आपने सबसे ठंडा मौसम सुना होगा. सबसे ठंडी जगह और सबसे ठंडा समुद्र भी सुना होगा, पढ़ा होगा या देखा होगा. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने सबसे ठंडा बादल भी खोज निकाला है. इस बादल का तापमान इतना कम था कि इसमें हड्डियां जम जातीं. इस बादल ने साल 2018 में प्रशांत महासागर में तूफान पैदा किया था. आइए जानते हैं कि इस नए खुलासे में वैज्ञानिक क्या कह रहे हैं. (फोटोःगेटी)
यूके नेशनल सेंटर फॉर अर्थ ऑब्जरवेशन (U.K.'s National Center for Earth Observation) के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की. इसमें वो दुनियाभर के तूफानों के बादलों का अध्ययन कर रहे थे. तभी उन्हें पता चला कि साल 2018 में प्रशांत महासागर पर तूफान लाने वाले बादल का तापमान माइनस 111 डिग्री सेल्सियस था. यह एक रिकॉर्ड है. इससे पहले कभी भी और कहीं भी इतना ठंडा बादल नहीं देखा गया था. (फोटोःगेटी)
सेंटर फॉर अर्थ ऑब्जरवेशन के मुताबिक यह तूफानी बादल जमीन से 18 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित था. क्योंकि ट्रॉपिकल चक्रवात, सर्कुलर लो-प्रेशर स्टॉर्म काफी ऊंचाई तक जा सकते हैं. जहां पर हवा का तापमान काफी कम होता है. लेकिन इस बादल की जांच करने पर हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए. (फोटोःगेटी)
Scientists detect world's coldest cloud hovering over Pacific Ocean https://t.co/L39h8muEFl
— SPACE.com (@SPACEdotcom) March 31, 2021
ये बादल सामान्य तूफानी बादलों की तुलना में 30 डिग्री ज्यादा ठंडा था. यह बादल 29 दिसंबर 2018 को प्रशांत महासागर में दक्षिण की तरफ स्थित नाउरू (Nauru) नामक स्थान के पास मौजूद था. यह 400 किलोमीटर व्यास का था. इसके तापमान की गणना नासा के सैटेलाइट NOAA-20 से की गई थी. तापमान की गणना के लिए इंफ्रारेड सेंसर्स की जरूरत पड़ती है. (फोटोःगेटी)
तूफानों के बादल जब ट्रोपोस्फेयर के ऊपर पहुंचते हैं तो उनका आकार Anvil जैसा हो जाता है. उसका सबसे निचला हिस्सा धरती पर रहता है. अगर तूफान के पास कई गुना ज्यादा ताकत है तो वह ऊर्जा को अगले लेयर यानी स्ट्रैटोस्फेयर तक फेंक सकता है. इसे कहते हैं ओवरशूटिंग टॉप (Overshooting Top). इससे बादल अत्यधिक ऊंचाई पर चले जाते हैं. यहां पर तापमान में बहुत ज्यादा ठंडी होती है. (फोटोःगेटी)
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता और नेशनल सेंटर फॉर अर्थ ऑब्जरवेशन की साइंटिस्ट सिमोन प्राउड (Simon Proud) ने कहा कि ओवरशूटिंग टॉप एक सामान्य प्रक्रिया है. आमतौर पर ओवरशूटिंग टॉप का तापमान स्ट्रैटोस्फेयर में हर एक किलोमीटर पर 7 डिग्री सेल्सियस कम होता जाता है. यानी वहां इतनी ज्यादा सर्दी होती है कि हड्डियां चटक जाएं. (फोटोःगेटी)
सिमोन ने बताया कि 29 दिसंबर 2018 को दिखाई दिए तूफानी बादल का मामला अलग था. यह बेहद भयानक रूप ले चुका था. इसने अपनी क्षमता से ज्यादा कम तापमान बर्दाश्त किया था. इसलिए ये आसानी से सैटेलाइट्स के सेंसर्स में कैद हो गया. लेकिन पिछले कुछ दशकों में हम लगातार ऐसे बादलों को बनते हुए देख रहे हैं जो इतने ठंडे हो सकते हैं. (फोटोःगेटी)
पिछले तीन सालों में ही वैज्ञानिकों ने लगभग इसी तरह के ठंडे बादलों की लिस्ट तैयार की है. सिमोन प्राउड ने बताया कि तूफानी बादलों का इस तरह से ठंडा होना इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है. इसकी वजह से जमीन पर बर्फ के गोले यानी ओले गिर सकते हैं. ज्यादा बिजलियां कड़क सकती हैं और गिर सकती हैं. इसके अलावा तेज हवाएं चल सकती हैं. (फोटोःगेटी)
ऐसे तूफानों को गर्म समुद्र और पूर्व की तरफ घूमती हवा से ऊर्जा मिलती है. हालांकि ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर तूफानी बादलों का तापमान इतनी तेजी से क्यों गिर रहा है. ये एक आमबात क्यों होती जा रही है. (फोटोःगेटी)
सिमोन प्राउड कहती हैं कि हो सकता है कि ये क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा हो. लेकिन फिलहाल हमें इसका गहन अध्ययन करना पड़ेगा. कैसे ये परफेक्ट तूफान एक्सट्रीम तूफानों में बदलते जा रहे हैं. सिमोन की स्टडी के रिजल्ट जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. (फोटोःगेटी)