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ब्रह्मांड को चलाने वाले रहस्यमयी कण की टेस्टिंग करेगा चीन... जमीन के 2300 फीट नीचे नई लैब तैयार

यहां जो तस्वीर दिख रही है, वो विज्ञान का चमत्कार साबित हो सकती है. जमीन से 2300 फीट नीचे इस गोले में हजारों रोशनी पकड़ने वाले ट्यूब्स लगे हैं. ये गोला 12 मंजिला ऊंचे ट्यूब के अंदर है, जिसमें पानी भरा है. ये गोला बताएगा कि हमारे गोले (Earth) पर न्यूट्रीनो का क्या असर होता है? एक ताकतवर लेकिन एटम से छोटा कण...

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चीन के गुआंगडोंग प्रांत के जियांगमेन जिले में मौजूद JUNO लेबोरेटरी. (फोटोः रॉयटर्स)
चीन के गुआंगडोंग प्रांत के जियांगमेन जिले में मौजूद JUNO लेबोरेटरी. (फोटोः रॉयटर्स)

Neutrino... ये शब्द दिमाग में आते ही सबसे पहले याद आती है साल 2009 में आई हॉलीवुड फिल्म 2012. एक साइंस फिक्शन जिसे रोलैंड एमरिच ने निर्देशित किया था. दुनिया न्यूट्रीनो की मात्रा बढ़ने की वजह से कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रही थी. लीड कैरेक्टर यानी हीरो जॉन क्यूसेक अपने परिवार को बचाने के लिए चीन पहुंचता है. अब असली कहानी ... 

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चीन अपने गुआंगडॉन्ग प्रांत के जियांगमेन शहर में जमीन से 700 मीटर नीचे यानी 2300 फीट नीचे नया प्रयोग करने जा रहा है. यह जियांगमेन अंडरग्राउंड न्यूट्रीनो ऑब्जरवेटरी (JUNO) बनाई गई है. जिसमें ब्रह्मांड में पाए जाने वाले सबसे रहस्यमयी कण न्यूट्रीनो की खोज की जाएगी. उनके व्यवहार और सक्रियता के असर की स्टडी की जाएगी. 

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China, Jiangmen Underground Neutrino Observatory, JUNO

JUNO में जमीन के 2300 फीट नीचे एक बड़ा गोला बना है. जिसमें हजारों लाइट-डिटेक्टिंग ट्यूब्स हैं. इस गोले और ट्यूब्स को 12 मंजिला ऊंचे सिलेंडर जैसी जगह के अंदर रखा गया है. जिसमें पानी भरा है. इस ऑब्जरवेटरी को बनाने में 300 मिलियन डॉलर्स यानी 2521 करोड़ रुपए से ज्यादा लगे हैं. जल्द ही लैब में प्रयोग शुरू होंगे. 

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पहले जानते हैं क्या होते हैं न्यूट्रीनो? 

हम आपको यहां पर पार्टिकल फिजिक्स नहीं बताएंगे. सामान्य भाषा में समझाते हैं. पिछले साल लार्ज हैड्रन कोलाइडर में वैज्ञानिकों को दुनिया का सबसे ताकतवर और भूतिया कण Neutrinos मिला था. जब किसी परमाणु का केंद्र टूटता या किसी अन्य से जुड़ता है, तब न्यूट्रिनो निकलते हैं. न्यूट्रीनों ही ब्रह्मांड को चलाते हैं. 

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China, Jiangmen Underground Neutrino Observatory, JUNO

माना जाता है कि इनसे ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है. यह एक सबएटॉमिक कण है, जो दिखता नहीं. फोटोन के बाद ब्रह्मांड में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है. लेकिन इन कणों में कोई इलेक्ट्रिक चार्ज नहीं होता. जिस समय आप यह स्टोरी पढ़ रहे होंगे, आपके शरीर से अरबों-खरबों न्यूट्रिनो आरपार आ-जा रहे होंगे. 

न्यूट्रिनो का वजन लगभग कुछ नहीं होता. यानी एकदम जीरो. ये आमतौर पर न्यूक्लियर फ्यूजन के समय निकलते हैं. इनके पैदा होने के लिए तारे, ग्रह और सुपरनोवा विस्फोट भी जिम्मेदार हैं. इनसे ग्रहों की ग्रैविटी पर असर पड़ता है. जब न्यूट्रिनो आपस में टकराते हैं तो तेज रोशनी पैदा करते हैं. 

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China, Jiangmen Underground Neutrino Observatory, JUNO

चीन इनके साथ क्या करने वाला है? 

चीन अपने JUNO लैब में सबसे हल्के और भारी न्यूट्रीनो की खोज करेगा. ब्रह्मांड कैसे बना ये पता करेगा. इस लैब में सिर्फ चीन के ही वैज्ञानिक नहीं बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक काम करने आने वाले हैं. ये लैब दो गुआंगडॉन्ग न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के पास है. यहां यह लैब छह साल तक पावर प्लांट की वजह से निकलने वाले न्यूट्रीनो की स्टडी करेगा. इसके लिए वह यूरेनियम और थोरियम के रेडियोएक्टिव डिके की स्टडी भी कर सकता है. 

उम्मीद है कि अगले साल के दूसरे हिस्से में JUNO अपना काम करना शुरू कर देगा. यह अमेरिका में डीप अंडरग्राउंड न्यूट्रीनो एक्सपेरीमेंट (DUNE) से कई गुना बड़ा है. ड्यून को ऑनलाइन आने में अभी छह साल का समय लगेगा. ड्यून को फर्मीलैब और एलबीएनएफ मिलकर संचालित कर रहे हैं. 

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