दुनियाभर में मशहूर तरबूज ऐसा फल है जिसका उपयोग गर्मी से राहत देने के लिए किया जाता है. इसकी मिठास और ताजगी आपको अलग ही दुनिया में पहुंचा देती है. लेकिन हमेशा खूबसूरत दिखने वाला तरबूज मीठा और ताजा नहीं होता. तो फिर अच्छा वाला तरबूज कहां से आता है. तरबूज सबसे पहले कहां पैदा हुआ. भारत में, या अरब में...अमेरिका या रूस में...कहीं ऐसा न हो चीन दावा कर दे. आइए जानते हैं कि तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई है. (फोटोःगेटी)
प्यास बुझाने वाला यह फल प्राचीन मेसोपोटामिया (Mesopotamia) की उपजाऊ जमीन से निकला है. जिसे आज इराक कहते हैं. यह एक घरेलू फसल हुआ करती थी. म्यूनिख में स्थित लुडविग मैक्समिलियन यूनिवर्सिटी की बॉटैनिस्ट यानी वनस्पति विज्ञानी सुजन रेनर और उनकी टीम ने घरेलू तरबूजों की जेनेटिक सिक्वेसिंग की. इन्होंने जिस प्रजाति के तरबूज की सिक्वेंसिंग की उसे सिट्रुलस लैनेटस (Citrullus Lanatus) कहते हैं. इसके अलावा छह अन्य जंगली प्रजाति के तरबूज भी मिलते हैं. (फोटोःगेटी)
सुजन रेनर ने बताया कि घरेलू तरबूजों का संबंध सूडान के जंगली तरबूजों से ज्यादा है. क्योंकि इनका जीनोम बहुत हद तक मिलता है. सूडान के तरबूजों का मध्यभाग लाल नहीं, सफेद होता है. वो ज्यादा मीठे नहीं होते. उनका उपयोग आमतौर पर जानवरों के चारे के लिए किया जाता है. प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक सूडान का तरबूज इराक के तरबूज का पूर्वज रहा होगा. (फोटोःगेटी)
ऐसा लगता है कि प्राचीन किसानों ने जंगली तरबूज का मीठा वैरिएंट उगाया होगा. जो धीरे-धीरे पीढ़ी-दर-पीढ़ी और मीठा होता चला गया. लेकिन जहां तक तरबूज के अंदरूनी लाल रंग की बात है तो इसे लेकर सुजन रेनर की टीम को कोई आइडिया नहीं है कि ये कैसे आया. केमिकल कंपोजिशन निकालना आसान है, लेकिन तरबूज में यह कंपोजिनशन आया कहां से यह पता नहीं चल पाया है. (फोटोःगेटी)
सुजन रेनर कहती हैं कि इसकी वजह भौगोलिक परिस्थितियां भी हो सकती हैं. क्योंकि हमें ये पता है कि मिस्र के राजा तूतनखामून को 3300 साल पहले तरबूज के बीजों के साथ दफनाया गया था. लेकिन यह घरेलू तरबूज के रंग और मिठास का कोई पुख्ता सबूत नहीं है. क्योंकि हो सकता है कि उस समय जंगली तरबूजों के ये बीज लोग नाश्ते के तौर पर खाते रहे हों. इन्हें पकाकर, फ्राई करके या सुखा कर. (फोटोःगेटी)
Where did watermelons come from? https://t.co/9KuMpot517
— Live Science (@LiveScience) July 5, 2021
फिर एक दिन अचानक सुजन को मिस्र की एक प्राचीन गुंबद पर बनी पेंटिंग दिखाई दी. जो करीब 4300 साल पुरानी है. इसमें एक तरबूज बना था. सुजन ने बताया कि इस पेंटिंग को 1912 में ही खोज लिया गया था, लेकिन किसी ने तरबूज खोजने की कोशिश नहीं की. इस तस्वीर में यह दिखाया गया है कि अन्य फलों के साथ तरबूज को भी सलीके से काटकर प्लेट में सजाकर रखा गया है. (फोटोःसुजेन रेनर)
सुजन रेनर इस पेंटिंग की स्टडी के बाद यह पता करने में सफल हुई कि घरेलू लाल और मीठे तरबूज की उत्पत्ति मिस्र में हुई होगी. जो उनके साम्राज्य में हर जगह फैलाई गई. कभी व्यापार के जरिए तो कभी तोहफों के रूप में. क्योंकि सूडान के प्राचीन न्यूबियंस मिस्र साम्राज्य के हिस्सा रहे हैं. इन्होंने ही घरेलू तरबूजों को विकसित किया होगा और उनका व्यापार किया होगा. लेकिन कुछ रिसर्च यह कहते हैं कि तरबूज को सूडान के लोगों ने घरेलू बनाया, जबकि मिस्र के लोग उसे पहले से खा रहे थे. (फोटोःसुजेन रेनर)
म्यूनिख स्थित टेक्निकल यूनिवर्सिटी के प्लांट बायोडायवर्सिटी के प्रोफेसर हन्नो शाफेर ने कहा कि यह बेहद रोचक स्टडी है. असल में यह रोचक खोज है. इससे यह पता चलता है कि हम कई सालों से उत्तरी अफ्रीका के हिस्सों पर ध्यान नहीं दे रहे थे. लेकिन जिस समय की बात यहां पर हो ही है, उस समय वहां की जमीन अत्यधिक उपजाऊ थी. यहां पर फसलें और दालें बहुतायत में पैदा की जाती थीं. कइयों की तो खोज और उत्पत्ति भी यहीं हुई है. (फोटोःगेटी)
हन्नो शाफेर कहते हैं कि घरेलू फसलों के जंगली संबंधी प्रजातियों के बारे में अध्ययन करने से हमें फसलों के आधुनिक उपयोग और उनके ऐतिहासिक मूल्यों का पता चलेगा. यह आधुनिक किसानों और ब्रीडर्स के लिए फायदेमंद हो सकता है. इस समय तरबूज की कई जंगली प्रजातियां हैं, जो इनकी ब्रीडिंग में काम आ सकती हैं. जिनपर किसी वायरस या बैक्टीरिया का असर नहीं होता. (फोटोःगेटी)