रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हिंडन एयरफोर्स बेस पर आज भारतीय वायुसेना को उनका पहला C-295 टैक्टिकल मिलिट्री ट्रांसपोर्ट प्लेन सौंप दिया. रक्षामंत्री हिंडन एयरफोर्स बेस पर देश के पहले भारत ड्रोन शक्ति प्रदर्शनी का उद्घाटन करने पहुंचे थे. इस प्रदर्शिनी में देश की ड्रोन कंपनियों ने अपने-अपने ड्रोन्स का प्रदर्शन किया है. कोई कृषि के लिए तो कोई सर्विलांस के लिए. किसी से हमला कर सकते हैं. तो कोई एंबुलेंस बन जाती है. खैर पहले बात करते हैं C-295 विमान की.
12 दिन पहले ही इस विमान को रिसीव करने वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल वीआर चौधरी स्पेन के सेवील शहर गए थे. भारतीय वायुसेना के पायलट्स के पहले बैच ने इस विमान को उड़ाने की ट्रेनिंग ले ली है. दूसरे बैच के ट्रेनिंग की तैयारी चल रही है. इस प्लेन को दो लोग मिलकर उड़ाते हैं. इसमें 73 सैनिक या 48 पैराट्रूपर्स या 12 स्ट्रेचर इंटेसिव केयर मेडवैक या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मेडिकल अटेंडेंट ले जाए जा सकते हैं. अधिकतम 9250 KG वजन उठा सकता है.
ये है इसकी खासियत
रेंज: 1277 से 4587 किलोमीटर तक (वजन के मुताबिक).
गतिः अधिकतम 482 किलोमीटर प्रतिघंटा.
अधिकतम ऊंचाईः 13,533 फीट.
विंगस्पैन: 84.8 फीट.
लंबाई: 80.3 फीट.
ऊंचाई: 28.5 फीट.
फ्यूलः 7650 लीटर.
छोटे रनवे पर टेकऑफ-लैंडिंग... इसे टेकऑफ करने के लिए 844 मीटर से 934 मीटर लंबाई वाला रनवे चाहिए. उतरने के लिए सिर्फ 420 मीटर का.
हथियार... इसमें छह हार्डप्वाइंट्स होते हैं. यानी हथियार और बचाव प्रणाली लगाने की जगह. दोनों विंग्स के नीचे तीन-तीन. या फिर इनबोर्ड पाइलॉन्स हो सकते हैं. जिसमें 800 किलोग्राम के हथियार लगाए जा सकते हैं.
कितने विमान भारत में बनेंगे, कितने स्पेन में
स्पेन और भारत के बीच 56 विमान बनाने का समझौताहै. पहले 16 विमान स्पेन में बनेंगे. बाकी के 40 को टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) बनाएगी. टाटा वडोदरा में फैक्ट्री बना रहा है. फैक्ट्री 2026 तक बन जाएगी. टाटा ने पिछले साल नवंबर से 40 सी295 विमानों के लिए मेटल कटिंग का काम शुरू कर दिया है.
हैदराबाद फिलहाल इसकी मेन कॉन्स्टीट्यूंट एसेंबली है. वहां पर कई पार्ट्स जमाएंगे. हैदराबाद फैसिलिटी एयरक्राफ्ट के प्रमुख हिस्सों को फैब्रिकेट करेगी. इसके बाद उसे वडोदरा भेजा जाएगा. वडोदरा में सभी C-295 विमान को अंतिम रूप दिया जाएगा. जिसमें इंजन लगेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स सेट किए जाएंगे. इसके बाद उसे वायुसेना को दिया जाएगा. माना जा रहा है 32वें नंबर का विमान स्वदेशी होगा.
भारत के लिए क्यों जरूरी हैं ये विमान
- भारतीय वायुसेना के लिए ट्रांसपोर्ट विमान बेहद जरूरी हैं. ताकि सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को एक जगह से दूसरी जगह पहुचा सकें. इसमें C295 कम वजन के ट्रांसपोर्टेशन में मदद करेगा.
- C295 विमान इंडियन एयरफोर्स के पुराने HS748 एवरोस विमानों की जगह लेंगे. इसके अलावा यूक्रेन से आए एंतोनोव एएन-32 को बदला जाएगा.