अमेरिका के एरिजोना (Arizona) स्थित स्कॉट्सडेल में कुछ लोगों के लिए समय और मौत रुकी हुई है. न इनका समय बीतेगा. न ही मौत आएगी. क्योंकि ये अपने शरीर और दिमाग को तरल नाइट्रोजन (Liquid Nitrogen) में रखवा चुके हैं. ताकि भविष्य में फिर से जिंदा हो सकें. यह प्रोजेक्ट लेकर आया है अलकोर लाइफ एक्सटेंशन फाउंडेशन (Alcor Life Extension Foundation).
अलकोर फाउंडेशन के चीफ एक्जीक्यूटिव मैक्स मोर ने कहा कि असल में इस प्रोजेक्ट का मकसद कुछ और है. ये सिर्फ वापस जिंदा होने के लिए नहीं है. बल्कि अभी जिन बीमारियों का इलाज नहीं उन बीमारियों का इलाज कराने के लिए खुद को भविष्य में वापस लाएंगे. 199 लोगों में से ज्यादातर लोग ऐसी जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे हैं जिनका आज इलाज नहीं है. जैसे- कैंसर, ALS या फिर असाध्य दुर्लभ बीमारियां. यह भविष्य को देखते हुए एक प्रयोग है, इसकी सफलता का सही अंदाजा तब लगेगा, जब इनमें से किसी एक व्यक्ति को बाहर निकालकर उसका ट्रीटमेंट किया जाएगा. उसकी बीमारी का इलाज होगा. अगर ऐसा करने में सफलता मिलती है तो बड़ा अचीवमेंट होगा.
इस 199 की लिस्ट में सबसे युवा इंसान है थाईलैंड की 9 साल की लड़की, माथेरिन नाओवरतपॉन्ग. इसे ब्रेन कैंसर है. उसके मां-पिता दोनों डॉक्टर हैं. कई बार माथेरिन की ब्रेन सर्जरी हो चुकी है. लेकिन कुछ काम नहीं आया. उसकी मौत हो चुकी है. इसलिए उन्होंने अलकोर फाउंडेशन से संपर्क किया. इस सूची में बिटकॉइन के एक्सपर्ट हाल फिनी भी शामिल हैं. साल 2014 में उनकी मौत ALS की वजह से हुई थी. तब से उनका शरीर लिक्विड नाइट्रोजन टैंक में सुरक्षित रखा हुआ है. इस प्रक्रिया को क्रायोप्रिजर्वेशन (Cryopreservation) कहते हैं.
कब शुरू होती क्रायोप्रिजर्वेशन की प्रक्रिया?
क्रायोप्रिजर्वेशन की प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब इंसान आधिकारिक और कानूनी तौर पर मृत घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद इंसान के शरीर से खून व अन्य तरल पदार्थ निकाल दिए जाते हैं. उन्हें खास तरह के रसायनों से भर दिया जाता है, ताकि शरीर के अंदर बर्फ के क्रिस्टल्स नहीं बने. इसके बाद शरीर को निश्चित ठंडे तापमान पर लिक्विड नाइट्रोजन के टैंक में रख दिया जाता है. अलकोर फाउंडेशन के ग्राहकों के शव एरिजोना के स्कॉट्सडेल में स्थित फैसिलिटी में रखे गए हैं.
शरीर सुरक्षित रखने के लिए देनी होगी इतनी कीमत
मैक्स मोर बताते हैं कि अलकोर फाउंडेशन के अभी 1400 जिंदा सदस्य हैं. जिन्होंने भविष्य में अपने शरीर को सुरक्षित रखवाने के लिए पैसे दिए हैं. ये पैसे उतने ही हैं, जितना आप जिदंगी भर किसी इंश्योरेंस कंपनी को देते हैं. या जरुरत पड़ने पर उससे क्लेम करते हैं. वैसे शरीर को टैंक में रखवाने के लिए कम से कम 2 लाख डॉलर यानी 1.64 करोड़ रुपयों से ज्यादा देने होंगे. अगर आपको सिर्फ अपना दिमाग सुरक्षित रखवाना है तो आपको देने होंगे 80 हजार डॉलर्स यानी 65.86 लाख रुपये.
भविष्य जाकर अपनी पीढ़ियों से मिल सकेंगे लोग
मैक्स मोर की पत्नी नताशा वीता मोर कहती हैं कि ये भविष्य की यात्रा करने का एक तरीका बन सकता है. भविष्य में आपके शरीर से बीमारियां या चोट आसानी से ठीक हो पाएंगी. तब तक इंसानों नई बॉडी क्लोनिंग हो चुकी होगी. पूरा शरीर प्रोस्थेटिक हो चुका होगा. या फिर उनके शरीर को फिर से रीएनीमेट किया जा सकेगा. वो अपने मित्रों, अगली पीढ़ियों और रिश्तेदारों से वापस मिल सकेंगे.
Time and death are 'on pause' for some people in Scottsdale, Arizona.
— Reuters Science News (@ReutersScience) October 12, 2022
Inside tanks filled with liquid nitrogen are the bodies and heads of 199 humans who opted to be cryopreserved in hopes of being revived in the future https://t.co/0ew56AqAqw 1/5 pic.twitter.com/oAFMkvgb7D
कुछ एक्सपर्ट सहमत नहीं हैं, बोले- ये गलत है
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन विभाग में मेडिकल एथिक्स डिविज़न के प्रमुख आर्थर कैपलैन कहते हैं कि इस तकनीक से कई मेडिकल प्रोफेशनल सहमत नहीं हैं. ये बात एकदम सही नहीं है कि हम अपने शरीर को फ्रीज कर दें. यह एक साइंस फिक्शन जैसा है. जो लोग इस बात से खुश हैं, वो वहीं लोग हैं जो भविष्य की तकनीकों को लेकर कुछ कर रहे हैं. या करने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसा करने के लिए वो आपसे पैसे ले रहे हैं.