दुनिया में कई प्रकार के कैंसर हैं, जिनका इलाज अब तक नहीं खोजा जा सका है. रूस ने दावा किया है कि उसने कैंसर की वैक्सीन विकसित कर ली है. लेकिन ये दस कैंसर इतने खतरनाक हैं कि इनसे बचने का कोई चांस ही नहीं होता. अगर कोई बच जाता है तो समझिए चमत्कार ही है...
WHO के मुताबिक 2020 में लंग कैंसर यानी फेफड़ों के कैंसर से 18 लाख लोग मारे गए. कोलोरेक्टल कैंसर से 9.16 लाख लोग मारे गए. लिवर कैंसर से 8.30 लाख लोग मारे गए. कैंसर के सबसे सामान्य फॉर्म हैं प्रोस्टेट कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर. लेकिन जरूरी नहीं कि इनमें जान जाए.
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1. पैनक्रियाटिक कैंसर
अमेरिका में दिल के दौरे के बाद ये दूसरी सबसे ज्यादा जान लेने वाली बीमारी है. सीडीसी के मुताबिक अगर ये समय से पहले पता भी चल जाए. इलाज भी हो जाए. तब भी इसमें जान लेने की ताकत होती है. इस बीमारी से ग्रसित 12.5% लोग ही पांच साल जीते हैं. 95 फीसदी पैनक्रियाटिक कैंसर एक्सोक्रीन सेल्स में होता है. ये सेल्स पाचन बढ़ाने वाले एंजाइम पैदा करती है. यहीं से इंसुलिन भी बनता है. अमेरिकी में 2020 में इस कैंसर ने 50,550 लोगों की जान ली. इलाज के नाम पर सर्जरी, कीमोथैरेपी और इम्यूनोथैरेपी होती है. लेकिन जरूरी नहीं कि ये तरीके किसी की जान बचा लें.
2. लिवर/बाइल डक्ट कैंसर
पांच साल में सर्वाइवल रेट मात्र 21.6 फीसदी. पूरी दुनिया में लिवर कैंसर सबसे ज्यादा जानलेवा कैंसर है. 1980 के दशक से अब तक इस बीमारी की रेट तीन गुना बढ़ी है. इसकी ज्यादातर वजह है हेपटाइटिस बी वायरस या हेपटाइटिस सी वायरस का संक्रमण. ये इंसान के शरीर के तरल पदार्थों में फैल जाते हैं. जैसे- खून, वीर्य. अमेरिका में 2021 में हेपटाइटिस सी संक्रमण के 1.07 लाख केस सामने आए थे. एक और कैंसर है बाइल डक्ट कैंसर ये लिवर, गॉलब्लैडर और छोटी आंत को प्रभावित करता है. पिछले साल अमेरिका में इन दोनों कैंसर से 29,380 लोगों की मौत हुई थी.
3. इसोफेगल कैंसर
इसोफेगस यानी आहार नाल. जहां से आपका खाना मुंह के रास्ते पेट तक जाता है. इसके होने पर 21.7% लोग ही पांच साल जीते हैं. ये आमतौर पर बुजुर्ग होने पर और पुरुषों को ज्यादा होता है. वजह है स्मोकिंग, शराब पीना या एसिडिक रिफ्लक्स होना. यानी जब पेट का एसिड निचले इसोफेगस में आ जाता है. अमेरिका में पिछले साल 16120 लोगों की मौत इस कैंसर की वजह से हुई है.
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4. लंग/ब्रॉन्कस कैंसर
फेफड़े या ब्रॉन्कस कैंसर होने पर 25.4% लोग ही पांच साल जीते हैं. ये इकलौता कैंसर है जो दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों की जान लेता है. सबसे बड़ी वजह है सिगरेट-बीड़ी पीना. इसके अलावा प्राकृतिक तौर पर निकलने वाली रेडॉन गैस. ये दो तरह का होता है नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर, सबसे ज्यादा यही होता है. यानी 80 से 85 फीसदी. दूसरा है स्मॉल सेल लंग कैंसर. ये तेजी से फैलता है. इलाज के लिए सर्जरी, कीमोथैरेपी, रेडिएशन थैरेपी या इनका कॉम्बीनेशन. पिछले साल अमेरिका में इससे 1.27 लाख लोग मारे गए.
5. एक्यूट माइलॉयड ल्यूकीमिया
इस कैंसर के होने पर 31.7% लोग ही पांच साल तक जीते हैं. ल्यूकीमिया स्टेम सेल्स में म्यूटेशन से होता है. ये सेल्स हड्डीमज्जा यानी बोन मैरो में होती है. इनसे ही खून में सफेद रक्त कोशिकाएं यानी WBC बनता है. कुछ हिस्सा लाल रक्त कोशिकाएं भी बनाता है. इनकी वजह से ब्लड क्लॉटिंग होती है. जिसके लिए प्लेटलेट्स जिम्मेदार होते हैं. ल्यूकीमिया होने पर खून और बोन मैरो खराब होने लगता है. ये 45 साल से पहले के मरीजों में कम दिखता है. कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी, बोन मैरो या स्टेल सेल ट्रांसप्लांट ही इसका इलाज है. पिछले साल अमेरिका में इसकी वजह से 11310 लोग मारे गए थे
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6. ब्रेन/नर्वस सिस्टम कैंसर
इन दोनों कैंसर के होने पर 33.8% लोग ही पांच साल तक जीते हैं. ब्रेन कैंसर होता ट्यूमर बनने से. ये दुर्लभ है लेकिन खतरनाक है. अगर ये कैंसर होता है तो अन्य कैंसर की तुलना में इसके फैलने का चांस पांच गुना ज्यादा होता है. इसके होने के पीछे की वजह बढ़ती उम्र, ज्यादा वजन या मोटापा है. सर्जरी, रेडियोथैरेपी, कीमोथैरेपी या टारगेटेड ड्रग थैरेपी से इलाज होता है. इसकी वजह से पिछले साल अमेरिका में 18990 लोगों की मौत हुई है.
