रेसिपिटेबल माइक्रोन होती है. यानी रिलेटिव ह्यूमिडिटी का स्तर 80 से 100 फीसदी तक जा सकता है. (फोटोः गेटी)

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क्या ऐसे मौसम में मंगल पर जीवन संभव है? (Life on Mars)

मंगल ग्रह पर रात में पत्थरों पर फ्रॉस्ट (ओस से बने बर्फ की पतली परत) बन जाता है. सुबह होते ही हवा गर्म होने लगती है. फ्रॉस्ट भाप बनकर उड़ने लगता है. जब तक यह भाप पूरी तरह से गायब नहीं हो जाता, तब वहां पर 100 फीसदी आद्रता यानी ह्यूमिडिटी (Humidity) होती है. अगर ऐसी ही आद्रता बनी रही तो मंगल ग्रह पर जीवन संभव है. अगर पानी जमा हो तो जीवन पैदा होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. साथ ही ऐसी आद्रता जीवन को उत्पन्न करने में मदद करती है. (फोटोः गेटी)

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क्या मंगल पर मौसम है? (Seasons on Mars)

धरती की तरह मंगल ग्रह पर भी मौसम है. क्योंकि यह लाल ग्रह भी अपनी धुरी पर थोड़ा झुका हुआ है. यहां पर चार मौसम हैं. नासा साइंटिस्ट विलियम शीहान और जिम बेल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मंगल ग्रह पर चार मौसम है, जो समय-समय पर बदलता रहता है. यहां पर चारों सीजन की समय सीमा निश्चित है. मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में वसंत (Spring) का मौसम सात महीने का होता है. पतझड़ और गर्मियां छह महीने की. सर्दियां सिर्फ चार महीने ही रहती हैं. मंगल ग्रह पर गर्मियों के मौसम में ध्रुवों पर जमा कार्बन डाईऑक्साइड की बर्फ पिघल कर गायब हो जाती है. सर्दियों ने वापस पैदा हो जाती है. वैज्ञानिकों को लगता है कि इन बर्फ की चादरों के नीचे पीने लायक पानी के मिलने की उम्मीद है. (फोटोः गेटी)

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क्या मंगल ग्रह पर जलवायु परिवर्तन हो रहा है? (Climate Change on Mars)

करोड़ों साल पहले हो सकता है कि मंगल ग्रह गर्म और गीला रहा हो. जिसका औसत तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहा होगा. नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के लीड साइंटिस्ट माइकल मेयर ने बताया कि मंगल ग्रह एक डायनेमिक प्लैनेट है. उसका इतिहास गर्म था. उसी समय वह गीला भी था. यह वही समय था, जब धरती पर जीवन की शुरुआत हो रही थी. वहीं दूसरे रिसर्च यह कहते हैं कि लाल ग्रह एक समय में सफेद, बर्फ से घिरा ग्रह था. जिसका औसत तापमान माइनस 48 डिग्री सेल्सियस था. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर रॉबिन वर्ड्सवर्थ कहते हैं कि ठंडे ग्रह की थ्योरी ज्यादा सही लगती है. क्योंकि मंगल ग्रह को धरती को सूरज से मिलने वाली ऊर्जा का सिर्फ 43 फीसदी हिस्सा ही मिलता है. यानी मंगल ग्रह पहले बर्फीला और ठंडा था. लेकिन अब धीरे-धीरे वहां पर क्लाइमेट चेंज का असर दिख रहा है. लेकिन यह प्राकृतिक है. (फोटोः गेटी)

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