ताइवान के साथ चलते तनाव के बीच चीन ने अपना एक खास जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर खड़ा कर दिया है. कहने को चीने इसे रिसर्च वेसल कहता है. लेकिन असल में यह जासूसी का काम करता है. यह जहाज सैटेलाइट्स की ट्रैकिंग और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की निगरानी में काम आता है. यानी चीन अपनी रक्षा के लिए इस जहाज को अपने द्वारा लीज पर लिए गए बंदरगाहों पर तैनात कर सकता है.
चीन के इस जहाज का नाम है युआन वांग 5 (Yuan Wang 5). युआन वांग का शाब्दिक अर्थ है लॉन्ग व्यू. यानी लंबी दृष्टि. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पास ऐसे चार जहाज है. 2 रिटायर हो चुके हैं. एक को बतौर टारगेट चीन ने ही उड़ा दिया था अपनी किसी मिसाइल का परीक्षण करने के दौरान. यह जहाज सिर्फ और सिर्फ सैटेलाइट्स और मिसाइल की ट्रैकिंग के लिए काम आता है.
चीन के पास युआन वांग सीरीज के कुल 7 जहाज थे. श्रीलंका में खड़ा युआन वांग 5 (Yuan Wang 5) तीसरी पीढ़ी का ट्रैकिंग जहाज है. इसका डिस्प्लेसमेंट 25 हजार टन है. यह समुद्र में 37 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलता है. इसपर किसी तरह के एयरक्राफ्ट की सुविधा नहीं है. लेकिन Z-8 जैसे हेलिकॉप्टर की लैंडिंग संभव है.
युआन वांग 5 (Yuan Wang 5) में डीजल इंजन लगा है. इसकी लंबाई करीब 620 फीट है. इसपर 450 से ज्यादा लोग तैनात हो सकते हैं. आमतौर पर इन जहाजों से चीन अपने सैटेलाइट्स की ट्रैकिंग करता है. लेकिन जरुरत पड़ने पर दुश्मन के सैटेलाइट्स और मिसाइलों पर भी नजर रख सकता है. इसकी रेंज और क्षमता के बारे में चीन ने कहीं भी ज्यादा जानकारी नहीं दी है. लेकिन यह निगरानी, जासूसी और सर्विलांस में काफी ज्यादा ताकतवर है.
श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह राजधानी कोलंबो से 250 किलोमीटर दूर है. इस बंदरगाह को चीन ने श्रीलंका से लीज पर लिया है. क्योंकि वह चीन से लिया हुआ लोन वापस नहीं कर पाया था. इस जासूसी जहाज के तैनात होने की वजह से भारत की रक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है.