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साइंस न्यूज़

India Vs Tobacco: इतनी छोटी उम्र में शुरू कर देते हैं 'फूंकना', रिपोर्ट में दावा

India Vs Tobacco
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भारत में तंबाकू सेवन को लेकर पहली बार एक ऐसी स्टडी की गई है, जो पूरी तरह से युवाओं पर केंद्रित है. विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day) पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में युवा अब 'चाय-सुट्टा और क्या...' पर फोकस कर रहे हैं. तंबाकू के सेवन से भारत में हर साल करीब 13 लाख लोगों की मौत होती है. जिसमें भारी संख्या में युवा भी होते हैं. इसलिए जरूरी है कि इन्हें इस नशे से दूर रखा जाए. (फोटोः गेटी)

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दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल के 25 गैर-सरकारी संस्थानों ने अपने-अपने राज्यों में यह स्टडी की है. इसका नेतृत्व MASH प्रोजेक्ट फाउंडेशन कर रहा था. जिसमें टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC) भी शामिल है. खैर अब बात करते हैं तंबाकू सेवन को लेकर देश में युवाओं पर की गई स्टडी के बारे में. (फोटोः गेटी)

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कितनी कम उम्र में भारतीय शुरू करते हैं स्मोकिंग? (How Young is too young to smoke)

भारत में 10 साल से कम उम्र के बच्चे धूम्रपान करना शुरू कर देते हैं. ये हैरान करने वाला डेटा स्टडी में तब सामने आया जब स्मोकिंग करने वाले युवाओं से पूछा गया कि कितनी कम उम्र से सिगरेट या बीड़ी पी रहे हो. 47 फीसदी से ज्यादा ने कहा कि 10 साल की उम्र से थोड़ा पहले से. (फोटोः गेटी)

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ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे-4 में भी इस बात का खुलासा हुआ था कि 38 फीसदी युवा सिगरेट, 47 फीसदी बीड़ी और 52 फीसदी अन्य तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते हैं. वो इनकी शुरुआत दस साल की उम्र से पहले शुरू कर चुके होते हैं. सिगरेट 11.5 साल की उम्र में औसत. बीड़ी पीने की शुरुआत 10.5 साल की उम्र में और अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन की शुरुआत 9.9 साल की उम्र में. (फोटोः गेटी)

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चाय, सुट्टा और एजुकेशन (Chai, Sutta and Education)

स्कूलों के आसपास चाय की थड़ियां होती हैं. सरकार और स्थानीय प्रशासन की मदद से सिगरेट, बीड़ी जैसे दुकानें हटा दी जाती हैं. लेकिन साल 2020 में हुई एक स्टडी के मुताबिक देश में 69 फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जिनके 100 मीटर के दायरे में तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानें या थड़ियां हैं. (फोटोः गेटी)

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टॉफी-कैंडी के साथ बिकते हैं तंबाकू उत्पाद (Tobacco Products sold beside candy and toffee)

जब आप किसी दुकान पर कुछ खरीदने जाते हैं, तब आप कई बार किसी अनायास चीज को देखकर उसे खरीदने का मन बना लेते हैं. या फिर खरीद ही लेते हैं. 90 फीसदी तंबाकू उत्पाद कैंडी, मिठाई और टॉफी के साथ बेची जा रही हैं. तंबाकू उत्पादों के 91 फीसदी प्रचार डिस्प्ले 1 मीटर से ऊंचे होते हैं. न चाहते हुए भी नजर चली जाती है. भारत में 54 फीसदी ऐसे तंबाकू उत्पाद हैं, जिनपर किसी भी तरह का चेतावनी संदेश नहीं है. (फोटोः गेटी)

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युवा देखकर होते हैं प्रेरित (Youngsters See, Youngsters Do)

हर गली, मोहल्ले, सड़क और नुक्कड़ों पर तंबाकू उत्पादों के प्रचार-प्रसार की सामग्रियां लगी रहती हैं. स्टडी में पता चला है कि एक तिहाई युवा इन्हें देखकर प्रेरित होते हैं. जैसे तंबाकू उत्पादों के प्रचार-प्रसार, प्रमोशंस और स्पॉन्सरशिप. (फोटोः गेटी)

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एक तीर से दो निशाने (Hitting Two Targets With One Arrow)

ये जरूरी नहीं कि कोई एक इंसान सिगरेट पीए तो उसके आसपास वाले को असर न हो. तंबाकू उत्पादों के साथ यह दिक्कत है. वह एक तीर से दो निशानों को निष्क्रिय करता है. पहला वो जो खुद सिगरेट पी रहा है. दूसरा वो जो पास में मौजूद है और धुएं को सूंघ रहा है. यानी वह सेकेंडहैंड स्मोकिंग कर रहा है. सेकेंडहैंड स्मोकिंग करने वाले युवाओं में दिल संबंधी बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा 30 फीसदी बना रहता है. (फोटोः गेटी)

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ग्रेट इंडियन टोबैको सेल (The Great Indian Tobacco Sale)

भारत में तंबाकू उत्पादों की बिक्री हमेशा से होती आ रही है. इसमें किसी तरह की रोक-टोक नहीं लगती. देश में 30 फीसदी तंबाकू उत्पाद विक्रेता कीमतों में रियायत और तोहफे भी देते हैं. ताकि उनकी बिक्री बढ़ी रहे. (फोटोः गेटी)

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