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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मिली प्राचीन मूर्तियां, मंदिर, कलाकृतियां, ASI ने खोजे 9वीं सदी के ऐतिहासिक धरोहर

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ऐतिहासिक धरोहर मिले हैं. इनमें 26 मंदिर और 26 गुफाएं हैं. 2 बौद्ध मठ हैं. दो स्तूप हैं. 24 लिखे हुए इंस्क्रिप्शन, 46 कलाकृतियां और 19 जलस्रोत हैं. ASI ने 85 साल के बाद यह खोज शुरू की है. यहां पर प्राचीन गुफाएं हैं. शिवलिंग और विष्णु दशावतार की मूर्तियां मिली हैं.

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बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व में मिला शिवलिंग. इसके अलावा 26 मंदिर, 26 गुफाओं समेत कई प्राचीन धरोहर मिले हैं. (फोटोः ASI)
बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व में मिला शिवलिंग. इसके अलावा 26 मंदिर, 26 गुफाओं समेत कई प्राचीन धरोहर मिले हैं. (फोटोः ASI)

मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ फॉर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में 9वीं सदी के मंदिर और बौद्ध मठ मिले हैं. यह सभी ऐतिहासिक धरोहर 175 वर्ग किलोमीटर इलाके में मिले हैं. ये सभी अवशेष दो हजार साल पुराने हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey Of India - ASI) ने यहां पर 26 मंदिर, 26 गुफाएं, 2 मठ, 2 स्तूप, 24 अभिलेख, 46 कलाकृतियां और 19 जल संरचनाएं शामिल हैं. गुफाओं में बौद्ध धर्म से जुड़े कई ऐतिहासिक और रोचक जानकारियां सामने आई हैं. 

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Bandhavgarh Forest Reserve ASI

ASI ने कहा कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 26 गुफाएं मिली हैं. कुछ गुफाओं में बौद्ध गुफा के समय के भी सबूत मिले हैं.  बौद्ध धर्म से संबंधित होने का प्रमाण हमें मिला है. महाराष्ट्र में जिस तरह की गुफाएं होती हैं, ऐसी गुफाएं हैं. यह काम एएसआई जबलपुर सर्कल की टीम ने किया है. 

Bandhavgarh Forest Reserve ASI

इन गुफाओं में ब्राह्मी लिपि के कई अभिलेख हैं जिसमें मथुरा, कौशांबी, पवत, वेजभरदा, सपतनाइरिका जैसे कई जिलों के नामों का उल्लेख है. ये श्री भीमसेना, महाराजा पोथासिरी, महाराजा भट्टादेवा के समय के हैं. गुफाओं के साथ ASI को 26 प्राचीन मंदिर मिले हैं. भगवान विष्णु की शयन मुद्रा की प्रतिमा के साथ बड़े-बड़े वराह की प्रतिमाएं मिली हैं. 

Bandhavgarh Forest Reserve ASI

ये मंदिर करीब 2 हजार साल पुराने हैं. पहले स्टेज में किए गए सर्वे में मिले इन धरोहरों से खुश ASI अब अगले चरण की तैयारी में जुटा है. जबलपुर जोन ASI सुप्रीटेंडेट शिवाकांत बाजपाई ने बताया कि ये गुफाएं मानव निर्मित हैं. इन गुफाओं में बौद्ध धर्म से जुड़े कई अहम तथ्य मिले हैं

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Bandhavgarh Forest Reserve ASI

बाजपाई ने बताया कि यहां मिले बौद्ध स्तूप युक्त स्तंभ एवं मनौती स्तूप ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. दुनिया का सबसे विशाल वराह भी मिला है जो 6.4 मीटर उंचा है. इससे पहले मिले सबसे बड़े वराह की मूर्ति की ऊंचाई 4.26 मीटर थी. इनके अलावा मुगलकाली और शर्की शासन के समय के सिक्के भी मिले हैं. 

Bandhavgarh Forest Reserve ASI

बांधवगढ़ का ऐतिहासिक उल्लेख नारद पंचरात्र एवं शिव पुराण में है. कहते हैं कि भगवान राम अयोध्या लौटते समय अपने छोटे भाई लक्ष्मण को यह क्षेत्र उपहार में दिया था. इस क्षेत्र से प्राप्त प्राचीन अभिलेखों से पता चलता है कि यह बहुत लंबे समय तक मघ राजवंश के अधीन था. ASI ने बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व में 1938 में भी गुफाओं की खोज की थी.

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