कभी आपने ये सोचा है कि आपके होंठ लाल या उससे मिलते-जुलते रंग के क्यों होते हैं? हम हर दिन इनका उपयोग करते हैं. अलग-अलग तरह के कामों के लिए. लेकिन कभी इन्हें शरीर के किसी अन्य अंग की तरह संभालने की कोशिश की है. ये इतने नाजुक क्यों होते हैं? ये सूखने क्यों लगते हैं? ये फटते क्यों हैं? इंसानों का विकास ऐसे क्यों हुआ कि उनके होंठ बन गए जबकि पक्षी, कछुए इन सबके तो नहीं होते. (फोटोः पिक्साबे)
इंग्लैंड स्थित लोबोरो यूनिवर्सिटी में ह्यूमन बायोलॉजी के प्रोफेसर नोएल कैमरॉन ने कहा कि होंठ का सबसे बड़ा उपयोग है खाना, सांस लेने और बोलने में मदद करना. ये बेहद संवेदनशील और नाजुक होते हैं. जमाइका हॉस्पिटल के मुताबिक होंठों के अंदर 10 लाख बारीक नलियों के अंत जुड़े होते हैं. इसलिए ये छूने से सक्रिय हो जाते हैं. तापमान और ह्यूमिडिटी बदलने से सूखने लगते हैं. (फोटोः पिक्साबे)
नोएल कैमरॉन ने कहा कि होंठ की त्वचा चेहरे के बाहरी स्किन और मुंह के अंदरूनी म्यूकस मेंब्रेन के बीच ब्रिज का काम करती है. म्यूकस मेंब्रेन दिमाग के सेंसरी कॉरटेक्स का एक बड़ा हिस्सा होता है. इसलिए यह बेहद संवेदनशील है. इसी वजह से होंठ अपनी और आसपास की मांसपेशियों को अलग-अलग तरह से हिलाने में सक्षम होते हैं. (फोटोः पिक्साबे)
कैमरॉन ने कहा कि होंठ को ऊपर की ओर ले जाने के लिए पांच मांसपेशियां काम करती हैं, जबकि नीचे की ओर ले जाने के लिए चार मांसपेशियां काम करती हैं. इसी मूवमेंट की वजह से इंसान बोल पाता है. यहां तक कि इंसान जब स्वर यानी वॉवेल (Vowel) के अक्षर बुलाता है, तब उसके होंठों का मूवमेंट इसी तरह से होता है. या फिर कुछ व्यंजन (Consonants) अक्षरों को बोलने में. (फोटोः पिक्साबे)
जैसे P यानी अक्षर वाले शब्दों को बोलने के लिए आपको दोनों होंठों को हिलाने की जरूरत पड़ती है. जबकि F अक्षर से शुरु होने वाले शब्दों को बोलने के लिए होंठों और दांतों का उपयोग करना पड़ता है. नोएल कैमरॉन कहते हैं कि बिना होंठों को हिलाए आपके लिए बात करना बेहद मुश्किल होगा. आप कई अक्षर और शब्द बोल ही नहीं पाएंगे. (फोटोः पिक्साबे)
आप कोशिश करिए कि M, W या B अक्षर को बिना होंठ हिलाए बोल सकें. इन अक्षरों को बिना होंठ हिलाए बोलना ही संभव नहीं है. बहुत प्रयासों से आप बोल लेंगे तो उच्चारण गलत होगा. लेकिन अब सवाल ये उठता है कि होंठ ऐसे क्यों दिखते हैं? लाल या उसके परिवार के रंगों के क्यों दिखते हैं. खासतौर से जब उनकी तुलना चेहरे पर मौजूद अन्य अंगों से की जाती है. (फोटोः पिक्साबे)
होंठों के त्वचा कोशिकाओं की तीन से पांच परतों से बनी होती है. ये शरीर की त्वचा से पतली होती है. चेहरे की त्वचा से से तो बहुत पतली, चेहरे की त्वचा पर कोशिकाओं की 16 परत चढ़ी होती है. होंठ की त्वचा हल्के रंग की होती है. उसमें मिलेनोसाइट्स (Melanocytes) की संख्या कम होती है. मिलेनोसाइट्स में मिलेनिन पिगमेंट्स होते हैं, जो त्वचा को रंग प्रदान करते हैं. इनकी वजह से ही त्वचा को लाल या गुलाबी रंग मिलता है. (फोटोः पिक्साबे)
नोएल कैमरॉन कहते हैं कि गहरे रंग की त्वचा का दिखना बहुत महत्वपूर्ण नहीं है. लेकिन होंठ की त्वचा हल्की होती है इसलिए उसका पिगमेंटेशन ज्यादा नजर आता है. वह लाल रंग का दिखता है. इसके पीछे एक बड़ी वजह ये भी होती है हल्की त्वचा के पीछे लाखों खून की नलियां होती हैं, जो लाल रंग की होती हैं. वो भी होंठ को लाल दिखाती है. (फोटोः पिक्साबे)
होंठ की त्वचा बेहद हल्की, बिना बाल की और बिना पसीने की ग्रंथियों के होती हैं. इसलिए ये ज्यादा नाजुक, जल्दी सूखने वाले और फटने वाली होती है. इनके ऊपर शरीर की बाकी त्वचा जैसे पसीने और तेल की ग्रंथियां नहीं होतीं. जो त्वचा की चिकनाई बनाए रखती हैं. पैथोजेंस को दूर रखती हैं. तापमान का संतुलन बनाए रखती हैं. इसलिए होंठ जल्दी सूखते हैं और जल्दी फटते हैं. (फोटोः पिक्साबे)
होंठ के अलावा हथेलियों और पैर के पंजों पर भी बाल नहीं उगते, क्योंकि ये उनके बगैर ही ज्यादा सक्षम तरीके से काम करते हैं. होंठ बोलने, खाने और सांस लेने के अलावा सबसे ज्यादा चूमने (Kiss) में उपयोग किए जाते हैं. होंठ शरीर के उत्तेजना वाले अंगों में आते हैं. इनसे लोग एकदूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं. (फोटोः पिक्साबे)
Why are human lips red? https://t.co/QgL6Gjo99h
— Live Science (@LiveScience) June 6, 2022