इंसानों को शारीरिक दिक्कत या बीमारी होने पर सर्जरी की जाती है. यह टैलेंट सिर्फ ह्यूमन्स के पास था. लेकिन अमेरिका में ऐसी चींटियां खोजी गई हैं, जो अपने साथियों का जीवन बचाने के लिए सर्जरी करती हैं. यानी धरती पर इंसानों के बाद दूसरा ऐसा जानवर जो मेडिकल ऑपरेशन करने में सक्षम हैं.
सर्जरी करने वाली चींटियां फ्लोरिडा में खोजी गई हैं. इन्हें कारपेंटर आंट्स (Carpenter Ants) कहते हैं. ये अपने घोंसले में रहने वाले साथियों के पैरों में लगी चोट को पहचान जाती हैं. ये उस चोट को साफ-सफाई से ठीक करती हैं. या पैर या उसके हिस्से को काट कर अलग कर देती हैं. यह स्टडी करंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है.
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जर्मनी के वर्जबर्ग यूनिवर्सिटी में इकोलॉजिस्ट एरिक फ्रैंक कहते हैं कि जब हम अंगों को काटने (Amputation) की बात करते हैं तब इसमें अत्यधिक टैलेंट की जरूरत होती है. यह एक जटिल और लयबद्ध तरीका है. इंसानों को भी यह काम करने में काफी ज्यादा समय और बारीकी की जरूरत होती है.
अंग खराब होने पर काटकर अलग कर देती हैं कारपेंटर चींटियां
साल 2023 में फ्रैंक की टीम ने अफ्रीकी चींटियों की एक प्रजाति खोजी थी. जिसका नाम है मेगापोनेरा एनालिस. ये अपने घोंसले में मौजूद जख्मी साथियों का इलाज एंटीमाइक्रोबियल पदार्थ से करती थीं. ये पदार्थ इनके शरीर से निकलता है. फ्लोरिडा की कारपेंटर चींटियों के पास यह क्षमता नहीं है. लेकिन वो पैर काटने में माहिर हैं.
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साफ-सफाई से पैर ठीक न हो तो अंग काटने का होता है विकल्प
वैज्ञानिकों ने दो तरह के चोटों की तरफ ध्यान दिया. पहला फीमर यानी जांघ और उसके बाद निचले हिस्से यानी टिबिया में लैक्रेशन. जांघ में लगी चोट को चींटियों ने साफ-सफाई के जरिए ठीक करने की कोशिश की. इसके लिए वो मुंह का इस्तेमाल करती हैं. ठीक नहीं होने की स्थिति में मुंह से काट कर टांग को अलग कर देती हैं.
दोनों ही तरह के इलाज में ज्यादातर चींटियों की बच जाती है जान
लेकिन टिबिया को वो सिर्फ साफ-सफाई के जरिए ही ठीक करती हैं. इस सर्जरी का फायदा ये होता है कि जख्मी चींटियां मरने से बच जाती हैं. जांघ पर लगी चोट साफ-सफाई से ठीक होती है, तो 40 फीसदी चींटियां बच जाती हैं. अगर जांघ को काटना पड़ता है तो 90 से 95 फीसदी जख्मी चींटियां बच जाती हैं.
टिबिया के जख्म को ठीक करने के बाद 15 से 75 फीसदी चींटियां बच जाती हैं. वैज्ञानिकों ने देखा कि चींटियां सिर्फ जांघ की चोट पर ही टांग को काटती हैं. पैर में अन्य जगहों पर लगी चोट के लिए वो पैर को काटती नहीं हैं. एक जख्मी चीटीं की टांग को काटने के लिए चींटियों को कम से कम 40 मिनट का समय लगता है.
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यह नजारा देखने के लिए वैज्ञानिकों को लगाना पड़ा माइक्रो-सीटी स्कैन
वैज्ञानिकों ने यह नजारा देखने के लिए माइक्रो-सीटी स्कैन की मदद ली. उन्होंने देखा कि जख्मी जांग में खून दौड़ाने वाली मांसपेशियां खून के बहाव को धीमा कर देती हैं. इसका मतलब ये है कि बैक्टीरिया से सना हुआ खून शरीर में जल्दी नहीं जा पाता. इतना मौका मिलने के बाद चींटियां जख्मी साथी का पैर काट देती हैं.