ISRO ने चांद की नई तस्वीरें और वीडियो जारी किया है. ये वीडियो 19 अगस्त का है, जब चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद की सतह से 70 किलोमीटर दूर था. यह तस्वीरें ली हैं लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (Lander Position Detection Camera - LPDC) ने. इस वीडियो में कई क्रेटर्स यानी गड्ढे दिख रहे हैं. जिन्हें बाकायदा नाम के साथ बताया गया है.
इसरो ने बताया कि मिशन अपने शेड्यूल पर चल रहा है. सभी सिस्टम्स की जांच लगातार चल रही है. फिलहाल चांद के चारों तरफ विक्रम लैंडर आराम से चक्कर लगा रहा है. लैंडिंग की लाइव स्ट्रीमिंग 23 अगस्त 2023 की शाम पांच बजकर 20 मिनट से शुरू हो जाएगी. खैर... आप ये जानिए कि जिस कैमरे से ये वीडियो बनाया गया है, वो क्या चीज है.
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 22, 2023
The mission is on schedule.
Systems are undergoing regular checks.
Smooth sailing is continuing.
The Mission Operations Complex (MOX) is buzzed with energy & excitement!
The live telecast of the landing operations at MOX/ISTRAC begins at 17:20 Hrs. IST… pic.twitter.com/Ucfg9HAvrY
LPDC विक्रम लैंडर के निचले हिस्से में लगा हुआ है. यह इसलिए लगाया गया है ताकि विक्रम अपने लिए लैंडिंग की सही और सपाट जगह खोज सके. इस कैमरे की मदद से यह देखा जा सकता है कि विक्रम लैंडर किसी ऊबड़-खाबड़ जगह पर लैंड तो नहीं कर रहा है. या किसी गड्ढे यानी क्रेटर में तो नहीं जा रहा है.
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ट्रायल के लिए ली जा रही हैं तस्वीरें
इस कैमरे को लैंडिंग से थोड़ा पहले फिर से ऑन किया जा सकता है. क्योंकि अभी जो तस्वीर आई है, उसे देखकर लगता है कि यह कैमरा ट्रायल के लिए ऑन किया गया था. ताकि तस्वीरों या वीडियो से यह पता चल सके कि वह कितना सही से काम कर रहा है. चंद्रयान-2 में भी इस सेंसर का इस्तेमाल किया गया था. वह सही काम कर रहा था.
एलपीडीसी का साथ देंगे लैंडर पर लगे ये यंत्र
LPDC का काम है विक्रम के लिए लैंडिंग की सही जगह खोजना. इस पेलोड के साथ लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड अवॉयडेंस कैमरा (LHDAC), लेजर अल्टीमीटर (LASA), लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर (LDV) और लैंडर हॉरीजोंटल वेलोसिटी कैमरा (LHVC) मिलकर काम करेंगे. ताकि लैंडर को सुरक्षित सतह पर उतारा जा सके.
लैंडिंग के समय रहेगी इतनी कम गति
विक्रम लैंडर जिस समय चांद की सतह पर उतरेगा, उस समय उसकी गति 1 से 2 मीटर प्रति सेकेंड के आसपास होगी. लेकिन हॉरीजोंटल गति 0.5 मीटर प्रति सेकेंड होगी. विक्रम लैंडर 12 डिग्री झुकाव वाली ढलान पर उतर सकता है. इस गति, दिशा और समतल जमीन खोजने में ये सभी यंत्र विक्रम लैंडर की मदद करेंगे. ये सभी यंत्र लैंडिंग से करीब 500 मीटर पहले एक्टिवेट हो जाएंगे.
लैंडिंग के बाद काम करेंगे लैंडर के ये पेलोड्स
इसके बाद विक्रम लैंडर में लगे चार पेलोड्स काम करना शुरू होंगे. ये हैं रंभा (RAMBHA). यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. चास्टे (ChaSTE), यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. इल्सा (ILSA), यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA), यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.