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अरबों साल पहले मंगल ग्रह पर था विशाल महासागर, वैज्ञानिकों को मिले सबूत

वैज्ञानिक लगातार मंगल ग्रह पर रिसर्च कर रहे हैं. वहां रोवर कई सबूत दे चुका है कि मंगल पर पानी था. हाल ही में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि लाल ग्रह पर 350 करोड़ साल पहले विशाल महासागर था, जो सैकड़ों हजारों वर्ग किलोमीटर तक फैला था.  दो शोध इस बात की पुष्टि कर रहे हैं.

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350 करोड़ साल पहले लाल ग्रह की सतह पर विशाल महासागर मौजूद था (Photo: NASA)
350 करोड़ साल पहले लाल ग्रह की सतह पर विशाल महासागर मौजूद था (Photo: NASA)

मंगल (Mars) को आज भले ही सूखा और धूल भरा ग्रह माना जाता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने सबूत दिए हैं कि करीब 350 करोड़ साल पहले लाल ग्रह की सतह पर एक विशाल महासागर मौजूद था, जो शायद सैकड़ों हजारों वर्ग किलोमीटर तक फैला था. 

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यह सबूत शोरलाइन टोपोग्राफी (Shoreline topography) के रूप में सामने आए हैं, जिसे मंगल ग्रह की सतह की कई सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए पहचाना गया है. इन तस्वीरों को थोड़े अलग एंगल से खींचकर एक रिलीफ मैप बनाया जा सकता है. 

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 शोरलाइन टोपोग्राफी से मिले सबूत (Photo: F. Schmidt/NASA)

जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च: प्लैनेट्स (Journal of Geophysical Research: Planets) में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 6,500 किलोमीटर से ज्यादा फ़्लूवियल रिज (Fluvial ridges) का चार्ट बनाया, जो नदियों की वजह से उभरी हुई हैं. ये रिज दिखाते हैं कि वे खत्म हो चुके रिवर डेल्टा या सबमरीन चैनल बेल्ट (समुद्र तल पर उकेरे गए चैनल) हैं.

पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के भू-वैज्ञानिक बेंजामिन कर्डेनस (Benjamin Cardenas) कहते हैं कि पृथ्वी पर, हम समय के साथ जमा होने वाली तलछट या सेडिमेंट को देखकर जलमार्ग (waterways) के इतिहास का चार्ट बनाते हैं. हम इसे स्ट्रैटिग्राफी (stratigraphy) कहते हैं. मंगल पर ऐसा ही कुछ किया गया है. 

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 50 करोड़ साल पहले मंगल पर था महासागर (Photo: NASA)

2007 में इकट्ठा किए गए मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) के डेटा का इस्तेमाल करते हुए, टीम ने रिज की मोटाई, कोण और स्थानों का विश्लेषण पर काम किया. इससे उन्हें मंगल ग्रह पर एओलिस डोरसा (Aeolis Dorsa) रिजन के रूप में पहचाने जाने वाले टोपोग्राफिकल डिप्रेशन को समझा.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, सालों पहले मंगल के इस हिस्से में काफी बदलाव हो हो रहा था. इह बदलाव को समुद्र के स्तर में पर्याप्त वृद्धि और चट्टानों के मूवमेंट में दिखा जा सकता है. एओलिस डोरसा में फिलहाल सबसे घनी फ्लूवियल रिज पाई जाती हैं.

 

 
नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) में प्रकाशित एक अलग शोध में, कार्डेनस सहित कुछ ऐसे ही शोधकर्ताओं ने मैक्सिको की खाड़ी में प्राचीन समुद्री तलों को मैप करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक अकूस्टिक इमेजिंग तकनीक को इस मॉडल पर एप्लाई किया, ताकि यह पता लग सके कि पानी ने मंगल की सतह को कैसे नष्ट किया होगा.

शोधकर्ताओं का कहना है कि हमें ऐसे बहुत से सबूत मिल रहे हैं जो यह बताते हैं कि मंगल पर कभी बहुत पानी हुआ करता था. यह पता लगाने के लिए काम जारी है कि पानी का क्या हुआ. हालांकि अरबों साल पहले के समय को देखना आसान नहीं है.

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