आपके शरीर का सबसे बड़ा अंग क्या है? वो बाल नहीं है. न ही आपके हाथ-पैर या आंतें. आप हैरान रह जाएंगे ये जानकर कि वो अंग आपके पूरे शरीर में फैला है. हम नर्वस सिस्टम की बात भी नहीं कर रहे हैं. ये अंग है त्वचा. यानी स्किन (Skin). इकलौता ऐसा अंग जो बालों, नाखूनों, नर्व, नसों और ग्रंथियों से जुड़ा रहता है. (सभी फोटोः गेटी)
त्वचा इकलौता ऐसा ऑर्गन है जो शरीर के हर हिस्से को कवर करता है. यही वो अंग है जिससे आप फील करते हैं. प्यार, थप्पड़ से लगी चोट का दर्द, ममता, सुकून जैसी कई फीलिंग्स त्वचा के जरिए ही महसूस होता है. ये आपको खूबसूरत, बदसूरत या सामान्य दिखा सकता है. लेकिन त्वचा शारीरिक संबंध के दौरान महत्वपूर्ण योगदान देती है.
त्वचा ही हमें बाहरी पर्यावरणीय तापमान और मौसम में आने वाले बदलाव से बचाती है. शरीर के अंदर मौजूद अंगों को सुरक्षित रखती है. यह गर्मी, रोशनी, चोट, संक्रमण को सबसे पहले बर्दाश्त करती है. शरीर के तापमान को बनाए रखने, पानी की कमी को पूरा करना, विटामिन डी पैदा करना और सेंशेन को पैदा करना. उसे समझना.
किसी वयस्क इंसान के शरीर में त्वचा करीब पूरे शरीर का 15 फीसदी वजन रखती है. इंसान के शरीर से त्वचा निकाल कर जमीन पर फैलाई जाए तो यह करीब 22 वर्ग फीट का इलाका घेर लेगी. शरीर के हर अंग पर त्वचा कहीं मोटी, तो कहीं चिकनी, कहीं खुरदुरी तो कहीं बाल के साथ, कहीं बिना बाल के होती है. या फिर महसूस होती है.
पैर के नीचे तलवे पर हथेलियों पर त्वचा मोटी होती है. लेकिन आंखों के ऊपर और जननांगों पर पतली. त्वचा हमें इतना कुछ कैसे देती है. ये जानना जरूरी है कि उसकी बनावट कैसी होती है. इंसानी शरीर की त्वाच तीन लेयर की बनी होती है. पहली एपीडर्मिस, दूसरी डर्मिस और तीसरी हाइपोडर्मिस.
हर इंसान की त्वचा के ये तीन लेयर्स की मोटाई, काम की क्षमता उनकी उम्र, लिंग और जीन्स पर निर्भर करती है. जैसे महिलाओं और बच्चों की त्वचा पतली होती है. जबकि, वयस्क पुरुष की लगभग शरीर के हर हिस्से की त्वचा एक बराबर होती है. इसके अलावा सूर्य की रोशनी, पर्यावरण और दवाओं की वजह से त्वचा का घनत्व बदलता है.
एपिडर्मिस त्वचा की बाहरी परत होती है. यह भी चार हिस्सों में बंटी होती है. स्ट्रेटम बेसल, स्ट्रेटम स्पिनोसम, स्ट्रेटम ग्रैन्यूलोसम और स्ट्रेटम कॉर्नियम. हाथ और पैर के तलुवों में एक लेयर एक्स्ट्रा होती है. इसे स्ट्रेटम लूसीडम कहते हैं. इस लेयर में मौजूद केराटिन नाम का प्रोटीन ही इसे मजबूत और कठोर बनाता है.
डर्मिस दूसरी लेयर है. जो एपिडर्मिस के नीचे होती है. इसमें भी दो लेयर्स होते हैं. पैपिलेरी डर्मिस और रेटिकुलर डर्मिस. इसके अंदर खून की नसें, नर्व्स, स्वेट ग्लैंड्स, ऑयल ग्लैंड्स और बाल के फॉलिकल्स होते हैं. यहां पर कोलेजेन नाम का प्रोटीन होता है, जो त्वचा को मजबूत और लचीला बनाने में मदद करता है.
इसके बाद होती है हाइपोडर्मिस. यानी त्वचा की सबसे गहरी लेयर. इसे सबक्यूटेनियस फैट भी कहते हैं. इसके अंदर ज्यादातर फैटी टिशू होते हैं. जो शरीर को इंसूलेट करते हैं. यानी तापमान कम ज्यादा होने पर शरीर को संतुलित रखते हैं. अंदरूनी अंगों, मांसपेशियों और हड्डियों को कुशनिंग देता है. साथ ही अंदर के अंग को चोट से बचाता है.
त्वचा का काम क्या है. त्वचा सिर्फ आपकी खूबसूरती से जुड़ी नहीं है. बल्कि माइक्रोब्स, चोट, गर्मी और खतरनाक पदार्थों से बचाती है. नहीं तो शरीर के अंदरूनी अंगों को नुकसान होता है. ये दर्द और छूने के एहसास को बताते हैं. दबाव, खुजली और तापमान जैसी चीजों के बारे में बताती है.
त्वचा पसीना और तेल निकालती है. ताकि शरीर का तापमान नियंत्रित किया जा सके. त्वचा से निकलने वाले तेल की वजह से स्किन सॉफ्ट और नमीदार रहती है. बालों को उगाने में मदद करती है. बालों के जरिए शरीर का तापमान संतुलित रहता है. त्वचा तक खून का बहाव होता है.
त्वचा सबसे पहले किसी भी तरह के संक्रमण से आपको बचाती है. टिशू में तरल पदार्थों का बहाव बनाए रखने में मदद करती है. सूरज की रोशनी से विटामिन डी बनाने का काम स्किन का ही होता है. हमारी त्वचा वाटरप्रूफ होती है. केराटिन ही इसे वाटरप्रूफ बनाता है. नहीं तो पानी में हम गल जाते. सेबम की वजह से त्वचा की कोटिंग होती है.