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मंगल पर जीवन सूक्ष्मजीवों द्वारा पैदा किए गए जलवायु परिवर्तन की वजह से खत्म हुआ

मंगल ग्रह पर वैज्ञानिक जीवन के सबूत ढूंढ रहे हैं. हाल ही में किए गए शोध से ये पता चलता है कि मंगर पर जीवन की शुरुआत तो हुई, लेकिन विस्तार होने से पहले ही सूक्ष्मजीवों की वजह से जलवायु परिवर्तन हुआ. इस जलवायु परिवर्तन का प्रभाव लाल ग्रह पर ऐसा पड़ा कि इस ग्रह पर जीवन खत्म हो गया.

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मंगल पर जीवन कैसे खत्म हुआ, शोध से पता चला (Photo: NASA)
मंगल पर जीवन कैसे खत्म हुआ, शोध से पता चला (Photo: NASA)

पर्सिवरेंस रोवर (Perseverance rover) मंगल ग्रह (Mars) की सतह से नमूने इकट्ठे कर रहा है, जिन्हें लेकर वैज्ञानिक लाल ग्रह से जुड़ी जानकारी जुटा रहे हैं. हाल ही में किए गए शोध से पता चलता है कि प्राचीन मंगल पर एक ऐसा वातावरण रहा होगा, जिसने एक भूमिगत दुनिया या सूक्ष्म जीवों को पनपने में मदद की हो. लेकिन ये सूक्ष्म जीव इस ग्रह के लिए अच्छे रहे होंगे.

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फ्रांसीसी वैज्ञानिकों का मानना है कि इन प्राचीन माइक्रोब्स (Microbes) ही मंगल पर हिमयुग का कारण बने होंगे. यह जलवायु परिवर्तन के संकेत का पहला सबूत हो सकता है, जिसने मंगल को प्रभावित किया और आने वाली सदियों के लिए इसे बंजर बनाया.

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मंगल ग्रह माइक्रोब्स की वजह से हुआ बंजर (Photo: NASA)

नेचर एस्ट्रोनॉमी (Nature Astronomy) जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि मंगल की सतह ने माइक्रोबियल जीवन के लिए अनुकूल वातावरण बनाया होगा. शोधकर्ताओं की टीम को लीड करने वाले खगोलविज्ञानी बोरिस सौतेरे (astrobiologist Boris Sauterey) के मुताबिक, हाइड्रोजन पर जीवित रहने वाले और मीथेन का उत्सर्जन करने वाले सामान्य रोगाणु (Microbes) मंगल पर करीब 370 करोड़ साल पहले पनपे होंगे. ये वही समय था जब पृथ्वी के प्राचीन महासागरों में शुरुआती जीवन अपनी पकड़ बना रहा था. पृथ्वी पर जटिल जीवन के लिए वातावरण अनुकूल बनता गया, लेकिन मंगल पर इसका उल्टा हुआ.  

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mars microbes
प्राचीन माइक्रोब्स मंगल के क्रस्ट तक पहुंच गए (Photo: Getty)

Sauterey और उनकी टीम ने एक कॉम्प्लेक्स कंप्यूटर मॉडलिंग स्टडी की, जिसमें पृथ्वी और मंगल पर पाए जाने वाले माइक्रोब्स का अध्ययन किया. शोधकर्ताओं ने पाया कि पृथ्वी पर उन सूक्ष्म जीवों द्वारा उत्पादित मीथेन ने धीरे-धीरे ग्रह को गर्म किया, जबकि मंगल ग्रह ठंडा हो गया और ये सूक्ष्म जीव परत दर परत ग्रह नीचे चले गए.

शोध के मुताबिक, उस समय मंगल ग्रह गीला और गर्म रहा होगा, तापमान -10 डिग्री और 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा होगा. तब यहां सतह पर नदियों, झील और महासागर के रूप में पानी मौजूद रहा होगा. लेकिन इसका वातावरण पृथ्वी से काफी अलग था. यहां कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन ज्यादा थी, जिन्होंने शक्तिशाली वार्मिंग गैसों की तरह काम किया. जैसे-जैसे ग्रह ठंडा हुआ, ज्यादातर पानी बर्फ में बदल गया और सतह का तापमान -60 डिग्री सेल्सियस चला गया. इससे रोगाणु क्रस्ट तक पहुंच गए जहां वातावरण गर्म था.

 

शोधकर्ताओं ने मंगल पर तीन जगहों की पहचान की है जहां ये प्राचीन माइक्रोब्स सतह के करीब हो सकते हैं. ये जगह हैं- जेज़ेरो क्रेटर (Jezero Crater), जहां पर्सिवरेंस रोवर काम कर रहा है. दो निचले मैदान हैं-दक्षिणी गोलार्ध में मिड लैटिट्यूड पर हेलस प्लैनिटिया (Hellas Planitia) और मंगल की भूमध्य रेखा के उत्तर में इसिडिस प्लैनिटिया (Isidis Planitia).

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