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धरती की ओर मुंह खोल कर खड़ा है ब्लैक होल, वैज्ञानिक समझ रहे थे आकाशगंगा

पृथ्वी की तरफ एक बहुत बड़ा Black Hole मुंह खोल कर खड़ा है. काफी समय से वैज्ञानिक इसे आकाशगंगा समझ रहे थे. अब साइंटिस्ट इस बात से हैरान हैं कि इसकी दिशा हमारे ग्रह की तरफ क्यों है? क्योंकि इसने ये जल्दी ही किया है. अपना मुंह घुमाकर धरती की तरफ कर दिया है.

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लाल घेरे में दिख रही रोशनी दूर से आकाशगंगा समझ में आ रही थी. असल में वो एक विशालकाय ब्लैक होल है. (फोटोः हवाई यूनिवर्सिटी)
लाल घेरे में दिख रही रोशनी दूर से आकाशगंगा समझ में आ रही थी. असल में वो एक विशालकाय ब्लैक होल है. (फोटोः हवाई यूनिवर्सिटी)

दुनियाभर के वैज्ञानिक इस समय घबराए हुए हैं. काफी समय से जिसे दूर मौजूद आकाशगंगा समझ रहे थे. असल में वो विशालकाय अंतरिक्ष का राक्षस निकला. जो सीधे धरती की तरफ अपना मुंह खोलकर खड़ा है. यह एक ब्लैक होल (Black Hole) है. इसके मुंह से लगातार प्रकाश की गति से रेडिएशन निकल रहा है. 

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यह रेडिएशन धरती से 90 डिग्री एंगल पर है. जिसकी वजह से वैज्ञानिक परेशान हो रहे हैं. क्योंकि यह ब्लैक होल भूखा है. भूखे ब्लैक होल्स को वैज्ञानिक एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई (AGN) बुलाते हैं. ऐसे ब्लैक होल्स ज्यादातर समय आकाशगंगा के केंद्र में होते हैं. इनके मुंह से तेज ऊर्जा वाले कणों की धार निकलती रहती है. 

Black Hole Facing Earth

यह ब्लैक होल ऐसी ही एक बेहद बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद है. इसका नाम है PBC J2333.9-2343. यह पृथ्वी से करीब 40 लाख प्रकाशवर्ष दूर है. यानी AGN से निकलने वाली तेज ऊर्जा की जेट सीधे धरती की ओर केंद्रित है. जो उसने हाल ही में पृथ्वी की ओर घुमाया है. यह स्टडी हाल ही में रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित हुई है. 

मिलेनियम इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की एस्ट्रोफिजिसिस्ट लोरेना हरनैंडेज गार्सिया ने कहा कि यह एक विशालकाय ब्लैक होल है, जो लगातार अपनी दिशा बदल रहा है. फिलहाल इसकी दिशा पृथ्वी की तरफ है. हमें अभी और कई तरह की स्टडी करनी है. लेकिन इसमें काफी समय लग सकता है. 

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Black Hole Facing Earth

लोरेना ने आकाशगंगा PBC J2333.9-2343 के पूरे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम यानी हर तरह की तरंगों का अध्ययन किया है. चाहे वह रेडियो वेव्स हों या गामा किरणें. पहले लगा कि ये ब्लाजार (Blazar) है, जो काफी तेज चमक रहा है, फिर बुझ रहा है. बीच-बीच में तेज ऊर्जा की जेट फेंक रहा है. फिर उन्हें आकाशगंगा में दो गोलाकार इलाके दिखे. जहां एजीएन से निकलने वाली जेट्स आपस में टकरा रही थीं. 

यानी ब्लाजार के गोलाकार इलाके काफी पुराने हैं, जबकि केंद्र में मौजूद इलाका यानी एजीएन काफी युवा है. जो लगातार तेज ऊर्जा वाले जेट्स फेंक रहा है. यहां पर दो जोड़े जेट्स हैं, जो अलग-अलग दिशाओं में निकल रहे हैं. इसने अपना मुंह घुमाकर धरती की तरफ क्यों किया, ये बात अब भी साइंटिस्ट पता कर रहे हैं. 

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