आर्टेमिस-1 (Artemis-1) को पहले एक्सप्लोरेशन मिशन-1 के नाम से जाना जाता था. इसे नासा (NASA) तैयार कर रहा है. जिसमें फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर का ग्राउंड सिस्टम, ओरियन स्पेसक्राफ्ट (Orion Spacecraft) और स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट लगे हुए हैं. इस बेहद जटिल अंतरिक्ष अभियान की सीरीज़ में आर्टेमिस-1 पहला मिशन होगा. यह मानव रहित फ्लाइट टेस्ट होगा जो आगे चलकर मानव द्वारा डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन को मजबूत आधार देगा. यानी गहरे अंतरिक्ष में जाने की काबिलियत की जांच होगी.
नासा से मिली जानकारी के मुताबिक, Artemis-1 Mission में किसी भी एस्ट्रोनॉट को चांद पर नहीं भेजा जाएगा. नासा का कहना है कि मिशन पर भले ही कोई अंतरिक्ष यात्री नहीं जाएगा, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अंतरिक्ष यान खाली हो.यह एस्ट्रोरेड रेडिएशन जैकेट है जिसे मानव जैसे पुतलों को पहनाकर ओरियन पर सवार किया जाएगा.
बताया जा रहा है कि NASA का स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) और ओरियन स्पेसक्राफ्ट (Orion Spacecraft), कई उपकरण लेकर जाएंगे और एक्सपेरिमेंट किए जाएंगे. इससे NASA को चंद्रमा के पर्यावरण को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी. क्योंकि चंद्रमा के इसी पर्यावरण का सामना भविष्य में जाने वाले क्रू मेंबर्स को करना होगा.
वैज्ञानिक अंतरिक्ष विकिरण (Space Radiation) को समझने के लिए काम कर रहे हैं. नासा अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के सुरक्षात्मक वातावरण और चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) से परे, चंद्रमा और उससे आगे ले जाने की तैयारी कर रहा है.
पर्याप्त सुरक्षा के बिना, स्पेस रेडिएशन से मानव शरीर को बड़ा खतरा हो सकता है. बड़ी मात्रा में रेडिएशन के संपर्क में आने वाले लोगों को एक्यूट और क्रोनिक बीमारियां हो सकती हैं. इससे आगे चलकर कैंसर होने की भी संभावना होती है. न सिर्फ इंसानों के लिए, बल्कि रेडिएशन स्पेसक्राफ्ट के इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम के लिए भी अच्छी नहीं है.
नासा के आर्टेमिस-1 फ्लाइट टेस्ट में, स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) और ओरियन स्पेसक्राफ्ट (Orion Spacecraft) पर कई उपकरण होंगे और जांच की जाएंगी. ये चंद्रमा और उससे आगे के मिशन के लिए मौजूद डीप स्पेस के रेडिएशन वाले वातावरण का अध्ययन करेंगे.
The #Artemis I mission won't carry any astronauts, but the spacecraft won't be empty!@NASA_SLS and @NASA_Orion will carry a host of instruments and experiments to help @NASA better understand the environment future crews will experience: https://t.co/hqZ2maQFdx pic.twitter.com/t24VYH9T9r
— NASA's Kennedy Space Center (@NASAKennedy) April 28, 2022
लॉन्च के पहले कुछ घंटों के अंदर, ओरियन को दो बार तेज रेडिएशन का सामना करना होगा. इसके बाद, फिर से पृथ्वी पर लौटने पर भी ऐसा ही होगा. जैसा ही ओरियन पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से निकलेगा, यह तेज रेडिएशन वाले वातावरण के संपर्क में आएगा. आपको बता दें कि संभावित रेडिएशन को ध्यान में रखकर और स्पेसक्राफ्ट सिस्टम की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए ही ओरियन को डिजाइन किया गया था.