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Pre-Gaganyaan Mission: चंद्रयान सफल, अब डेढ़ महीने में ISRO लॉन्च करेगा भारत के इतिहास का सबसे बड़ा स्पेस मिशन

Chandrayaan-3 की सफल लॉन्चिंग के बाद अब ISRO भारत के इतिहास का सबसे बड़ा मिशन शुरू करने जा रहा है. ये है गगनयान. एक से डेढ़ महीने के अंदर इसरो प्री-गगनयान मिशन लॉन्च करने वाला है. यह वही मिशन है, जिसमें इंडियन एयरफोर्स के चुनिंदा पायलटों को अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट बनाकर भेजा जाएगा.

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ये है GSLV-Mk3 रॉकेट, जिसके अपग्रेडेड वर्जन से भेजा जाएगा गगनयान मिशन. (फोटोः ISRO)
ये है GSLV-Mk3 रॉकेट, जिसके अपग्रेडेड वर्जन से भेजा जाएगा गगनयान मिशन. (फोटोः ISRO)

भारत बहुत जल्द गगनयान (Gaganyaan) का ट्रायल मिशन लॉन्च करने वाला है. ये लॉन्चिंग एक-डेढ़ महीने में होने की संभावना है. इस लॉन्चिंग में मानवरहित यान को रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. सारे सिस्टम्स की जांच की जाएगी. रिकवरी सिस्टम और टीम की तैयारियों की जांच होगी. इस मिशन में भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड भी शामिल हैं. 

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अगले साल के शुरुआती महीनों में गगनयान के जरिए व्योममित्र (Vyommitra) रोबोट को भेजा जाएगा. ISRO ने व्योममित्र महिला ह्यूमेनॉयड रोबोट को 24 जनवरी 2020 को पेश किया था. इस रोबोट को बनाने का मकसद देश के पहले मानव मिशन गगनयान के क्रू मॉड्यूल में भेजकर अंतरिक्ष में इंसानी शरीर की हरकतों को समझना. यह फिलहाल बेंगलुरु में है. इसे दुनिया की बेस्ट स्पेस एक्सप्लोरर ह्यूमेनॉयड रोबोट का खिताब मिल चुका है. 

Vyommitra Robot

व्योममित्र रोबोट इंसानों की तरह काम करती है. वह गगनयान के क्रू मॉड्यूल में लगे रीडिंग पैनल को पढ़ेगी. साथ ही ग्राउंड स्टेशन पर मौजूद वैज्ञानिकों से बातचीत करती रहेगी. इस मानवरहित मिशन के जो परिणाम आएंगे, इसके बाद एक और मानवरहित लॉन्च होगा. तीसरी लॉन्चिंग में भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष की यात्रा पर भेजा जाएगा.  

सात दिन के बजाय 1 या 3 दिन धरती का चक्कर लगाएगा गगनयान 

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इसरो की पहले योजना थी कि वो अपने ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन (First Human Spaceflight Mission) के दौरान गगनयान (Gaganyaan) से भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को धरती के चारों तरफ सात दिन चक्कर लगवाएंगे. लेकिन अब स्थितियों के मुताबिक गगनयान को सिर्फ एक या तीन दिन के लिए धरती के चारों तरफ चक्कर लगाने के लिए लॉन्च किया जाएगा.  

इस मिशन में डेवलपमेंट हो रहे हैं. कई बार कमियां भी मिलती हैं, उन्हें ठीक किया जाता है. ये भी हो सकता है कि इस मिशन में तीन के बजाय दो या एक ही अंतरिक्षयात्री जाए. गगनयान के क्रू मॉड्यूल को धरती से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित लोअर अर्थ ऑर्बिट में चक्कर लगाने के लिए भेजा जाएगा. 

Gaganyaan Capsule

मिशन में गलती की गुंजाइश नहीं 

यह मिशन ऐसा है कि इसमें कोई गलती स्वीकार नहीं की जा सकती. क्योंकि भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के काबिल पायलटों को इसमें भेजा जाएगा. उनकी जान कीमती है. उन्हें भेजने से पहले इस मिशन के कई परीक्षण होंगे. अगले साल लॉन्चिंग की तैयारी है लेकिन यह आगे-पीछे हो सकता है. 
 
कुछ दिन पहले ही हुआ था नए बूस्टर का टेस्ट

ISRO ने 13 मई 2022 को आंध्र प्रदेश में स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में ह्यूमन रेटेड सॉलिड रॉकेट बूस्टर यानी HS200 का सफल परीक्षण किया था. इस बूस्टर को जीएसएलवी-मार्क3 (GSLV-MK3) रॉकेट के एस200 बूस्टर की जगह लगाया जाएगा.  

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GSLV-MK3 LVM Chandrayaan-3

विकास इंजन के सहारे अंतरिक्ष में जाएगा गगनयान

तमिलनाडु स्थित महेंद्रगिरी में इसरो के प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (ISRO Propulsion Complex - IPRC) में विकास इंजन को 240 सेकेंड्स चलाया गया. इस ट्रायल में इंजन ने तय मानकों पर खुद को खरा साबित किया. इसने सारे संभावित गणनाओं को पूरा किया और बेहतर तरीके से परफॉर्म करके दिखाया. आपको बता दें कि इसी इंजन को रॉकेट अलग-अलग स्टेज में लगाया जाएगा, जो गगनयान कैप्सूल को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा. 

बेंगलुरू में चल रही है गगननॉट्स की ट्रेनिंग

गगनयान (Gaganyaan) के लिए भारतीय वायुसेना के चार पायलटों ने रूस में अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है. इन्हें मॉस्को के नजदीक जियोजनी शहर में स्थित रूसी स्पेस ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट्स बनने का प्रशिक्षण दिया गया था. गैगरीन कॉस्मोनॉट्स ट्रेनिंग सेंटर में भारतीय वायुसेना के पायलटों की ट्रेनिंग हुई थी. फिलहाल इन्हें बेंगलुरू में गगनयान मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जाएगी.

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