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साइंस न्यूज़

महिला ने योगाभ्यास से हासिल किया चरमसुख, साइंटिफिक कनेक्शन जानने के लिए हो रही स्टडी

Female Orgasm without Genital Stimulation
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यौन संबंध के दौरान के चरम सुख, कामोत्तेजना यानी ऑर्गेज्म को हासिल करना आसान है. लेकिन बिना शारीरिक संबंध बनाए, सिर्फ दिमाग से इस स्थिति को हासिल करना मुश्किल है. लेकिन एक महिला ने दावा किया है कि उसने खास तरह के योगाभ्यास जिसे तांत्रिक ट्रेनिंग (Trantric Training) कहते हैं, उसे करके अपनी मानसिक शक्ति की बदौलत उसने चरम सुख हासिल कर लिया है. इसके लिए उसने अपने किसी भी यौननांग (Sexual Organs or Genitals) को उत्तेजित नहीं किया. (फोटोः पिक्साबे)

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आमतौर पर जब तक यौन अंग उत्तेजित नहीं होते, तब तक पुरुष या महिला ऑर्गेज्म को हासिल नहीं कर सकता. इस प्रक्रिया में न्यूरल पाथवे (Neural Pathways) का उत्तेजित होना जरूरी है. यानी शारीरिक उत्तेजना. जिसकी वजह से हॉर्मोन्स की एक बाढ़ आती है और अंत में एक यूफोरिया (Euphoria) की स्थिति होती है. यानी उन्माद की हालत बनती है. (फोटोः गेटी)

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इस बात के कई सूबत मिले हैं कि लोग अलग-अलग परिस्थितियों में ऑर्गेज्म को हासिल कर लेते हैं. जैसे सोते समय, व्यायाम करते समय, या फिर साधारण तरीके से कोई तस्वीर देखते समय. इससे लगता है कि शरीर में कहीं दिमाग में ऐसी चीज हैं जो आपके ऑर्गेज्म को नियंत्रित करती है और इसे साइंस या साइंटिस्ट पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं. (फोटोः गेटी)

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बिना शारीरिक या यौनअंगों की उत्तेजना के सिर्फ दिमाग की शक्ति से ऑर्गेज्म को हासिल करना सुनने में तो अच्छा लगता है. यह स्टडी हाल ही में Sexual Medicine जर्नल में प्रकाशित हुई है. स्टडी में बताया गया है कि कैरोलिन सारस्की (Karolin Tsarski) ने यह दावा किया है. वो महिला यौन सुख को लेकर ऑनलाइन कोर्सेस चलाती हैं. यानी वो इस विषय की एक्सपर्ट हैं. वो महिला यौन सुख संबंधी चीजों को जानती हैं. (फोटोः गेटी)

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अगले हफ्ते इसका साइंटिफिक कनेक्शन खोजने के लिए कुछ साइंटिस्ट कैरोलिन सारस्की के दावे की जांच करेंगे. इस मामले में कैरोलिन सारस्की ने ऐसी क्षमता विकसित कर ली है जिससे वो बिना यौनअंगों को उत्तेजित किए ही चरमसुख हासिल कर लेती हैं. अब वैज्ञानिक इनके शरीर और उनकी इस प्रक्रिया को कई स्तरों पर बायोलॉजिकली जांच करेंगे. (फोटोः पिक्साबे)

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वैज्ञानिक कैरोलिन की इस प्रक्रिया से पहले, दौरान और बाद में ब्लड का सैंपल लेंगे. इसके अलावा लुटेनाइजिंग हॉर्मोन्स (Luteinzing Hormone), फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन, फ्री-टेस्टोस्टेरोन और प्रोलैक्टिन की जांच करेंगे. इनकी जांच कैरोलिन के योगाभ्यास से पहले, दौरान और उसके बाद की जाएगी. ताकि रासायनिक अंतरों को समझा जा सके. (फोटोः पिक्साबे)

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प्रोलैक्टिन (Prolactin) ऐसा बेहतरीन मार्कर है, जो ऑर्गेज्म की गुणवत्ता को बताता है. अगर इसकी मात्रा बढ़ती है तो इसका मतलब होता है कि यौन अंगों को उत्तेजित किया गया है. महिला के चरमसुख के पांच मिनट बाद तक खून में प्रोलैक्टिन की मात्रा में 25 फीसदी की बढ़ोतरी होती है. ऑर्गेज्म के 10 मिनट बाद प्रोलैक्टिन का स्तर 48 फीसदी हो जाता है. जबकि अन्य हॉर्मोन ऐसी मात्रा नहीं दिखाते. न ही इस तरह के पैटर्न के अनुसार बढ़ते हैं. (फोटोः पिक्साबे)

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प्रोलैक्टिन के बाद सिर्फ लुटेनाइजिंग हॉर्मोन ही है, जो ऑर्गेज्म के पांच मिनट बाद तक बढ़ता रहता है. अगर ऐसे ही परिणाम कैरोलिन सारस्की के प्रयोग के दौरान आते हैं, तो इसका मतलब ये है कि उसने अपनी मानसिक शक्ति से ऑर्गेज्म को हासिल करने की क्षमता विकसित कर ली है. (फोटोः पिक्साबे)

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आमतौर पर यौन अंगों के उत्तेजित होने से पैदा होने वाला चरमसुख शरीर के निचले हिस्से से पैदा होता है. यह मानसिक उत्साह, उल्लास, उन्माद और आराम देता है. नीचे से ऊपर की ओर सुख का बहाव होता है. लेकिन कैरोलिन बिना निचले हिस्से को सक्रिय किए दिमाग की प्रक्रियाओं के जरिए ऐसा कर रही हैं, यानी ऊपर से ऊपर की ओर ही सुख का बहाव. तो यह हैरानी की बात है. (फोटोः गेटी)
 

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