scorecardresearch
 

Agenda Aaj Tak 2023: भारत को सुपर स्पेस पावर बनने में डेढ़-दो दशक लग जाएंगे, Aditya-L1 की साइंटिस्ट बोलीं

Aditya-L1 मिशन से जुड़ी इसरो की वैज्ञानिक निगार शाजी ने कहा कि भारत को सुपर स्पेस पावर बनने में अभी डेढ़ दो दशक लगेंगे. भारत अभी दुनिया के कई देशों से पीछे हैं. लेकिन हम आराम से अपनी तकनीक और स्वदेशी टेक्नोलॉजी के रास्ते पर चल रहे हैं. इसमें सक्सेस जरूर मिलेगी.

Advertisement
X
एजेंडा आजतक 2023 के 'अंतरिक्ष में तिरंगा' सेशन में बोलती आदित्य-एल1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर निगार शाजी.
एजेंडा आजतक 2023 के 'अंतरिक्ष में तिरंगा' सेशन में बोलती आदित्य-एल1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर निगार शाजी.

Aditya-L1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर निगार शाजी ने एजेंडा आजतक 2023 के सेशन 'अंतरिक्ष में तिरंगा' में कई खुलासे किए. सबसे बड़ी बात उन्होंने ये कही कि भारत को सुपर स्पेस पावर बनने में डेढ़-दो दशक लग जाएगा. भारत अभी तक स्पेस पावर नहीं बन पाया है. सुपर स्पेसपावर बनने में करीब 30-40 साल लगेंगे. हम अभी कई मामलों में पीछे हैं. इस समय तक हम अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच पाएंगे. अभी हम पांचवें स्थान पर हैं.  

Advertisement

क्या आदित्य-L1 जैसे मिशन के साथ आपके ऊपर दबाव पड़ता है? इस पर निगार शाजी ने कहा कि कोई दबाव नहीं है. हम हर डिटेल देना चाहते हैं. ये हमारी जिम्मेदारी है. इससे हमें ऊर्जा मिलती है भारत के मिशन को पूरा करने की. 

अभी आदित्य-एल1 ने 20 लाख km पार कर लिया है. हम जनवरी के पहले हफ्ते में उसे लैरेंज प्वाइंट में डालेंगे. उस समय तक सभी पेलोड्स की टेस्टिंग चलती रहेगी. ताकि उनके काम करने की क्षमता को देखा जाएगा. जब निगार से पूछा गया कि आप स्कूल-कॉलेज में टॉपर रही हैं. तब निगार ने कहा कि हां. तब कार्यक्रम में मौजूद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये तो अभी इसरो में भी टॉपर हैं. 

Agenda Aajtak 2023

इसरो में महिलाओं के साथ कोई स्टीरियोटाइप नही 

लड़कियों को लेकर स्टीरियोटाइप कैसे तोड़ा...  इस सवाल पर निगार ने कहा कि इसरो में स्टीरियोटाइप नहीं है. कभी भी नहीं था. मेरी ज्वाइनिंग से लेकर आज तक. अगर आपके पास टैलेंट है. तो आपको मौका मिलता है. होममेकर के तौर पर मेरी मां मुझे मदद करती हैं. यह एक सपोर्ट सिस्टम है. इसके बगैर हम नहीं कर सकते इसरो का काम. 

Advertisement

सभी मिशन कठिन... अंतरिक्ष माफ नहीं करता

सोलर मिशन ज्यादा कठिन है, या चांद पर मिशन भेजना... सभी मिशन कठिन होते हैं. अंतरिक्ष किसी को माफ नहीं करता. चंद्रयान-3 की लैंडिंग बहुत बड़ा चैलेंज था. आदित्य-एल1 मिशन में हम पहली बार लैरेंज प्वाइंट तक जा रहे हैं. इसलिए हमारे लिए यह कठिन है. हमें पूरा भरोसा है कि हम उस ऑर्बिट और प्वाइंट में उसे तैनात कर सकेंगे. ताकि हैलो ऑर्बिट में आदित्य-एल1 पहुंचा पाएं. 

आसमान देखकर जिज्ञासा बढ़ती चली गई

हमने अभी सूरज को अलग-अलग फिल्टर से देखा है. यानी ये अलग-अलग वेवलेंथ हैं. जिनसे अलग-अलग जानकारी मिलती है. बतौर सामान्य इंसान की तरह हम आकाश देखते हैं तो उसे समझने की कोशिश करते हैं. ये क्या है. वो क्या है. इंसान कहां से आया. इसी जिज्ञासा पर हम आगे बढ़े. 

Live TV

Advertisement
Advertisement