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आर्कटिक सागर की तलहटी में मिली एलियन दुनिया, दूसरे ग्रहों पर जीवन का पता लगाना होगा आसान

नए शोध से पता चलता है कि पृथ्वी पर समुद्र में एक जगह ऐसी है, जहां शनि ग्रह (Saturn) के चंद्रमा एन्सेलेडस (Enceladus) की तरह ही गतिविधियां होती हैं. यह खोज भविष्य के उन अंतरिक्ष मिशनों की तैयार के लिए वैज्ञानिकों की मदद कर सकती है, जो महासागर वाले ग्रहों पर जीवन की संभावना का पता लगाएंगे. 

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आर्कटिक में औरोरा नाम के हाइड्रोथर्मल वेंट साइट की खोज की गई (Photo: NOAA Office of Ocean Exploration and Research)
आर्कटिक में औरोरा नाम के हाइड्रोथर्मल वेंट साइट की खोज की गई (Photo: NOAA Office of Ocean Exploration and Research)

हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक शोध के ज़रिए यह पता लगाया है कि पृथ्वी पर एक जगह ऐसी है, जहां शनि ग्रह (Saturn) के बर्फीले चंद्रमा एन्सेलेडस (Enceladus) की तरह ही गतिविधियां होती हैं. यह जगह गहरे समुद्र में हैं. इससे दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज में मदद मिलेगी. 

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2014 में शोधकर्ताओं की एक टीम ने आर्कटिक में औरोरा (Aurora) नाम की हाइड्रोथर्मल वेंट (Hydrothermal vent) साइट की खोज की थी और 2019 में वे दोबारा इस जगह पर गए थे. यह जगह करीब 4 किलीमीटर तक फैली है और पूरी तरह से बर्फ से कवर है. औरोरा पृथ्वी पर सबसे गहरे हाइड्रोथर्मल फील्ड में से एक है. इसलिए शोधकर्ताओं को ये जगह किसी प्रयोगशाला से कम नहीं लगी. उनका मानना है कि जीवन की खोज के लिए सबसे ज़रूरी है कि बर्फ से ढके महासागरों की गहराई से शुरुआत की जाए. 

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औरोरा हाइड्रोथर्मल वेंट 4 किलीमीटर तक फैला है और पूरी तरह से बर्फ से ढका है (Photo: NOAA Office of Ocean Exploration and Research)

वुड्स होल ओशनोग्राफिक इंस्टीट्यूशन के सीनियर साइंटिस्ट और शोध के मुख्य लेखक क्रिस जर्मन (Chris German) का कहना है कि बर्फ से ढके महासागर के नीचे ये वेंट साइट, जीवन की उत्पत्ति और पृथ्वी से दूर जीवन की खोज के लिए ज़रूरी ऑर्गैनिक सिंथेसिस की स्टडी करने के लिए बढ़िया जगह है. ऑरोरा समुद्र के अंदर डूबी हुई पहाड़ियां (Seamount) हैं, जो गक्कल रिज (Gakkel Ridge) के ऊपर हैं. गक्कल रिज टेक्टोनिक प्लेट की अलग सीमा है. ग्रीनलैंड और साइबेरिया के बीच का यह रिज, हर साल एक सेंटीमीटर की बेहद धीमी गति से फैल रहा है.

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क्या होती है हाइड्रोथर्मल वेंटिंग

नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications) जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, जैसे-जैसे प्लेटें चौड़ी होती हैं, समुद्री जल पृथ्वी के क्रस्ट की दरारों के ज़रिए रिसता है, जहां पहले से ही गर्म मैग्मा इसे 400 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान तक गर्म करता है. गर्मी से कैमिकल रिएक्शन होते हैं जो पानी से ऑक्सीजन और बाकी कैमिकल्स को अलग कर देते हैं. यह फिर एक धारा (Plume) के रूप में समुद्र में वापस चली जाती है. इस प्रक्रिया को हाइड्रोथर्मल वेंटिंग कहा जाता है.

