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साइंस न्यूज़

Chandrayaan-3 Difficulties: रास्ते में किस तरह की समस्याएं आएंगी उसे चंद्रमा की सतह तक पहुंचने में

Chandrayaan-3 Difficulties
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Chandrayaan-3 की तीसरी ऑर्बिट मैन्यूवरिंग 18 जुलाई 2023 की दोपहर में की सफलतापूर्वक की गई. पहले चंद्रयान 222 x 41604 किलोमीटर की अंडाकार ऑर्बिट में था. अब 228 X 51400 KM की ऑर्बिट में घूम रहा है. ये जितना आसान लगता है, उतना है नहीं. चंद्रयान-3 को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा होगा. (सभी फोटोः ISRO/Getty)

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आइए जानते हैं कि ऐसी कौन सी समस्याएं हैं, जो चंद्रयान-3 इस समय जूझ रहा होगा? या फिर आगे जूझेगा. पहली दिक्कत... कोई भी सैटेलाइट या स्पेसक्राफ्ट तेजी  ग्रैविटी के खिलाफ जाना चाहता है. ग्रैविटी उसे रोकती है. सैटेलाइट को धरती की ग्रैविटी से बचने के लिए कम से कम 40,233 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति बनानी पड़ती है. 

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दूसरी दिक्कत... धरती के वायुमंडल और मैग्नेटिक फील्ड वाले सुरक्षा कवच से बाहर अंतरिक्ष में प्रकाश की गति से चलते हैं सबएटॉमिक कण. जिसे रेडिएशन कहते हैं. एक कण जब सैटेलाइट से टकराता है, तब वह टूटता है. इससे निकलने वाले कण सेकेंडरी रेडिएशन पैदा करते हैं. इससे सैटेलाइट या स्पेसक्राफ्ट के शरीर पर असर पड़ता है. 

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तीसरी समस्या... हमारा तारा यानी सूरज कभी शांत नहीं रहता. इस समय तो ज्यादा ही आग उगल रहा है. इससे निकलने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स सैटेलाइट या स्पेसक्राफ्ट को खत्म कर सकते हैं. तेज जियोमैग्नेटिक तूफान से यानी सौर-तूफान से सैटेलाइट के यंत्र खराब हो सकते हैं. या वो फट सकते हैं. सैटेलाइट्स पर सुरक्षा के लिए कवर लगा रहता है, लेकिन सूरज से निकलने वाले तीव्र चार्ज्ड पार्टिकल्स कवच को खराब कर सकते हैं. 

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चौथी बाधा... अंतरिक्ष की धूल. यानी स्पेस डर्स्ट. इन्हें कॉस्मिक डस्ट भी बुलाते हैं. ये स्पेसक्राफ्ट से टकराने के बाद प्लाज्मा में बदल जाते हैं. ऐसा तेज गति और टक्कर की वजह से होता है. इनकी वजह से अंतरिक्षयान खराब भी हो सकता है. या फिर आंशिक रूप से काम करना बंद कर सकता है. 

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पांचवीं प्रॉब्लम... टक्कर... किसी भी इंसानी सैटेलाइट्स या फिर उल्कापिंड या अंतरिक्ष के पत्थरों से टक्कर. पिछले कुछ सालों में धरती के चारों तरफ सैटेलाइट्स की संख्या बढ़ गई है. खास तौर से वो सैटेलाइट्स जो अब निष्क्रिय हैं, लेकिन अंतरिक्ष में पृथ्वी के चारों तरफ तेज गति से चक्कर लगा रही हैं. इससे चंद्रयान-3 को खतरा है. साल 2009 में इरिडियम सैटेलाइट को ऐसे ही एक अंतरिक्ष के कचरे से हुई टक्कर ने बर्बाद कर दिया था. 

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छठी दिक्कत है गलत ऑर्बिट में जाना... अगर सैटेलाइट या स्पेसक्राफ्ट या अपना चंद्रयान-3 किसी भी तरह से गलत ऑर्बिट में चला जाए तो उसे सही करने में काफी समय, क्षमता और ताकत लगती है. ऐसा करते समय मिशन के पूरे टाइम टेबल और लागत पर असर पड़ता है. ईंधन कम हो जाता है. ऐसे में मिशन जल्दी खत्म होता है. अगर पकड़ में नहीं आया तो अंतरिक्ष में लापता हो जाता है. 

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सातवीं समस्या ... चंद्रयान-3 इतनी लंबी यात्रा के दौरान तेज गति, घटता-बढ़ता तापमान, रेडिएशन ये सब यान के अंदरूनी हिस्सों पर असर डाल सकता है. पेलोड्स या यंत्र खराब हो सकते हैं. जिससे उनका धरती से संपर्क टूट सकता है. कोई एक या कई हिस्से काम करना बंद कर सकते हैं. 

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आठवीं बाधा... धरती के वायुमंडल के ऊपर जाते ही तापमान मुंह के बदल गिरता है. दिन में तापमान 100 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जा सकता है. वहीं, रात में पारा माइनस 100 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है. अगर चंद्रयान-3 या अन्य सैटेलाइट का शरीर इतने वैरिएशन वाले तापमान को बर्दाश्त नहीं कर पाता है, तो खराब हो सकता है.  

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