7. पेट का कैंसर
पेट का कैंसर यानी स्टमक कैंसर होने पर 35.7% लोग ही पांच साल तक जीते हैं. इसे गैस्ट्रिक कैंसर भी कहते हैं. ये स्टमक की कोशिकाओं में होता है. अगर शुरुआत में पता चल जाए तो इलाज के अलग-अलग स्टेज हैं. वो बीमारी की स्टेज पर डिपेंड करता है. ये महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा होता है. आमतौर पर 60 साल के बाद. मोटापा, खानपान और एथनिसिटी इसके लिए वजह होते हैं. अमेरिका में पिछले साल इस बीमारी की वजह से 11130 लोगों की मौत हुई थी.
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8. ओवेरियन कैंसर
इसके होने पर 50.8% लोग पांच साल तक जीते हैं. ये तब होता है जब ओवरी या फेलोपियन ट्यूब्स में कोशिकाएं म्यूटेशन करती हैं. खासतौर से उस रास्ते में जो ओवरीज को यूट्रेस से जोड़ता है. महिलाओं में होने वाली सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक. महिलाओं को इसके अलावा लंग और ब्रेस्ट कैंसर भी होता है. अमेरिका में पिछले साल इस कैंसर ने 13,270 महिलाओं की जान ली.
9. माइलोमा
इसके होने पर 59.8% लोग ही पांच साल तक जीते हैं. ये कैंसर इम्यून कोशिकाएं यानी प्लाज्मा सेल्स में होता है. ये सेल्स बोन मैरो में होती हैं. हड्डियों में होती हैं. और शरीर की नरम ऊतकों में. यानी सॉफ्ट टिश्यू में. ल्यूकीमिया की तरह माइलोमा भी ब्लड कैंसर पैदा करता है. इम्यूनिटी खराब होती चली जाती है. एंटीबॉडीज बनना बंद हो जाती हैं. कैंसर शरीर में बढ़ता चला जाता है. इलाज के लिए कीमोथैरेपी, टारगेटेड ड्रग थैरेपी और स्टेरॉयड्स होते हैं. अमेरिका में पिछले साल इससे 12,590 लोगों की जान गई है.
10. लैरींजियल कैंसर
इस कैंसर में 61.6% लोग पांच साल तक जीते हैं. ये तब होता है जब लैरिंक्स में कैंसर कोशिकाएं जमा होती हैं. यानी जहां से आपकी आवाज निकलती है. वॉयस बॉक्स आपका. ये होता हैं तंबाकू उत्पादों और शराब के सेवन से. रेडिएशन, कीमो, इम्यूनो और टारगेटेड थैरेपी के जरिए इसका इलाज संभव है. कई बार डॉक्टर सर्जरी करके ट्यूमर को निकालते हैं. कई बार पूरा लैरिंक्स निकाल देते हैं. पिछले साल अमेरिका में इस कैंसर ने 3820 लोगों की जान गई थी.
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रूस की वैक्सीन कैसे करेगी बीमारी से उबरने में मदद?
रूस का दावा है कि उसने कैंसर की वैक्सीन बना ली है. ये वैक्सीन अगले साल से वो अपने लोगों को मुफ्त लगाना शुरू करेगा. ये एक mRNA वैक्सीन है. इसे रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर ने बनाया है. रूस इस वैक्सीन को अपने हर नागरिक के शरीर और संभावित कैंसर के मुताबिक देगा. आम नागरिकों को सीधे साधारण वैक्सीन की तरह नहीं लगाई जाएगी. ये वैक्सीन किसी मरीज के ट्यूमर से निकाले गए RNA से बनाई गई है.
जब मरीज को यह mRNA वैक्सीन लगेगी तो शरीर के अंदर यह खास प्रोटीन पैदा करेगी. जिसके बदले में शरीर का इम्यून सिस्टम एक्टिव होगा. वह ऐसे प्रोटीन को खत्म करने वाले प्रोटीन का निर्माण करेगा. ताकि कैंसर या ट्यूमर के सेल्स शरीर के अंदर न बन पाएं. साल 2022 में पूरी दुनिया में 2 करोड़ कैंसर के मामले सामने आए थे. जिनमें से 97 लाख लोग मारे गए थे. सबसे ज्यादा ब्रेस्ट, कोलोन,रेक्टम और प्रॉस्टेट कैंसर से.
रूस में भी कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ रही है. 2022 में 6.35 लाख मरीज थे. यहां भी हर तरह के कैंसर हो रहे हैं. रूस की तरह अन्य पश्चिमी देश भी अपना पर्सनल कैंसर वैक्सीन बनाने में जुटे हैं. अमेरिका, इंग्लैंड में भी इस पर काम शुरू है. जर्मनी ने बीएनटी116 वैक्सीन बनाई है, जो लंग कैंसर को ठीक करने में मदद करती है. अमेरिका ने मई में ग्लियोब्लास्टोमा कैंसर से चार मरीजों की जान एक वैक्सीन के जरिए बचाई.
मॉडर्ना और मर्क मिलकर स्किन कैंसर की वैक्सीन बना रहे हैं. प्रिवेंटिव कैंसर वैक्सीन पहले से दुनिया में मौजूद है. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया सर्वाइकल कैंसर के लिए सर्वावैक बना रहा है. रूस का दावा है कि उसकी वैक्सीन की तरह के कैंसर का इलाज करने में मदद मिलेगी