scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

क्यों महिलाओं की तुलना में पुरुष एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में ज्यादा दिन रखता है NASA, ये है वजह

Why NASA Put Men on Priority?
  • 1/10

हर दिन धरती के चारों तरफ आवेषित कणों का रेडिएशन फैलता है. अत्यधिक ताकतवर ऊर्जा वाली तरंगें निकलती हैं, जो शरीर के अणुओं से इलेक्ट्रॉन्स को खत्म कर सकती हैं. ज्यादा समय तक रेडिएशन वाले इलाके में रहने से रेडिएशन सिकनेस या कैंसर हो सकता है. किस्मत अच्छी है कि हमारे ग्रह के चारों तरफ मैग्नेटोस्फेयर और एटमॉस्फेयर है. जो हमें इससे बचाता है. क्योंकि ये रेडिएशन सूरज और तारों के फटने से हमारी तरफ आते हैं. (फोटोः गेटी)

Why NASA Put Men on Priority?
  • 2/10

लेकिन, वायुमंडल और मैग्नेटोस्फेयर से ऊपर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station - ISS) पर ऐसी कोई सुरक्षा परत नहीं हैं. वहां पर अंतरिक्षयात्री यानी एस्ट्रोनॉट्स सबसे ज्यादा रेडिएशन के शिकार होते हैं. उनके शरीर में कैंसर पनपने की आशंका ज्यादा रहती हैं. इसलिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने साल 1989 में एस्ट्रोनॉट्स के अंतरिक्ष में रहने की एक सीमा तय की थी. (फोटोः अनस्प्लैश)

Why NASA Put Men on Priority?
  • 3/10

इस सीमा के तहत किसी भी एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में अपने पूरे करियर का जितना भी हिस्सा बिताना है, उतने में उसे अधिकतम कैंसर का डोज सिर्फ 3 फीसदी ही हो. जैसे- कैंसर का रिस्क इस तरह से मापा जाता है. इसमें लिंग और उम्र की भी गणना की जाती है. 30 साल की महिला एस्ट्रोनॉट के रेडिएशन का लोअर करियर लिमिट 180 मिलिसिवर्ट्स है. जबकि, 60 वर्षीय पुरुष एस्ट्रोनॉट के लिए अपर करियर लिमिट 700 मिलिसिवर्ट्स है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Why NASA Put Men on Priority?
  • 4/10

सवाल ये है कि महिलाओं के लिए लोअर करियर लिमिट और पुरुषों के लिए अपर करियर लिमिट क्यों? अमेरिकी एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी रेडिएसन प्रोटेक्श डिविजन के विशेष सरकारी कर्मचारी आर. जुलियन प्रेस्टन ने कहा कि जब महिला और पुरुष को एकसाथ उच्च स्तर के रेडिएशन में एक तय समय के लिए लाया जाता है तब महिलाओं को फेफड़े का कैंसर होने की आशंका पुरुषों की तुलना में दोगुना से ज्यादा होती है. (फोटोः गेटी)

Why NASA Put Men on Priority?
  • 5/10

जुलियन प्रेस्टन ने कहा कि यह गणना जापान में गिरे परमाणु बमों के बाद हुए असर पर आधारित है. वहां बचे हुए लोगों की सेहत की स्टडी करने के बाद यह नतीजे निकाले गए हैं. खासतौर से फेफड़ों के कैंसर के लिए. फेफड़ों के कैंसर के मामले में महिलाएं ज्यादा संवेदनशील होती हैं. जबकि, पुरुषों को रेडिएशन की वजह से लंग कैंसर होने में ज्यादा समय लगता है. (फोटोः गेटी)

