कल यानी 25 दिसंबर 2022 को क्रिसमस है. खुशियों और रोशनी का त्योहार है. हमारे शरीर में भी हरे और लाल रंग की कोशिकाएं होती हैं, जो क्रिसमस का पेड़ बना देती हैं. असल में यह तस्वीर एक साइंटिस्ट के ट्वीट से ली गई है, जो उन्होंने अपने माइक्रोस्कोप के नीचे तैयार किया है. आइए आपको बताते हैं इस पूरे प्रोसेस की असली कहानी क्या है?
इंसानी शरीर के क्रिसमस ट्री को बनाने वाले मैथियस विक्टर मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में HHMI Hanna Gray पोस्टडॉक फेलोशिप कर रहे हैं. इनके काम का फील्ड न्यूरोडीजेनरेशन और स्टेम सेल बायोलॉजी है. उन्होंने अपनी स्लाइड में iPS (Induced Plutipotent Stem Cells) डिराइव्य माइक्रोग्लिया लाइक सेल्स को ब्रेन ऑर्गेनॉयड्स में ट्रांसप्लांट कर दिया. इसके बाद नजारा आपके सामने है. लाल रंग के माइक्रोग्लिया सेल्स हरे रंग के ब्रेन ऑर्गेनॉयड्स के बीच तैरते दिखे. अंतर दिखाने के लिए इन कोशिकाओं को अलग-अलग रंग की रोशनी से रंग दिया.
Feliz Navidad
— Matheus Victor (@MatBVictor) December 23, 2022
Prospero Ano y Felicidad.
I wanna wish you a Merry Christmas
I wanna wish you a Merry Christmas
I wanna wish you a Merry Christmas
From the bottom of my 96-well plate! 🔬🧠🤓
iPS-Derived microglia-like cells (red) transplanted into Brain Organoids (green). pic.twitter.com/MT1uJF7clB
असल में माइक्रोग्लिया सेल्स को ब्रेन ऑर्गेनॉयड्स के साथ मिलाकर स्टडी की जा रही है. इससे दुनिया भर के लोगों को मानसिक बीमारियों से राहत दिलाने का प्रयास किया जा रहा है. iPS डिराइव्ड माइक्रोग्लिया लाइक सेल्स हमारी स्किन या खून की कोशिका से लिए जाते हैं. उन्हें रीप्रोग्राम किया जाता है. जैसे कि वो शुरुआत में भ्रूण में जब डेवलप हो रहे थे. यानी प्लूरीपोटेंट स्टेट. ऐसी स्थिति जब यह माइक्रोग्लिया किसी भी तरह की कोशिका में बदल सकता है.
भ्रूण के अंदर प्लूरोपोटेंट स्टेट में मौजूद माइक्रोग्लिया कोशिका भगवान जैसी होती है. ये किसी भी तरह की कोशिका में बदल सकती है. कैसा भी रूप रख सकती है. अगर इसे खराब ब्रेन ऑर्गेनॉयड्स से मिलाया जाता है, तो दिमाग से संबंधित कई तरह की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. जैसे अल्जाइमर्स, ब्रेन स्ट्रोक से जुड़ी क्षतिग्रस्त दिमागी कोशिकाओं को सुधारा जा सकता है. iPS माइक्रोग्लिया एक तरह का स्टेम सेल है, जो कुछ भी अच्छा कर सकता है. यानी इन कोशिकाओं से इंसान किसी भी तरह की कोशिका बना सकता है, जिसका अलग-अलग तरह के इलाज में इस्तेमाल कर सकते हैं.
माइक्रोग्लिया असल में हमारे शरीर में मौजूद रेसीडेंट इम्यून सेल्स होते हैं. जो हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम में पाए जाते हैं. ये ही हमारे दिमाग को विकसित करते हैं. यानी हमारे शरीर के सबसे जरूरी हिस्से को माइक्रोग्लिया ही बनाता है. ये कोशिकाएं दिमाग में होने वाले संक्रमणों को रोकते हैं. इसके अलावा शरीर में होने वाले किसी भी तरह के सूजन को रोकने में मदद करते हैं. खासतौर से इनका काम दिमाग को स्वस्थ रखना होता है.
माइक्रोग्लिया बेहद सक्रिय, तेज-तर्रार, लगातार घूमते रहने वाली कोशिकाएं होती हैं. ये लगातार पूरे दिमाग में घूमते हुए उसके हेल्थ का चेकअप करती रहती हैं. जहां कोई दिक्कत दिखती है, तुरंत उसे सुधारने में लग जाती हैं. ये कोशिकाएं अगर कम होती हैं, या खत्म होती हैं तो इंसान का दिमाग कई तरह की बीमारियों से जूझने लगता है. इसलिए इन कोशिकाओं का इस्तेमाल शरीर के लिए बेहद जरूरी है.
भविष्य में माइक्रोग्लिया स्टेम सेल्स की मदद से इंसान शरीर और दिमाग की कई बीमारियों को ठीक कर सकेगा. क्योंकि इसे लेकर दुनिया भर में प्रयोग चल रहे हैं. अक्सर इनकी सफलताओं के रिपोर्ट्स आते रहते हैं. इसलिए यह खुशी देने वाली कोशिका हैं. जिसका शरीर में रहना जरूरी है. यानी क्रिसमस का त्योहार तो आपके शरीर में ही है.