10 करोड़ साल पहले मादा झींगा मछली ने बिना नर के ही जन्म लिया था. पुरातत्वविद इसे फेयरी श्रिंप (Fairy Shrimp) पुकारते हैं. दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में कूनवारा फॉसिल बेड (Koonwarra fossil bed) में क्रेटेशियस काल (Cretaceous-period) के मीठे पानी के जीवाश्मों का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं को विलुप्त हो चुके मीठे पानी के झींगों (Koonwarrella peterorum) की एक अनोखी प्रजाति के बारे में पता चला है. इस प्रजाति की मादा शायद बिना सेक्स के पैदा हुई थीं.
बिना सेक्स के रिप्रोड्यूस होने को पार्थेनोजेनेसिस (Parthenogenesis) कहा जाता है, जो एक तरह का अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction) है. पार्थेनोजेनेसिस में भ्रूण का विकास एक अनिषेचित (Unfertilized) अंडे से होता है. यह पौधों और जानवरों दोनों में होता है, लेकिन ऐसा होना दुर्लभ माना जाता है. कुछ प्रजातियां जैसे विपटेल लिज़र्ड पार्थेनोजेनेसिस से ही पैदा होती हैं.
फ़्रेडोनिया (Fredonia) में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क (SUNY) में जीवाश्म विज्ञान के सहायक प्रोफेसर और सह-शोधकर्ता थॉमस हेना का कहना है कि फेयरी श्रिंप यानी झींगे के जीवाश्म रिकॉर्ड में पार्थेनोजेनेसिस नहीं दिखाई देता. हालांकि, ये आधुनिक ब्राइन झींगे में देखा गया है. ऐसा पहली बार हुआ है कि यह प्रक्रिया किसी मीठे पानी के झींगे में देखी गई है.
इस नई प्रजाति की पहचान Koonwarra fossil bed में 40 अलग-अलग जीवाश्मों में की गई थी. इस झींगे के जीवाश्म आपके खाने की प्लेट पर सजे झींगे जैसे नहीं दिखते. बल्कि, ये आधुनिक समुद्री बंदरों (Artemia salina) से ज़्यादा मिलते हैं, जो एक अलग तरह का ब्राइन झींगा है.
100-million-year-old fairy shrimp reproduced without sex, rare fossils reveal https://t.co/tOjE9MU9JA
— Live Science (@LiveScience) April 13, 2022
ये जीवाश्म गहरे, 0.4-इंच-लंबे (1 सेंटीमीटर) के निशान के रूप में हैं जिससे पता चलता है कि उनका शरीर लंबा और शरीर पर पैरों के कई सेट रहे होंगे. इसकी वजह से जीवाश्म एक छोटे फर्न की तरह दिखता है.
अध्ययनकर्ताओं उनका कहना है कि अधिकांश अकशेरुकी प्रजातियों (Invertebrate Species) को नर मॉर्फोलॉजी द्वारा वर्गीकृत किया जाता है. क्योंकि इनमें से ज़्यादातर प्रजातियों में नर में खास विशेषताएं होती हैं, जो उन्हें दूसरी प्रजातियों से अलग करती हैं. अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि नर में बड़े एंटीने होते हैं जिनसे वह यौन प्रजनन करता है. इसके साथ ही जननांग भी होते हैं. जीवाश्मों के 40 नमूनों की जांच में से किसी में भी ये विशेषता नहीं थी.
अध्ययनकर्ताओं को अंडे के पाउच साफ तौर पर दिखाई दिए, जिसका मतलब है कि यह झींगा सिर्फ मादा समूह से था जो अलैंगिक रूप से पैदा हुआ था. अलैंगिक रूप से पैदा होने का एक कारण यह है कि ऐसा करने वाली प्रजातियां हमेशा अपने जीन के हिसाब से ही आगे बढ़ती हैं, चाहे वे अच्छे हों या बुरे.