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Earthquake: इस साल 948 बार भारत में आया भूकंप, 240 बार तेजी से हिली धरती

साल 2022 में भारत की धरती 948 बार कांपी. इसमें से 240 बार अधिक तीव्रता की वजह से लोग सहम गए. घरों से बाहर निकल आए. सड़कों पर समय बिताया. क्या भारत में हर साल ज्यादा भूकंप आ रहे हैं? क्या इनकी संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है? क्या है इसके पीछे की वजह?

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नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी के मुताबिक इस साल भारत और आसपास 948 से ज्यादा भूकंप आए. (प्रतीकात्मक फोटो)
नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी के मुताबिक इस साल भारत और आसपास 948 से ज्यादा भूकंप आए. (प्रतीकात्मक फोटो)

भारत में इस साल जनवरी से अब तक 948 बार भूकंप आए हैं. जिसमें से ज्यादातर कम तीव्रता के थे. लेकिन 240 बार रिक्टर पैमाने पर चार की तीव्रता से ऊपर के भूकंप थे. यानी इतनी बार लोगों को धरती के कांपने का पता चला. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक इस साल उनके पास मौजूद 152 स्टेशनों से 1090 बार भूकंप आने की जानकारी मिली. लेकिन सिर्फ 948 बार ऐसे भूकंप रिकॉर्ड हुए जो भारत और उसके आसपास के एशियाई देशों में पैदा हुए. 

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NCS के पास इस साल जनवरी से लेकर सितंबर तक आए भूकंपों का डेटा फिलहाल मौजूद है. अक्टूबर और नवंबर में आए भूकंपों के डेटा की एंट्री साइट पर नहीं की गई है. जनवरी से सितंबर तक यानी 9 महीने में 948 भूकंप. यानी हर महीने करीब 105 से ज्यादा भूकंप के झटके आए. लेकिन इनमें से सारे महसूस नहीं हुए. क्योंकि वो कम तीव्रता के थे. आमतौर पर चार तीव्रता के नीचे के भूकंपों का पता नहीं चलता. जिन भूकंपों की कंपकंपी महसूस होती है वो चार से ऊपर के होते हैं. यानी 4.0 से लेकर 6 या 7 या 8 या उससे ऊपर. 

भूकंप का सबसे बड़ा नुकसान होता है जमीन की ऊपरी सतह का हिलना, जिससे सड़कों पर दरारें पड़ जाती हैं. (फोटोः गेटी)
भूकंप का सबसे बड़ा नुकसान होता है जमीन की ऊपरी सतह का हिलना, जिससे सड़कें फट जाती हैं. (फोटोः गेटी)

इस साल सबसे ज्यादा तीव्रता के जो दो भूकंप आए हैं. वो हैं 8 नवंबर की देर रात 1.57 बजे नेपाल में आया 6.3 तीव्रता का भूकंप. दूसरा है अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से 431 किलोमीटर दूर उत्तरी सुमात्रा में आया 6.1 तीव्रता का भूकंप. जिसका झटका दक्षिणी भारत तक महसूस हुआ था. इसके अलावा देश में और उसके आसपास 5 से 5.9 तीव्रता के 14 भूकंप आए. ये भी भारत में अलग-अलग महीनों में पता चले. 4 से लेकर 4.9 तक के कुल 224 भूकंप आए. जिनके हल्के झटके लोगों को महसूस हुए. लेकिन इसके नीचे के सभी भूकंपों की तीव्रता इतनी कम होती है कि वो पता नहीं चलते. 

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5 तीव्रता के ऊपर का भूकंप 10 मिनट में 500KM तक हिला देता है

आमतौर पर 5 तीव्रता के ऊपर के भूकंपों का झटका 10 मिनट में 500 किलोमीटर की दूरी तक फैल जाता है. यानी अगर दिल्ली में भूकंप का केंद्र है तो दस मिनट में वह 500 किलोमीटर दूर मौजूद किसी भी शहर को हिलाकर रख सकता है. हल्के झटके मध्य भारत तक महसूस हो सकते हैं.  IIT Roorkee के अर्थ साइंसेज विभाग के साइंटिस्ट और अर्थक्वेक अर्ली वॉर्निंग सिस्टम फॉर उत्तराखंड (Earthquake Early Warning System For Uttarakhand) प्रोजेक्ट के इंचार्ज प्रोफेसर कमल ने कहा कि छोटे भूकंपों से घबराने की जरुरत नहीं है. 

भूकंप की तीव्रता अधिक हुई तो इमारतों के गिरने या ध्वस्त होने का खतरा बना रहता है. (फोटोः गेटी)
भूकंप की तीव्रता अधिक हुई तो इमारतों के गिरने या ध्वस्त होने का खतरा बना रहता है. (फोटोः गेटी)

छोटे भूकंपों के स्वार्म आते हैं, इनसे घबराने की जरुरत नहीं है

प्रो. कमल ने जानकारी दी कि जमीन के नीचे जब दबाव यानी टेक्टोनिक फोर्स की वजह से तनान बनता है. तब वह हल्के फुल्के भूकंप से निकलता रहता है. इसे अर्थक्वेक स्वार्म (Earthquake Swarm) कहते हैं. अगर दबाव का स्तर ज्यादा हो जाए और एकसाथ तेजी से निकले तो भयानक भूकंप आ सकते हैं. 

भारतीय टेक्टोनिक प्लेट लगातार चीन की तरफ खिसक रही है

असल में इंडियन टेक्टोनिक प्लेट (Indian Tectonic Plate) लगातार तिब्बत की प्लेट (Tibetan Plate) की तरफ खिसक रही है. इससे दो प्लेटों के बीच स्ट्रेस बनता है. यही निकलता है तो भूकंप आता है. प्रो. कमल ने बताया कि जो खतरनाक जोन हैं, वहां पर अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने की जरूरत है. ताकि लोगों को भूकंप आने से 1-2 मिनट पहले जानकारी मिल सके. वो सुरक्षित स्थानों की तरफ भाग सकें.

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दिल्ली-NCR के लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है

प्रो. कमल ने बताया कि दिल्ली-NCR का ज्यादातर इलाका भूकंप के पांचवें और चौथे जोन में है. इसलिए यहां के लोगों को सतर्क रहने की जरुरत है. क्योंकि हम भूकंप को न रोक सकते हैं, न टाल सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे देश में भूकंप से संबंधित अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाए जाएं. पाकिस्तान के हिंदूकुश में भूकंप आता है तो हमें 5 मिनट बाद पता चलता है कि भूकंप आया है. यानी एक लहर आती है. अगर हमारे पास एक सिग्नल आता है कि भूकंप आ गया है, इस इलाके को यह इतनी देर में हिला देगा. तो इसे कहते हैं अर्ली वॉर्निंग. हम इसके जरिए लोगों को बचा सकते हैं. उत्तराखंड में हमने पहला ऐसा सिस्टम लॉन्च किया है. सरकार ऐसे सिस्टम लगाने का प्रयास पूरी तरह से कर रही है.  

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