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Chandrayaan 3 Rover Findings: 49 फीट दूर से ली गई विक्रम की शानदार तस्वीर, क्या Chandrayaan-3 चांद पर इंसानी बस्ती बनाने में मदद करेगा?

यहां जो तस्वीर दिख रही है, वो Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर की है. फोटो लेने वाले कैमरामैन का नाम है प्रज्ञान रोवर. जिसने 15 मीटर यानी करीब 49 फीट दूर से यह इमेज क्लिक की. लैंडर-रोवर कई चीजें खोज रहे हैं. जानिए अब तक ऐसी कौन सी चीजें मिली हैं, जिनसे चांद पर इंसानी बस्ती बसाई जा सकती है?

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प्रज्ञान रोवर ने विक्रम लैंडर की यह तस्वीर 15 मीटर यानी 49 फीट दूर से ली है. (सभी फोटोः ISRO)
प्रज्ञान रोवर ने विक्रम लैंडर की यह तस्वीर 15 मीटर यानी 49 फीट दूर से ली है. (सभी फोटोः ISRO)

Chandrayaan-3 के लैंडर और रोवर ने चांद की सतह का स्वाद चखा. गड्ढे देखे. उन्हें देख रोवर ने रास्ता बदला. प्रज्ञान रोवर ने तो विक्रम लैंडर की तीन-चार शानदार तस्वीरें भी लीं. अब किसी को ये सबूत देने की जरुरत नहीं है कि भारत का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर मौजूद है. वो बेहद खूबसूरत तस्वीर में दिख रहा है. 

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चंद्रयान-3 की इस शानदार यात्रा और कई तरह की खोज को देख उम्मीद ये बन रही है कि किस तरह से इंसानी बस्ती बसाने में ये मदद करेंगे. क्योंकि ऑक्सीजन मिल गया. सल्फर मिल गया. चांद पर अल्यूमिनियम, लोहा, सिलिकॉन जैसे धातु, खनिज और रसायन मिले हैं. क्या ये सब इंसानी बस्ती बसाने में मदद कर सकते हैं. 

नया वीडियो आया... यंत्र को घुमा कर जांच रहा सतह

चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने फिर से सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि कर दी है. इसके दूसरे पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (APXS) ने भी चांद की सतह पर सल्फर की पुष्टि कर दी है. अब इस बात की जांच की जा रही है कि ये आया कहां से. चांद के अंदर से. ज्वालामुखी से या उल्कापिंडों से. 

इसमें रोवर 18 सेंटीमीटर ऊंचे APXS को गोल-गोल घुमा रहा है. यह चांद की सतह से पांच सेंटीमीटर ऊपर तक जाकर वापस अपनी जगह आ जाता है. इसे यंत्र को अहमदाबाद स्थित फिजिलक रिसर्च लेबोरेटरी ने बनाया है. इसका काम है- चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा. 

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सवाल ये है कि क्या इस तरह की खोज इंसानी बस्ती बसाने में मदद करेगी... आइए जानते हैं कैसे? 

अगर इंसान चांद पर रसायनों और खनिजों को मनमाफिक बदलने के यंत्र ले जाए, तो कई चीजें चांद पर ही बना सकते हैं. इंसानी बस्ती बसाने में मदद मिल सकती है. 

Vikram Lander on Moon

सल्फर... इससे कार बैटरी बनती है. इससे पानी की सफाई कर सकते हैं. निर्माण में स्पष्ट तौर से नहीं लेकिन परोक्ष रूप से कंस्ट्रक्शन में मदद करने के लिए बिजली पैदा कर सकता है.  

अल्यूमिनियम... चांद की सतह पर भारी मात्रा में अल्यूमिनियम भी मिला है. यानी इंसानों के पास सैकड़ों प्रकार की चीजें बनाने का सामान मिल गया है चांद पर. इनसे एस्ट्रींजेंट बनता है. अल्यूमिनियम फॉस्फेट की मदद से कांच बनाया जाता है. सिरेमिक, पल्प या पेपर प्रोडक्ट, कॉस्मेटिक्स, पेंट, वार्निश, धातु की प्लेट जैसी चीजें बनाई जाती हैं. 

यह हल्का और मजबूत होता है. इनसे गाड़ियां, बर्तन, खिड़कियां या इंसानी बस्ती की दीवारें, छतें आदि बनाई जा सकती हैं. यानी इनका इस्तेमाल इंसानी बस्ती में बेहतर तरीके से हो सकता है. कॉयल बनाए जा सकते हैं. केन्स बनाई जा सकती हैं. फॉयल बनाया जा सकता है. 

कैल्सियम...  चांद पर इसकी मात्रा भी पर्याप्त है. यानी इनका इस्तेमाल कई तरह के मेडिकल प्रोडक्ट्स में हो सकता है. कैल्सियम कार्बोनेट की मदद से सीमेंट या मोर्टार बनाया जा सकता है. कांच बनाने में मदद ली जा सकती है. टूथपेस्ट में डाला जा सकता है. दवा, खाद्य पदार्थ बनाने, पेपर ब्लीच, इलेक्ट्रिकल इंसुलेटर्स और साबुन बनाने में मदद मिल सकती है. 

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लोहा... इसका इस्तेमाल ढांचा बनाने में. यातायात के सामान यानी कारें, जहाज, विमान बनाने में. युद्ध के मैदान में. आप बर्तन बनाओ या बम. हर जगह सही रहता है. इमारतें बनाओ या घर के सामान. निर्माण कार्यों में लगाओ या इंसानी शरीर में डालो. अमोनिया प्रोडक्ट बनाएं या फिर चुंबक बनाने में. 

क्रोमियम... इससे कई तरह के एलॉय बनते हैं. जैसे- स्टेनलेस स्टील. लेदर प्रोडक्ट की टैनिंग में मदद करता है. मतलब ये ऐसा प्रोडक्ट है जो लोहा और अल्यूमिनियम के साथ मिलकर कई तरह के शानदार उत्पाद बना सकता है. 

टाइटैनियम... दुनिया का सबसे मजबूत और हल्के वजन का धातु. ये भी चांद पर मिला है. इसका इस्तेमाल एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर बनाने में होता है. इसे बुलेटप्रूफ जैकेट और आर्मर प्लेटिंग में इस्तेमाल करते हैं. नौसैनिक जहाजों को बनाने कि लिए इसका उपयोग होता है. यानी एयरोस्पेस, मेडिकल, केमिकल, मिलिट्री और खेल के सामान बनाने में इसका पूरी दुनिया में इस्तेमाल होता है.  

सिलिकॉन... चांद पर मिले इस पदार्थ का इस्तेमाल धरती पर कई तरह से किया जाता है. कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में, सीमेंट और बिल्डिंग मोर्टार बनान में. सिरेमिक बनाने में. बॉडी इम्प्लांट्स बनाने में जैसे ब्रेस्ट इम्प्लांट्स. कॉन्टैक्ट लेंस. एलॉय बनाने में. इलेक्ट्रिकल स्टील बनाने में. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए सिलूमिन बनाने के लिए. सेमीकंडक्टर्स आदि. 

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