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Bronze बनाने का 2300 साल पुराना चीनी फॉर्मूला पता चला, पुराने दस्तावेज मिले

कांसा (Bronze) बनाने का 2300 साल पुराना चीनी फॉर्मूला पता चल गया है. इसका पता चला है एक प्राचीन चीनी तकनीकी एनसाइक्लोपीडिया के सामने आने के बाद. इसे काओगॉन्ग जी कहते हैं. जो एक प्राचीन लिखित दस्तावेज है. जिसमें ब्रॉन्ज बनाने का पूरी रसायनिक प्रक्रिया बताई गई है.

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चीनी लोग कांसे के बर्तनों में तांबा, टिन और लीड मिलाते थे. (फोटोः गेटी)
चीनी लोग कांसे के बर्तनों में तांबा, टिन और लीड मिलाते थे. (फोटोः गेटी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कांसा बनाने के लिए करते थे खास प्रयोग
  • उस समय दुनिया को नहीं पता था फॉर्मूला

चीन 2300 साल पहले कांसा (Bronze) बनाता था. उसकी रेसिपी उस समय किसी को पता नहीं थी. लेकिन वैज्ञानिकों ने अब वह प्राचीन रेसिपी खोज निकाली है. यह एक बेहद पुराना लिखित दस्तावेज है. जो कि असल में एक तकनीकी एनसाइक्लोपीडिया है, जिसमें ब्रॉन्ज बनाने की पूरी रसायनिक प्रक्रिया लिखी गई है. इसका नाम है काओगॉन्ग जी (Kaogong Ji). 

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काओगॉन्ग जी (Kaogong Ji) को दुनिया का सबसे पुराना तकनीकी एनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है. इस किताब में कई तरह के वस्तुओं के निर्माण की प्रक्रिया लिखी गई है. जैसे धातु के ड्रम, रथ, हथियार आदि. इसमें कांसा (Bronze) बनाने के छह तरीके लिखे गए हैं. इन तरीकों ने शोधकर्ताओं को कई सालों तक उलझा रखा था. 

चीनियों के ब्रॉन्ज बनाने के फॉर्मूलों को कई सौ सालों तक नहीं समझ पाई थी दुनिया. (फोटोः गेटी)
चीनियों के ब्रॉन्ज बनाने के फॉर्मूलों को कई सौ सालों तक नहीं समझ पाई थी दुनिया. (फोटोः गेटी)

लंदन स्थित ब्रिटिश म्यूजियम के रुईलियांग लिउ ने कहा कि चीन में उस समय कांसा बनाना कोई खास बात नहीं थी. लेकिन जिस मात्रा में इनका उत्पादन हो रहा था, वह दुनिया में कहीं नहीं हो रहा था. हम यही सवाल पूछ रहे थे खुद से कि एशियाई और चीनी लोग उस समय इतना कांसा कहां से पैदा कर रहे थे. कांसा आमतौर पर तांबा (Copper) और टिन (Tin) मिलाकर बनता है. 

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चीन की कांसा बनाने की रेसिपी में जो चीजें थीं- Jin और Xi. इनके बारे में वैज्ञानिक खुलासा हीं कर पा रहे थे. आधुनिक मैंडेरिन भाषा में Jin का मतलब गोल्ड यानी सोना होता है. लेकिन उस समय के बर्तनों में सोना नहीं था. तांबा या उससे संबंधित एलॉय था. इसके अलावा Xi का मतलब टिन ही माना जा रहा था. रसायनिक जांच में भी पता चला था कि उस समय के बर्तनों में सामान्य Jin और Xi नहीं थे. 

लियु और उनके साथियों ने उस समय चीनियों द्वारा उत्पादित चाकू जैसे सिक्कों की जांच की. पता चला कि इनमें लीड की मात्रा ज्यादा है. तांबे और टिन की कम. जिन सिक्कों में तांबे की मात्रा ज्यादा थी, उसमें टिन भी ज्यादा था. इससे पता चला कि उस समय कांसें का उत्पाद बनाने के लिए तांबे और टिन के साथ लीड भी मिलाया जाता था. ये मिश्रण 80:15:5 (तांब-टिन-लीड) का था. इन्हीं का जिक्र काओगॉन्ग जी (Kaogong Ji) में किया गया था. 

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