चीन ने चंद्रमा के ऑर्बिट में अपने नए मून मिशन Chang'e 6 को पहुंचा दिया है. कुछ ही समय में यह चांद के अंधेरे वाले हिस्से में लैंड करेगा. लेकिन चीन ने नई चाल चली है. उसने अपने प्री-लॉन्च फोटो जारी किए. जिसमें चांगई 6 स्पेसक्राफ्ट में एक सीक्रेट रोबोटिक रोवर लगा दिखा. इसका मकसद क्या है ये चीन ने नहीं बताया.
नई तस्वीरों में यह सीक्रेट रोबोटिक रोवर दिखाई पड़ा है. जिसके बारे में चीन ने कोई जानकारी दुनिया को नहीं दी है. चीन का यह मिशन 8 मई 2024 यानी आज चंद्रमा के ऑर्बिट में पहुंच गया है. इसका लैंडर 1 जून 2024 को ऑर्बिटर से अलग होगा. 2 जून 2024 को सैंपल जमा करेगा. 4 जून 2024 को चांद की सतह से एसेंट व्हीकल उड़ान भरेगा.
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6 जून 2024 को यह एसेंट व्हीकल ऑर्बिटल सर्विस मॉड्यूल तक पहुंचेगा. फिर यह मॉड्यूल 25 जून को वापस धरती पर वापस आएगा. ये तो इस मिशन की पूरी टाइमलाइन हो गई. लेकिन यह सीक्रेट रोवर रोबोट क्या करेगा? क्योंकि इस मिशन का मुख्य पेलोड तो इसका लैंडर है, जो चांद की सतह पर उतरेगा.
सीक्रेट पेलोड ले जा रहा है चीन का मून मिशन
स्पेसन्यूज के मुताबिक चीन ने चांद पर अपने मून मिशन चांगई 6 के साथ फ्रांस, स्वीडन, इटली और पाकिस्तान के पेलोड्स को भी भेजा है. जिनके बारे में कुछ बताया नहीं गया है. इसके अलावा एक अतिरिक्त पेलोड भी है. जिसे सीक्रेट रोवर कह रहे हैं. इसे शंघाई इंस्टीट्यूट ऑफ सिरेमिक्स ने बनाया है. कहते हैं कि ये एक इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर है.
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नाम के मुताबिक यह लगता है कि यह मिनी रोबोटिक रोवर चांद की सतह से निकलने वाले रेडिएशन की स्टडी करेगा. ताकि वह मौजूद पत्थरों, मिट्टी, रिगोलिथ और सतह की जांच कर सके. इसकी मदद से पानी की खोज भी की जा सकती है. दिक्कत ये है कि इस रोवर को स्पेसक्राफ्ट के बाहर क्यों अटैच किया गया है. यह कैसे जमीन पर उतरेगा, उसका खुलासा भी नहीं किया गया है.
यह रोवर वाई-फाई या ब्लूटूथ के जरिए लैंडर से संपर्क में रहेगा. लेकिन यह मिशन बेहद छोटे समय के लिए है. इसलिए यह सीक्रेट रोवर ज्यादा समय तक चांद की सतह पर समय नहीं बिता पाएगा. इसका काम और मकसद भी छोटा ही होगा. चीन के स्पेस प्रोग्राम को कवर करने वाले मीडिया प्रोफेशनल एंड्र्यू जोन्स ने ट्वीट किया उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि चीन कुछ सीक्रेट मिनी रोवर चांगई 6 लैंडर के साथ भेज रहा है.
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Yeah, okay. That looks like a previously undisclosed mini rover on the side of the Chang'e-6 lander lol. Via CAST: https://t.co/gS0Jy5L9hw pic.twitter.com/9vvTnribpl
— Andrew Jones (@AJ_FI) May 3, 2024
चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से में पूरा होगा यह मिशन
हमारी आंखों से चंद्रमा का सिर्फ एक ही हिस्सा दिखता है. इसे नीयर साइड कहते हैं. लेकिन इसके पिछले हिस्से को डार्क या फार साइड कहते हैं. क्योंकि यह हमारी नजरों से नहीं दिखता. इसलिए नहीं क्योंकि वहां सूरज की रोशनी नहीं पड़ती, बल्कि इसलिए क्योंकि चंद्रमा धरती के साथ टाइडली लॉक्ड है.
पिछले कुछ वर्षों से चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से पर बहुत चर्चा हो रही है. माना जाता है कि चंद्रमा के फार साइड का क्रस्ट यानी जमीनी लेयर ज्यादा मोटी है. उसमें ज्यादा गड्ढे हैं. इसमें मैदानी इलाके नहीं हैं. यहां कभी लावा बहा ही नहीं. इसलिए चीन ने चंद्रमा के पिछले हिस्से से सैंपल लाने के लिए चांगई 6 स्पेसक्राफ्ट भेजा है.
Chang'e 6 मून मिशन क्या करेगा चंद्रमा पर जाकर?
चांगई 6 मिशन कुल मिलाकर 53 दिनों का है. चांद के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद इसका ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद इसका लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद एटकेन बेसिन में उतरेगा. यह बेसिन 2500 किलोमीटर व्यास का है. यह बेसिन एक बड़े पत्थर के टकराने की वजह से बना था.
यह बेसिन हमारे सौर मंडल में सबसे ज्यादा बड़ा गड्ढा है. चांगई 6 स्पेसक्राफ्ट इस जगह से मिट्टी, पत्थर के सैंपल लेगा. ताकि वैज्ञानिक इसकी जांच करके चंद्रमा के इतिहास का पता कर सकें. यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की सतह पर ड्रिलिंग करेगा. चीन दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव के अंधेरे वाले हिस्से में सॉफ्ट लैंडिंग की है. 2019 में उसके चांगई-4 मिशन ने चंद्रमा के वॉन कारमान क्रेटर पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी. सैंपल भेजा था.