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Agni-Prime Missile: एक साथ दुश्मन के कई टारगेट तबाह कर सकती है भारत की यह परमाणु मिसाइल, परीक्षण सफल

डीआरडीओ ने अग्नि प्राइम मिसाइल (Agni Prime) मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. यह मिसाइल अग्नि सीरीज की आधुनिक, घातक, सटीक और मीडियम रेंज की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल है. आइए जानते हैं इस मिसाइल की क्या ताकत है? यह भारत के लिए किस तरह से उपयोगी साबित हो सकती है?

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बालासोर के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड से लॉन्च की जाती Agni Prime Missile.
बालासोर के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड से लॉन्च की जाती Agni Prime Missile.

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने आज यानी 21 अक्टूबर 2022 को सुबह पौने दस बजे अग्नि प्राइम (Agni Prime) मीडियम रेंज परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इसे अग्नि-पी (Agni-P) नाम से भी बुलाया जाता है. परीक्षण ओडिशा के बालासोर स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड से किया गया था. जंग के समय में इस मिसाइल को चलाने का फैसला भारत की स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड (Strategic Forces Command) लेती है. 

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अग्नि प्राइम मिसाइल अग्नि सीरीज की ही न्यू जेनरेशन मिसाइल है. 11 हजार किलोग्राम वजनी इस मिसाइल की रेंज 1 से 2 हजार किलोमीटर के बीच है. 34.5 फीट लंबी मिसाइल पर एक या मल्टीपल इंडेपेंडटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) वॉरहेड यानी हथियार लगाए जा सकते हैं. MIRV यानी एक ही मिसाइल से कई टारगेट्स पर हमला. यह उच्च तीव्रता वाले विस्फोटक, थर्मोबेरिक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. 

अग्नि प्राइम दो स्टेज की मिसाइल है, तीसरे स्टेज में MaRV लगा है.
अग्नि प्राइम दो स्टेज की मिसाइल है, तीसरे स्टेज में MaRV लगा है.

इसपर 1500 किलोग्राम से 3000 किलोग्राम वजन के हथियार लगाए जा सकते हैं. यह दो स्टेज के रॉकेट मोटर पर चलने वाली मिसाइल है. तीसरा स्टेज MaRV है यानी मैन्यूवरेबल रीएंट्री व्हीकल. यानी तीसरे स्टेज को दूर से नियंत्रित करके दुश्मन के टारगेट पर सटीक हमला किया जा सकता है. इसे बीईएमएल-टट्रा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से दागा जाता है. इसे तब बनाया गया जब चीन ने डीएफ-12डी और डीएफ-26बी मिसाइलें बनाईं. इसलिए भारत ने एरिया डिनायल वेपन के तौर पर इस मिसाइल को बनाया. 

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यहां आप समझ सकते हैं कि ये मिसाइल कितनी बड़ी है.
यहां आप समझ सकते हैं कि ये मिसाइल कितनी बड़ी है. 

अग्नि प्राइम का वजन इसके पिछले वर्जन से हल्का भी है. 4 हजार किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-IV और पांच हजार किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-V से इसका वजन हल्का है. बता दें कि अग्नि-I का 1989 में परीक्षण किया गया था. फिर 2004 से इसे सेना में शामिल किया गया. उसकी रेंज 700-900 किलोमीटर के बीच थी.

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