रूस (Russia) के उत्तरी इलाकों में अक्सर नॉर्दन लाइट्स (Northern Lights) देखने को मिलती है. अलग-अलग रंगों में. लहरों की तरह उठती बैठती. बहती और लहराती. इन्हें अरोरा (Aurora) कहते हैं. दुनिया भर के फोटोग्राफर्स इन रोशनियों की तस्वीरें लेने जाते हैं. सर्दी भरे दिन और कड़कड़ाती ठंड में बर्फ और वीरान इलाकों में समय बिताते हैं. तब जाकर ऐसी तस्वीरें मिलती है.
ऐसे ही एक फोटोग्राफर है एलेक्जेंडर स्टेपानेनको (Alexander Stepanenko). ये भाई साहब, रूस के मुरमांस्क ओब्लास्ट (Murmansk Oblast) के मुरमांस्क इलाके में गए. बर्फीली रात में घूम रहे थे. कहीं शानदार नॉर्दन लाइट्स की फोटो मिल जाए. अचानक उन्हें यह हरी रोशनी बदलती दिखाई दी. इसने एकदम से बाज (Eagle) जैसा रूप अख्तियार कर लिया. एलेक्जेंडर बताते हैं कि रोशनी विपरीत दिशा में थी. और कमजोर भी. लेकिन थोड़ी देर बाद मेरे जीवन का सबसे सुनहरा पल आया.
एलेक्जेंडर ने कहा कि मेरे ठीक ऊपर एक बर्फीली चोटी का क्लिफ था. जिसके ऊपर हरे रंग की रोशनी वाला बाज निकल आया. यह एक अरोरा था. पंखों वाला अरोरा (Winged Aurora). जैसे सफेद बर्फ की चादर से ढंके पहाड़ के ऊपर कोई ताज आकर लग गया हो. इस तस्वीर को लेने के लिए मैंने निकोल डी850 कैमरा का उपयोग किया था. इस तस्वीर को 14वें एनुअल एस्ट्रोनॉमी फोटोग्राफर ऑफ द ईयर कॉन्टेस्ट में अवॉर्ड मिला है.
अरोरा (Aurora) ग्रह के ध्रुवीय इलाकों में बनने वाली रोशनी का घेरा. यह धरती के दोनों ध्रुवों पर देखा जाता है. यह तब बनता है जब सूरज की किरणें या यूं कहें उससे आने वाली लहरें ग्रह के वायुमंडल से टकराती हैं, तब वो इस तरह का चमकदार रसायनिक प्रक्रिया करती है, जिससे ये रोशनी के घेरे बनते-बिगड़ते दिखाई देते हैं. मंगल और बुध ग्रह के अपने अलग प्रकार के अरोरा हैं. लेकिन इनकी चुंबकीय शक्ति अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग है, इसलिए रोशनी भी अलग-अलग दिशाओं में बनती दिखाई पड़ती है.