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चंद्रमा पर चीन की चाल से अमेरिका परेशान, चार साल में ड्रैगन भेज देगा अपने एस्ट्रोनॉट्स

चंद्रमा पर भारत और अमेरिका की बढ़ती गतिविधियां देखकर चीन ने भी चाल चली है. चीन के एक सीनियर एस्ट्रोनॉट ने दावा किया है कि चीन चार-पांच साल में चंद्रमा पर अपना एस्ट्रोनॉट उतार देगा. वो भी एक नहीं सात एस्ट्रोनॉट्स चांद पर जाएंगे. अब ये खबर सुनकर अमेरिका परेशान है. आइए जानते हैं चीन की चाल क्या है?

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स्पेस इंडस्ट्री में चीन की पकड़ लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे अमेरिका और पश्चिमी देश परेशान हो रहे हैं. (सभी फोटोः रॉयटर्स)
स्पेस इंडस्ट्री में चीन की पकड़ लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे अमेरिका और पश्चिमी देश परेशान हो रहे हैं. (सभी फोटोः रॉयटर्स)

चीन एक नहीं बल्कि सात एस्ट्रोनॉट्स को एकसाथ चंद्रमा की सतह पर उतारने की प्लानिंग कर रहा है. वो ये काम 2027-28 में कर देगा. यह दावा किया है चीन के वरिष्ठ एस्ट्रोनॉट ने. चीन इसके लिए नेक्स्ट जेनरेशन स्पेसक्राफ्ट बना रहा है. इसी स्पेसक्राफ्ट में सातों एस्ट्रोनॉट को चंद्रमा पर उतारा जाएगा. इस खबर से अमेरिका परेशान है. 

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चीन ने अपना ह्यमून स्पेस मिशन साल 2003 में शुरू किया था. पहली बार चीनी वैज्ञानिकों ने छोटे से कैप्सूल शेनझोऊ-5 (Shenzhou-5) में यांग लिवी को अंतरिक्ष में भेजा था. यांग लिवी चीन के पहले व्यक्ति बने जो अंतरिक्ष में गए थे. पूरे देश में वो हीरो बन गए. अब चंद्रमा पर सात एस्ट्रोनॉट भेजने की बात यांग ने ही कही है. 

चाइनीज यूनिवर्सिटी में सरकारी अखबार गुआंगझोउ डेली को दिए गए इंटरव्यू में यांग ने कहा कि भविष्य में हम नए जेनरेशन के स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल करने वाले हैं. इसके जरिए ही चीन के एस्ट्रोनॉट चंद्रमा पर जाएंगे. स्पेस स्टेशन बनाएंगे. साथ ही गहरे अंतरिक्ष से संबंधित मिशन को पूरा करेंगे. इस स्पेसक्राफ्ट के टेस्ट सफल हो रहे हैं. 

Chinese Astronauts on Moon

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2020 से हो रही है नई स्पेसक्राफ्ट की टेस्टिंग

यांग ने बताया कि जिस स्पेसक्राफ्ट की बात कर रहे हैं, उसमें यह कैप्सूल है. जिसके सारे टेस्ट सफल होते जा रहे हैं. उम्मीद है कि इसकी पहली उड़ान 2027-2028 के बीच किसी भी समय हो सकती है. यांग फिलहाल चीन के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ डिजाइनर हैं. इस स्पेसक्राफ्ट की पहली टेस्टिंग साल 2020 में की गई थी. 

पिछले साल चीन ने अपना स्पेस स्टेशन बना लिया. तब वापस इस प्रोजेक्ट पर वैज्ञानिकों को फोकस बढ़ा. प्लान हुआ कि 2030 तक अपने एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर भेजा जाएगा. फिलहाल चीन के पास जो स्पेसक्राफ्ट है, उसका नाम है शेनझोउ. यह रूस के सोयुज रॉकेट के बेस पर बना है. यह एस्ट्रोनॉट्स को धरती निचली कक्षा में भेज सकता है. 

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पहले की तुलना में काफी ज्यादा बदलाव किए 

शेनझोऊ में एक लाइफ सपोर्ट और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल है. एक छोटा सा इन-ऑर्बिट मॉड्यूल भी है, ताकि इंसान कम समय के लिए ऑर्बिट में समय बिता सके. इसके अलावा री-एंट्री कैप्सूल ताकि धरती पर वापस आया जा सके. नया स्पेसक्राफ्ट में सिर्फ दो मॉड्यूल होंगे. प्रोपल्शन और रिटर्न मॉड्यूल. ये बड़ा होगा. इसमें सात लोग बैठेंगे. 

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इस बात की पुष्टि साल 2020 में इस स्पेसक्राफ्ट के ट्रायल वर्जन के चीफ डिजाइनर झांग बैनन ने कही थी. नया रिटर्न मॉड्यूल ज्यादा गर्मी बर्दाश्त कर सकता है. यानी चीन इस स्पेसक्राफ्ट को कई बार इस्तेमाल करने की तैयारी में है. 

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