मैकमास्टर यूनिवर्सिटी ( McMaster University) और यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस सिटी (University of Paris Cité) की एक रिसर्च टीम ने एस्चेरिचिया कोलाई (E.Coli) के पहले प्राचीन जीनोम की पहचान की है. 16वीं शताब्दी की इटैलियन ममी से इसे रीकंस्ट्रक्ट किया गया है. इस शोध को कम्यूनिकेशंस बायोलॉजी (Communications Biology) में प्रकाशित किया गया है.
क्या है E.Coli
आज भी ई. कोलाई चिंता का विषय है. मृत्यु का कारण बन सकता है. ई. कोलाई एक बैक्टीरिया (Bacteria) है जो अक्सर आंतों में पाया जाता है. सामान्य रूप से ये हानि नहीं पहुंचाता. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है. हालांकि, इस बैक्टीरिया के कुछ स्ट्रेन से दस्त, निमोनिया, सांस की बीमारी जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं. यह एक ऐसा रोगजनक है जो इम्यूनिटी कम होने पर, तनाव या किसी बीमारी के चलते व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है.
ऐसा माना जाता है कि इंसानों को E.Coli ने बहुत प्रभवित किया है. लेकिन इसके कोई दस्तावेज नहीं हैं, जैसे ब्लैक डेथ जैसी अन्य बीमारियों के दस्तावेज मौजूद हैं, जिसने विश्व स्तर पर करीब 20 करोड़ लोगों की जान ली थी.
ममी के पेट से मिला E.Coli
शोधकर्ताओं ने इटली के रईसों की ममी पर काम किया. इन ममी को 1983 में नेपल्स से पाया गया था. शोधकर्ताओं ने एक ममी पर फोकस किया. वह थी जियोवानी डी.अवलोस की ममी, जो नेपल्स के जाने-माने व्यक्ति थे. उनकी मौत 1586 में 48 वर्ष की आयु में हुई थी. माना जाता था कि वह पित्ताशय की पथरी की वजह से पेट की सूजन से पीड़ित था.
The first ancient genome of Escherichia coli (E. coli) has been identified and reconstructed from a 16th-century Italian mummy. Mamma mia!https://t.co/oY8QoHLbb5
— IFLScience (@IFLScience) June 17, 2022
शोधकर्ताओं ने डी'एवलोस के और ई. कोलाई जीनो पित्त की पथरी से बैक्टीरिया के फ्रैग्मेंट निकालेम को रीकंस्ट्रक्ट किया. 400 साल पुराने ई. कोलाई के इस पूर्वज से शोधकर्ताओं को यह जानने में मदद कर सकता है कि समय के साथ बैक्टीरिया में क्या बदलाव हुए हैं.