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Air Pollution से हर घंटे 80 बच्चों की मौत... क्या हम हैं अपने बच्चों की मौत के जिम्मेदार?

वायु प्रदूषण से हर साल पांच साल या उससे कम उम्र के 7.09 लाख बच्चे मारे जा रहे हैं. इनमें से 1.69 लाख तो भारत के ही हैं. प्रदूषण फैलाने वाली हमारी पीढ़ी क्या अपनी ही अगली पीढ़ी की जान ले रही है? क्योंकि हवा में घुले जहर के पीछे जिम्मेदार भी तो हम ही हैं.

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पूरी दुनिया में हर घंटे वायु प्रदूषण की वजह से 80 बच्चों की मौत होती है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
पूरी दुनिया में हर घंटे वायु प्रदूषण की वजह से 80 बच्चों की मौत होती है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

वायु प्रदूषण से दुनिया में हर साल 81 लाख लोग मारे जा रहे हैं. भारत में 21 लाख और चीन में 23 लाख लोग मारे गए. सिर्फ यही नहीं जहरीली हवा हर साल 7.09 लाख बच्चों को भी मार डालती है. वो भी पांच साल से कम उम्र के. यानी हम जो प्रदूषण कर रहे हैं, उससे हमारे ही बच्चों की मौत हो रही है. हम ही उनकी जान ले रहे हैं. 

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ये सारे आंकड़े साल 2021 के हैं. यह स्टडी हाल ही अमेरिकी रिसर्च संस्था हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) ने की है. स्टडी में यूनीसेफ भी शामिल है. स्टडी में बताया गया है कि पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण के चलते पांच साल से कम उम्र के 7.09 लाख बच्चे मारे गए. इनमें से 1.69 लाख से ज्यादा बच्चे तो भारत के थे. 

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इसके बाद 1.14 लाख बच्चों की मौत के साथ नाइजीरिया दूसरे नंबर पर है. तीसरे पर 68,100 बच्चों की मौत के साथ पाकिस्तान है.  फिर 31,100 बच्चों की मौत के साथ इथियोपिया और इसके बाद 19,100 बच्चों की डेथ के साथ बांग्लादेश. मतलब कि पांच वर्ष से कम आयु के 15 फीसदी बच्चों की मौत की वजह हवा में घुला जहर है.

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भारत-चीन में दुनिया की 54 फीसदी मौतें  

दक्षिण एशिया में प्रदूषण इकलौती वजह नहीं है जिससे लोगों की मौत हो रही है. इसके बाद हाई बीपी, खानपान और तंबाकू भी बड़ी वजह हैं. हैरानी इस बात की है अगर बच्चों के साथ बड़ों का आंकड़ा भी मिला दें, भारत और चीन में 44 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हुई है. यानी पूरी दुनिया की मौतों का 54 फीसदी. 

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दुनिया में बढ़ता वायु प्रदूषण हर घंटे पांच साल या उससे कम उम्र के 80 बच्चों की मौत की वजह बन रहा है. 7.09 लाख बच्चों की मौत में से 72 फीसदी मौतें घरों में होने वाले प्रदूषण की वजह से हुई है. लेकिन 28 फीसदी के मौत की वजह PM2.5 है. 

कुपोषण के बाद प्रदूषण लील रहा ज्यादा जिंदगियां

कुपोषण के बाद वायु प्रदूषण 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण है. जैसे- समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां शामिल थी. प्रदूषण से जान गंवाने वाले बच्चों की मौत के लिए दूषित ईंधन और घर के अंदर भोजन तैयार करने के दौरान होने वाला वायु प्रदूषण जिम्मेवार था. 

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बच्चों की ज्यादा मौतें अफ्रीका और एशिया में हुई हैं. 2021 में दुनिया भर में 81 लाख मौतें एयर पॉल्यूशन की वजह से हुई हैं. यानी वायु प्रदूषण दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हत्यारा है. वायु प्रदूषण से हुई 90% मौतें दिल संबंधी बीमारियों, स्ट्रोक, डायबिटीज, कैंसर और सीओपीडी जैसी गैर-संचारी बीमारियों से हुई हैं. 

अदृश्य जहर घुल रहा सांसों में, ले रहा जान

इस रिपोर्ट में दुनिया भर के 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों के आंकड़ों को शामिल किया गया है. वायु प्रदूषण से होने वाली वैश्विक मौतों में से 90% से अधिक पीएम 2.5 से हो रही हैं. हवा में घुला यह अदृश्य जहर हर साल 78 लाख लोगों की मौत की वजह बन रहा है.   

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अच्छी बात ये हैं दुनिया के कई देशों में इन महीन कणों का स्तर स्थिर है या घट रहा है. वैश्विक स्तर पर देखें तो पीएम 2.5 का औसत स्तर 31.3 माइक्रोमीटर प्रति घन मीटर है. पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के जोखिम में 2010 से 35% की गिरावट आई है. दुनिया में घरेलू वायु प्रदूषण के खतरों को लेकर जागरूकता बढ़ी है.

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