Why NASA Put Men on Priority?
  • 6/10

साल 2018 में नासा की एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स की पूर्व प्रमुख पेगी व्हिट्सन ने महिलाओं की लोअर करियर लिमिट को लेकर काफी आवाज उठाई थी. वो रेडिएशन की तय सीमाओं का विरोध कर रही थीं. उन्हें खुद भी रेडिएशन एक्सपोजर था, लेकिन उन्होंने अपने करियर से 57 साल की उम्र में रिटायरमेंट लिया. जो कि रेडिएशन के हिसाब से बहुत ज्यादा है. ऐसी उम्मीद है कि नासा का रेडिएशन लिमिट जल्द ही बढ़ाया जाने वाला है, ताकि महिलाओं को ज्यादा समय अंतरिक्ष में बिताने को मिले. (फोटोः गेटी)

Why NASA Put Men on Priority?
  • 7/10

साल 2021 में नासा ने एक एक्सपर्ट पैनल से पूछा था कि क्या हम भविष्य में पुरुषों और महिलाओं के लिए करियर रेडिएशन लिमिट 600 मिलिसिवर्ट्स कर सकते हैं. इसे लेकर स्टडी चल रही हैं. क्योंकि धरती पर एक आम इंसान पूरे साल में 3.6 मिलिसिवर्ट्स रेडिएशन बर्दाश्त करता है. जबकि स्पेस स्टेशन पर एक साल में एक अंतरिक्षयात्री 300 मिलिसिवर्ट्स रेडिएशन बर्दाश्त करता है. अगर कोई एस्ट्रोनॉट छह-छह महीने के चार स्पेस मिशन पर जाता है तो उसका रेडिएशन लेवल बहुत ज्यादा हो जाएगा. (फोटोः गेटी)

Why NASA Put Men on Priority?
  • 8/10

जुलियन प्रेस्टन ने कहा कि नई लिमिट में पुरुषों की अपर करियर लिमिट को घटाया जाएगा. ताकि बुजुर्गों को अंतरिक्षयात्रा पर कम भेजा जाए. इससे महिलाओं को ज्यादा मौका मिलेगा. वो ज्यादा समय अंतरिक्ष में बिता सकेंगी. इसे लेकर बनाए गए एक्सपर्ट पैनल ने एक रिपोर्ट पिछले साल जून में प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट में रिस्क एसेसमेंट प्रोसेस, एथिकल इश्यु और कम्यूनिकेशन शामिल था. (फोटोः गेटी)

Why NASA Put Men on Priority?
  • 9/10

प्रेस्टन ने कहा कि नासा में महिलाओं को समानता हासिल है. स्पेस में जाने को लेकर सिर्फ थोड़ी सावधानी बरती गई है. लेकिन उन्हें जल्द ही ज्यादा समय के लिए अंतरिक्ष में समय बिताने का मौका मिलेगा. लेकिन इसमें लंबे मिशन के दौरान एक्सपोजर लिमिट में कोई रियायत नहीं मिली है. जो एस्ट्रोनॉट्स को 900 मिलिसिवर्ट्स तक की अनुमति देता है. यूरोपियन, कनाडाई और रूसी एस्ट्रोनॉट्स के लिए करियर एक्सपोजर लिमिट 1000 मिलिसिवर्ट्स है. (फोटोः पेक्सेल)

Advertisement
Why NASA Put Men on Priority?
  • 10/10

प्रेस्टन ने कहा कि मंगल मिशन एक बेहद संवेदनशील और बड़ा मिशन है. इसमें किसी भी एस्ट्रोनॉट के पूरे करियर और कई अंतरिक्षयात्राओं के बराबर या उससे ज्यादा रेडिएशन एक बार ही में मिलने की आशंका है. इसलिए इसमें रियायत की संभावना बनती है. लेकिन उससे पहले रेडिएशन एक्सपोजर का स्टैंडर्ड कम नहीं किया जा सकता. क्योंकि यह एक जटिल नैतिक समस्या भी है. इसका मतलब ये नहीं है कि एस्ट्रोनॉट्स मंगल ग्रह पर नहीं जाएंगे. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Advertisement