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 वेंट में माइक्रोबियल जीवन के संकेत मिलते हैं (Photo: Submarine Ring of Fire 2006 Exploration, NOAA)

वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि इसी तरह की प्रक्रिया कुछ बर्फीले चंद्रमाओं पर भी होती है. खासकर शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस पर. नासा के कैसिनी मिशन (Cassini mission) ने 2004 से 2017 तक एन्सेलेडस  इसपर स्टडी की थी. तब चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध की बर्फीली परत से पानी की ऐसी ही धारा को देखा गया था.

ऑरोरा में, इस तरह की धारा का अध्ययन करने से पृथ्वी के क्रस्ट के बारे में जानकारी मिलती है. शोध से टीम को पता लगा कि ऑरोरा हाइड्रोथर्मल फील्ड में उच्च स्तर का सोना, तांबा और मीथेन है. मिथेन का मिलना दिलचस्प है, क्योंकि कैसिनी ने एन्सेलेडस से निकलने वाली धारा में भी मीथेन का पता लगाया था, जो इसी तरह के गहरे समुद्र में हाइड्रोथर्मल वेंट की तरफ इशारा करता है.

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पानी में हाइड्रोथर्मल चिमनियां दिखाई दीं

ऑरोरा में, शोधकर्ताओं ने एक हाई-रिज़ॉल्यूशन सोनार उपकरण और कैमरों का इस्तेमाल किया, ताकि वेंट साइट की तस्वीरें और लाइव वीडियो लिया जा सके. वहां पानी में स्टैलेग्माइट (Stalagmite) जैसी हाइड्रोथर्मल चिमनियां उठती हुई दिखाई दीं. इनमें से कुछ के टिप पर पीले रंग की 'बूंद' (Blobs) दिखीं, जो  माइक्रोबियल जीवन की तरफ इशारा करती हैं. ऐसा ही जीवन एन्सेलेडस के समुद्र में मौजूद हो सकता है.

 

ऑरोरा को गहराई से समझने के लिए शोधकर्ताओं ने धारा से जुड़ा महत्वपूर्ण डेटा भी इकट्ठा किया. इसकी स्टडी करने पर पता चला कि ये धारा उन धीरे-धीरे फैलने वाले रिज पर मौजूद वेन्ट साइटों पर मिलने वाली धाराओं से मेल खाती हैं, जिन्हें भूवैज्ञानिक अल्ट्रामैफिक चट्टान (Ultramafic rocks) कहते हैं. अल्ट्रामैफिक चट्टानें पृथ्वी के मेंटल में बनती हैं और इनकी संरचना उल्कापिंडों (Meteorites) की तरह होती हैं.

हाइड्रोथर्मल वेंट के आसपास का जीवन

भीषण तापमान के बावजूद, हाइड्रोथर्मल वेंट के आसपास के क्षेत्र को उन जगहों में से एक माना जाता है जहां पृथ्वी पर प्रारंभिक माइक्रोबियल जीवन की शुरुआत हुई. जीवविज्ञानियों ने पूर्वी प्रशांत महासागर में हाइड्रोथर्मल वेंट के आसपास, येति क्रैब, विशालकाय ट्यूबवर्म और मसल्स जैसे जीवों को देखा है.

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सवाल ये है कि ये जीव वहां जीवित कैसे रहते हैं? वहां सूरज की रोशनी नहीं आती, तो ये जीव फोटोसिथेसिस भी नहीं कर पाते. इसके बजाय, वे ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोथर्मल वेंट से निकलने वाले कैमिकल का इस्तेमाल करते हैं. इसे प्रोसेस को केमोसिंथेसिस (Chemosynthesis) कहते हैं. इसके ज़रिए वे वेंट से निकलने वाले हाइड्रोजन सल्फाइड, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य कैमिकल्स को बाहर निकाल देते हैं.

जर्मन का कहना है कि समुद्र तल बहुत अद्भुत है. जब भी यहां आते हैं, हर बार हम हैरान हो जाते हैं क्योंकि हमें यहां हमेशा कुछ नया मिलता है. 

 

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