नासा (NASA) के हबल स्पेस टेलीस्कॉप (Hubble Space Telescope) का इस्तेमाल करने वाले खगोलविदों ने एक तारे के आखिरी लम्हों को कैद किया है. ब्लैक होल द्वारा निगले जाने के ठीक पहले एक तारे के साथ क्या होता है ये इस टेलिस्कोप ने रिकॉर्ड किया है.
ब्लैक होल ने इस तारे को निगलने से पहले, इसे एक डोनट के आकार में फैला दिया. यह नजारा हबल स्पेस टेलीस्कॉप ने कैद किया.
सुपरमैसिव ब्लैक होल, गैलेक्सी ESO 583-G004 के कोर में पृथ्वी से 30 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. जब तारा इस ब्लैक होल के काफी करीब आ गया तो इस ब्लैक होल ने तारे को छिन्न-भिन्न कर दिया, जिससे अल्ट्रा वॉयलेट लाइट की एक शक्तिशाली किरण निकली.
जब एक ब्लैक होल फ़ीड करता है, या किसी तारे को निगलता है, तो इसका अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण तारे पर बहुत तेज़ टाइडल फोर्स लगाता है. जैसे-जैसे तारा ब्लैक होल के मुंह के करीब आता है, तो ब्लैक होल की ग्रैविटी तारे का पास वाले क्षेत्र को दूर वाले क्षेत्र से ज्यादा प्रभावित करती है. यह असमानता तारे को एक लंबी, नूडल जैसी स्ट्रिंग में बदल देती है, जो ब्लैक होल लेयर के चारों ओर कसकर लिपटने लगती है, जैसे फोर्क में नूडल को लपेटा जाता है.
इसका आकार तब एक डोनट जैसा लगने लगता है. गर्म प्लाज्मा का यह डोनट, ब्लैक होल के चारों ओर तेजी से बढ़ता है और इससे अथाह ऊर्जा निकलती है, जो एकखास तरह की तेज़ फ्लैश पैदा करता है जिसे ऑप्टिकल, एक्स-रे और रेडियो-वेव टेलीस्कोप कैच कर लेते हैं.
नीचे दिए गए वीडियो में इस पूरी प्रक्रिया को समझिए
इस ब्लैक होल के फीडिंग सेशन की अनोखी चमक से खगोलविद, टाइडल डिसरप्शन की घटनाओं की स्टडी करने के लिए प्रेरित हुए. शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे तारे के अंतिम पलों के बारे में नई जानकारी मिल सकती है.
एक तारे का ऐसे आकार में बिखर जाना बहुत अनोखा है. तारे की बाहरी वायुमंडलीय परतें पहले बिखरती हैं. फिर, वे ब्लैक होल के आस पास घमती हैं और ऊन के गोले जैसा आकार बनाती हैं. तारे का बचा हुआ हिस्सा भी ब्लैक होल के चारों ओर घूमने लगता है. कहते हैं ब्लैक होल सबकुछ निगल जाता है, बावजूद इसके, तारे का ज्यादातर हिस्सा बच जाता है. ब्लैक होल, एक सामान्य तारे का केवल 1% ही निगलाता है.
Hubble finds hungry black hole twisting captured star into donut shape @NASAGoddard https://t.co/GY97d757lF
— Phys.org (@physorg_com) January 13, 2023
इस हफ्ते सिएटल में हुई अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की 241वीं बैठक में इस शोध के नतीजों का सामने रखा गया था.