कभी सोचा है कि अगर आईने (Mirrors) न होते तो क्या होता? आईना कहें या दर्पण, लेकिन आम बोलचाल में इसे शीशा कहा जाता है और हम सभी मानते हैं कि शीशा हमारे जीवन में बहुत अहम है. हम कैसे दिख रहे हैं, कैसा दिखना चाहिए, खुद को पैंपर करना, खुद का ख्याल रखना हमें इस शीशे ने ही तो सिखाया है. बहरहाल, आज बात करते हैं इसके आविष्कार की. (Photo- Unsplash)
अभी तक हम जानते थे कि शीशे का आविष्कार 1835 में हुआ था. जर्मन रसायन विज्ञानी जस्टस वॉन लिबिग (Justus von Liebig) ने कांच के एक फलक (pane of glass) की सतह पर मैटलिक सिल्वर (Metallic Silver) की पतली परत लगाने का तरीका इजाद किया था. इससे पहले, शीशा प्रचलन में नहीं था. खासकर गरीब तबके के लोगों के पास शीशे नहीं होते थे. लोग पानी में ही अपना अक्स देखा करते थे. तब घर में शीशे का होना भी उस दौर की लग्ज़री होता था. (Photo: Unsplash )
शुरुआती आईने जो बहुत दुर्लभ थे, पॉलिश किए गए ओब्सीडियन (Obsidian) से बने होते थे. जानकारी के मुताबिक, इस तरह के शीशों का इस्तेमाल 8,000 साल पहले एनाटोलिया (Anatolia) में किया जाता था, जिसे अब तुर्की कहा जाता है. प्राचीन मेक्सिको के लोग भी इसी तरीके का इस्तेमाल किया करते थे. हालांकि, उस दौर में आईनों को जादुई उपकरणों के रूप में देखा जाता था, जिसके ज़रिए देवताओं और उनके पूर्वजों की दुनिया को देखा जा सकता था. (Photo: Unsplash)
The obsidian mirror can be considered the most important in the cult of the deity Tezcatlipoca, whose name translates from Nahuatl as "smoking mirror". The MNCN preserves one of the sixteen pre-Columbian obsidian mirrors that are kept in different museums in Europe and America. pic.twitter.com/fTwENbBrFU
— MNCN Colecciones (@MNCN_Col) September 1, 2020
तांबे को पॉलिश करके बनाए गए शीशे मेसोपोटामिया (अब इराक) के अलावा मिस्र में 4000 से 3000 ईसा पूर्व के आसपास बनाए गए थे. इसके करीब 1,000 साल बाद, दक्षिण अमेरिका में पॉलिश किए गए पत्थर से शीशे बनाए गए थे. पहली शताब्दी ईस्वी में, रोमन लेखक प्लिनी द एल्डर (Pliny the Elder) ने कांच के आईनों का ज़िक्र किया था. हालांकि, उनमें आजकल के शीशों की तरह दर्पणों के प्रतिबिब नहीं दिखता था. तस्वीरें साफ नहीं दिखती थीं और वे बहुत छोटे भी होते थे. (Photo: Pixabay)
अपना साफ चेहरा देखने के लिए लोगों को 1835 तक का इंतजार करना पड़ा था, हालांकि वे इससे भी खुश नहीं थे. 1935 में, पापुआ न्यू गिनी की खओज यात्रा करने वाले जैक हाइड्स (Jack Hides) अपने साथ एक दर्पण ले गए थे. ये उन वस्तुओं में से एक था जिसका व्यापार करने की योजना उन्होंने बनाई थी. (Photo: Pexels)
आईने को देखने वाले पहले व्यक्ति का नाम है- तेबिली (Tebele). उसने आईने को बड़े मोह से देखा. फिर उसके कबीले के सरदार- पुया (Puya) ने इसे खुद देखना चाहा. आईने में खुद को देखकर वो चौंककर उछल पड़ा. उसने तेबिली को आईना पकड़ने का कहा और अलग-अलग एंगल से, पास और दूर से अपना प्रतिबिंब देखा. (Photo: Unsplash)
इसके बाद उसने कहा कि यह चीज़ मनुष्यों के लिए बहुत खतरनाक है. उसने तेबिली से इस आईने को वापस करने के लिए कह दिया, जिसे जैक हाइड्स ने अपना अपमान समझा. पुया का मानना था कि आईना कोई जादूई चीज़ है, जो उनके पूर्वज लाए थे. जबकि जैक हाइड्स का मानना था कि पुया एक जादूगर था जो अपनी शक्तियों के साथ कबीले के बाकी सदस्यों को कंट्रोल कर रहा था. (Photo: Unsplash)
Mirrors Were Invented Surprisingly Latehttps://t.co/gizabuaVCX pic.twitter.com/SGegx9vHvb
— IFLScience (@IFLScience) April 27, 2022