चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है. इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेज रहे हैं. यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा. इसके बाद यह चंद्रमा के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा. इसे ऑर्बिटर इसलिए नहीं बुलाते क्योंकि यह चंद्रमा की स्टडी नहीं करेगा.
प्रोपल्शन मॉड्यूल में S-बैंड ट्रांसपोंडर लगा है, जिसके इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) से सीधे संपर्क में रहेगा. यानी लैंडर-रोवर से मिला संदेश यह भारत तक पहुंचाएगा. संदेश भेजने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होगी. रोवर जो भी देखेगा उसके बारे में लैंडर को मैसेज भेजेगा. चंद्रयान-3 के लॉन्च होने के करीब 17 मिनट बाद से उससे मॉनीटर करेगा. साथ ही उससे संपर्क बनाए रखेगा. उसके रास्ते पर नजर रखेगा.
लैंडर उस मैसेज को सीधे IDSN या फिर प्रोप्लशन मॉड्यूल को भेजेगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल में S-Band ट्रांसपोंडर के जरिए कर्नाटक के रामनगर जिले में मौजूद ब्यालालू स्थितत इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क से संपर्क करेगा. IDSN में चार बड़े एंटीना है. 32 मीटर का डीप स्पेस ट्रैकिंग एंटीना, 18 मीटर का डीप स्पेस ट्रैकिंग एंटीना और 11 मीटर का टर्मिनल ट्रैकिंग एंटीना. इनके जरिए संदेश हासिल होगा.
IDSN इसरो के टेलिमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) का हिस्सा है. जहां पर एस-बैंड और एक्स-बैंड के ट्रांसपोंडर्स से संदेश हासिल किया जाता है. इसी आईडीएसएन में ही इसरो नेविगेशन सेंटर भी है. जो IRNSS सीरीज के सैटेलाइट सिस्टम से संदेश हासिल करता है. यहीं पर उच्च स्थिरता वाली परमाणु घड़ी भी है. इसके जरिए ही देश के 21 ग्राउंड स्टेशन पर सपंर्क और कॉर्डिनेशन किया जाता है.
IDSN इसरो के सभी सैटेलाइट्स, चंद्रयान-1, मंगलयान, चंद्रयान-2, नेविगेशन सैटेलाइट्स, कार्टोग्राफी सैटेलाइट्स से संपर्क साधता है. प्रोपल्शन मॉड्यूल की उम्र 3 से 6 महीना अनुमानित है. हो सकता है यह ज्यादा दिनों तक काम करे. यह मॉड्यूल तब तक IDSN के जरिए ही धरती से संपर्क साधता रहेगा.