साल 2024 में फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार जॉन जे. हॉपफील्ड और जेफ्री ई. हिंटन को दिया गया है. इन दोनों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में नए द्वार खोले हैं. जॉन जे. हॉपफील्ड ने एसोसिएटिव मेमोरी की खोज की, जो डेटा में पैटर्न को स्टोर और रिकंस्ट्रक्ट कर सकती है.
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— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 8, 2024
The Royal Swedish Academy of Sciences has decided to award the 2024 #NobelPrize in Physics to John J. Hopfield and Geoffrey E. Hinton “for foundational discoveries and inventions that enable machine learning with artificial neural networks.” pic.twitter.com/94LT8opG79
इस खोज ने आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हॉपफील्ड ने अपने शोध में भौतिकी के सिद्धांतों का उपयोग करके आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क को विकसित किया है. उनकी खोज ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नए अवसर खोले हैं और इसके अनुप्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे हैं.
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जेफ्री ई. हिंटन ने बोल्ट्जमैन मशीन की खोज की, जो डेटा में पैटर्न को पहचानने में सक्षम है. इस खोज ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नए अवसर खोले हैं. इसके प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे हैं. हिंटन ने अपने शोध में सांख्यिकीय भौतिकी के सिद्धांतों का उपयोग करके आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क को विकसित किया है.
कौन हैं ये दोनों वैज्ञानिक?
1933 में अमेरिका के शिकागो में जन्में होपफील्ड कॉर्नेल यूनिवर्सटी से 1958 में पीएचडी कर चुके हैं. इसके बाद से वो न्यूजर्सी स्थित प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में फ्रोफेसर हैं. जेफ्री ई. हिंटन का जन्म 1947 में लंदन में हुआ था. 1978 में यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग से पीएचडी की. फिलहाल कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में प्रोफेसर हैं.
सरल भाषा में समझिए इन दोनों ने आखिर क्या किया है...इससे आज आप कैसा फायदा पा रहे हैं?
होपफील्ड और हिंटन 1980 के दशक में जो रिसर्च किया. उसी के सहारे 2010 में मशीन लर्निंग क्रांति आ सकी है. दुनिया भर के नेटवर्क को सही से चलाने के लिए आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क बनाए. जैसे ट्रेन नेटवर्क. कंप्टयूटर नेटवर्क. इसमें आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क की कई लेयर होती है. जो एक दूसरे के सहारे और निर्देश से चलती है. इसे ही डीप लर्निंग कहते हैं. इसी के सहारे आज कई मशीन लर्निंग सिस्टम बनाए जा रहे हैं.
भविष्य में आपके साथ चलने वाला रोबोट आपके हाव-भाव, रूटीन, पसंद-नापसंद जैसे कई व्यवहारों को समझ कर आपके साथ वैसा ही बिहेव करेगा. ये मशीन लर्निंग है. वो स्थिति जब फ्यूचर में आएगी, तब इन्ही दोनों वैज्ञानिकों को क्रेडिट दिया जाएगा. क्योंकि इनकी वजह से ही दुनिया में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशिल न्यूरल नेटवर्क का जाल खड़ा हो पाया है.