अमेज़न के घने वर्षावनों (Amazonian rainforest) पर लेज़र तकनीक का इसेतमाल करके, 11 अनजान बस्तियों के खंडहरों का पता लगा है जिन्हें विशाल पिरामिडों और जलमार्गों से सजाए गया था.
नेचर (Nature) जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने हेलीकॉप्टर-माउंटेड लिडार इमेजिंग तकनीक (Helicopter-mounted lidar imaging technology) का इस्तेमाल करके, बोलिवियाई अमेज़ॅन में लानोस डी मोजोस (Llanos de Mojos) के 4,500 वर्ग किलोमीटर इलाके के अंदर छह जगहों की जांच की. कुल मिलाकर, उन्होंने कोटोका और लैंडिवार नाम की दो नई बस्तियों और 24 छोटी साइटों का पता लगाया है. इनमें से केवल 15 के बारे में पहले से जानकारी थी.
नहर और जलाशय भी नजर आए
बस्तियों में केवल झोंपड़ियां नहीं थीं, बल्कि लोग बड़े समुदाय में रहा करते थे, जहां नहरों और जलाशयों से बने जटिल जल प्रबंधन के बुनियादी ढांचे भी थे. कोटोका और लैंडिवार जैसी बड़ी बस्तियों में, टीम ने विशाल मंच जैसे टीले और कोन के आकार के पिरामिड भी खोजे, जिनकी लंबाई 72 फीट तक थी. शोध से पता चलता है कि ये बस्तियां करीब 500 CE से 1400 CE के बीच की हैं.
Ancient Ruins Of Eleven Settlements Discovered Beneath The Amazon Junglehttps://t.co/k0Ev4eY5UX pic.twitter.com/Hobd5NVujp
— IFLScience (@IFLScience) May 25, 2022
पहले माना जाता था कि अमेज़न रेनफॉरेस्ट इतने घने थे कि इनमें पूर्व-कोलंबियन समय में बड़े पैमाने में इंसानी बस्तियों का होना नामुमकिन है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में हुई खोजों ने इस बात को गलत साबित किया है, क्योंकि ये रेनफॉरेस्ट कभी घनी बस्तियों से भरे हुए थे. शोध के लेखक का कहना है कि हमारे नतीजों के मुताबिक, पश्चिमी अमेज़ोनिया में पूर्व-हिस्पैनिक समय में बहुत कम आबादी थी.
लेजर-आधारित इमेजिंग तकनीक का किया इस्तेमाल
इन खोजों में से कई खोजें लिडार के ज़रिए ही हो सकीं. यह तकनीक 1970 के दशक की शुरुआत में विकसित की गई थी. यह लेजर-आधारित इमेजिंग तकनीक लंबे समय से खोई हुई बस्तियों को खोजने में पुरातत्वविदों के काम आ रही है. इससे बड़े इलाकों को तुरंत स्कैन किया जा सकता है, साथ ही घने पेड़-पौधों के पीछे छिपी मानव-निर्मित संरचनाओं का पता लगाया जा सकता है, जो समय के साथ छिप गई हैं.