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Chandrayaan-3 की सफलता से मोटिवेशन, अब ऑस्ट्रेलिया भी भेजेगा अपना मून रोवर

ऑस्ट्रेलिया भी अब भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद अपना पहला मून मिशन भेजना चाहता है. वह NASA के अर्टेमिस मिशन के साथ अपना मून रोवर भेजेगा. उम्मीद है कि यह मिशन 2026 में जाएगा. यह रोवर चांद की सतह पर मिट्टी की जांच करेगा. जिसे रिगोलिथ कहते हैं. आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में...

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ये है ऑस्ट्रेलिया के रोबोटिक मून रोवर की तस्वीर, जिसका नाम अभी नहीं रखा गया है. (फोटोः ASA)
ये है ऑस्ट्रेलिया के रोबोटिक मून रोवर की तस्वीर, जिसका नाम अभी नहीं रखा गया है. (फोटोः ASA)

Australia भी अब अपना मून मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है. वह NASA के Artemis मून मिशन के साथ अपना रोवर भेजेगा. यह मिशन 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है. यह एक रोबोटिक रोवर होगा. जो चांद की सतह पर मिट्टी यानी उसके रिगोलिथ की जांच-पड़ताल करेगा. ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी (ASA) ने इसकी घोषणा की है. 

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ASA यह मिशन नासा के पार्टनरशिप के साथ कर रहा है. ऑस्ट्रेलिया अपने रोवर का डिजाइन खुद करेगा. खुद ही बनाएगा. ऑस्ट्रेलिया पूरी दुनिया में अपने रिमोट कम्यूनिकेशन सिस्टम के लिए जाना जाता है. इसलिए वह रोवर से डायरेक्ट कम्यूनिकेशन बिठाने का प्रयास भी करेगा. 

इस रोवर को एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी SpaceX के स्टारशिप या फॉल्कन हैवी रॉकेट से चांद पर भेजा जाएगा. मिट्टी का सैंपल लेने के बाद नासा इस सैंपल से Oxygen निकालने का प्रयास करेगा. ताकि भविष्य में चांद पर जब इंसान रहे तो वहां कि मिट्टी से ऑक्सीजन निकाला जा सके. उसका इस्तेमाल किया जा सके. 

मिशन चंद्रयान-3 से जुड़ी स्पेशल कवरेज देखने के लिए यहां क्लिक करें 

रोवर का नाम दीजिए... 

ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी ने फिलहाल इस रोवर का नाम नहीं रखा है. हां ये जरूर अपील की है कि लोग इसका नाम रखें. उसने ट्वीट करके यह संदेश दिया है. शर्त इतनी है कि आप ऑस्ट्रेलिया के निवासी हों. इसके लिए कंपटीशन शुरु हो चुका है. नाम देने की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर 2023 है. 6 दिसंबर 2023 को चुने गए नाम की घोषणा की जाएगी. 

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नासा की ये है प्लानिंग

NASA इस दशक के खत्म होने तक चांद पर स्थाई इंसानी बस्ती बनाना चाहता है. यहां जो भी स्टडी की जाएगी. उसका इस्तेमाल बाद में मंगल पर इंसानी मिशन भेजने के समय किया जाएगा. नासा ने पिछले साल अपना अर्टेमिस-1 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. अब नासा अर्टेमिस-2 मिशन में चार एस्ट्रोनॉट्स को चांद पर भेजना चाहती है. इस मिशन के लॉन्चिंग की संभावना अगले साल के अंत तक है. 

इसके बाद अर्टेमिस-3 शुरू होगा. जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाएगा. यह मिशन 2025 या 2026 के अंत तक संभव हो सकता है. नासा इस समय कई अंतरराष्ट्रीय समझौते और पार्टनरशिप कर रहा है. इस मिशन में उसने भारत को भी शामिल किया है. इस मिशन में यूरोपियन स्पेस एजेंसी अपना ओरियन सर्विस मॉड्यूल दे रहा है. SpaceX अपने नेक्स्ट जेनरेशन स्टारशिप रॉकेट देगा. 

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