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Climate Change: जलवायु परिवर्तन बदल रहा है पैटर्न, उत्तर की ओर शिफ्ट हो रही है बारिश... अगले 20 साल यही हाल रहेगा

क्लाइमेट चेंज की वजह से बारिश लगातार उत्तर की तरफ बढ़ रही है. इसका असर भूमध्य रेखा के आसपास के इलाकों में ज्यादा देखने को मिल रहा है. अच्छा-खासा असर भारत में भी देखने को मिल रहा है. तभी तो हिमालय की तरफ पहुंचने वाली बारिश से बड़ी आपदाएं आ रही हैं. जो पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हैं.

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मानसून के दौरान हिमालय के पहाड़ों के हरे-भरे जंगल से गुजरती हुई घाटी के सुंदर प्राकृतिक दृश्य. (फोटोः गेटी)
मानसून के दौरान हिमालय के पहाड़ों के हरे-भरे जंगल से गुजरती हुई घाटी के सुंदर प्राकृतिक दृश्य. (फोटोः गेटी)

लगातार हो रहे कार्बन उत्सर्जन और क्लाइमेट चेंज की वजह से ट्रॉपिकल बारिश शिफ्ट हो रही है. यह उत्तर की तरफ जा रही है. यह पूरी दुनिया में हो रहा है लेकिन इसका भारत पर भी सीधे तौर पर पड़ रहा है. पिछले कुछ वर्षों को देखिए... बारिश ज्यादा से ज्यादा उत्तर की तरफ जा रही है. हिमालय की तरफ. जिससे बड़ी आपदाएं आ रही हैं. 

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यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के क्लाइमेट साइंटिस्ट्स ने स्टडी करके यह खुलासा किया है. जलवायु परिवर्तन की वजह से भूमध्य रेखा के आसपास बारिश में बदलाव हो रहा है. जिसका असर दुनिया के कई देशों की खेतीबाड़ी और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.  मुद्दा ये है कि बारिश उत्तर दिशा की तरफ क्यों भाग रही है?

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Climate Change, Rainfall Pattern

तेजी से बढ़ता उत्सर्जन बारिश को उत्तर दिशा की तरफ धकेल रहा है. यह कोई आसान प्रक्रिया नहीं है. यह बेहद जटिल स्थिति है. या यूं कहें कि जटिल परिस्थितियों का समूह है. जो बारिश को साल-दर-साल नॉर्थ की तरफ बढ़ा रहा है. भूमध्य रेखा के आसपास का इलाका दुनिया में होने वाली करीब एक तिहाई बारिश की वजह बनता है.  

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जहां हवाएं करती है क्रॉस-कनेक्शन, वहीं से बदलता है दुनिया का मौसम

अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ), भूमध्य रेखा के आसपास का क्षेत्र है जहां उत्तर और दक्षिणी गोलार्ध से आने वाली हवाएं एक दूसरे को काटती हैं. इस इलाके खासियत यही है कि यहां हवाओं का क्रॉस कनेक्शन होता है. जिससे बादल बनते हैं और बारिश होती है. 

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Climate Change, Rainfall Pattern

ट्रॉपिकल वर्षावनों में साल भर में 14 फीट तक बारिश, जानिए कैसे...?

आपस में एक दूसरे को काटने के बाद हवाएं ऊपर जाती हैं. ऊपर तापमान कम होता है. इनसे समंदर से भारी मात्रा में नमी आती है. जैसे-जैसे नमी वाली हवाएं ऊंचाई पर ठंडी होती है, इनसे बादल बनते हैं. फिर गरज के साथ इन्हीं बादलों से बारिश होती है. कई ट्रॉपिकल वर्षावनों में तो एक साल में 14 फीट तक बारिश होती है. 

अगले 20 साल उत्तर की तरफ जाएगी बारिश, फिर हजार साल के लिए दक्षिण

स्टडी करने वाले शोधकर्ता वेई लियू ने बताया कि बारिश का उत्तर दिशा की तरफ जाना अगले दो दशकों तक होता रहेगा. फिर दक्षिणी महासागरों के गर्म होने से बनने वाला मजबूत प्रभाव इस तरह के मौसम वापस दक्षिण की ओर खींच लेगा. उन्हें अगले हजार सालों तक वहीं बनाए रखेगा.

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खेतीबाड़ी और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है मौसमी बदलाव का असर

भूमध्य रेखा के आसपास के क्षेत्र जैसे मध्य अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और प्रशांत द्वीप समूह इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगें. इन इलाकों में कई तरह फसलें उगाई जाती हैं. जैसे कॉफी, कोको, पाम ऑयल, केला, गन्ना, चाय, आम और अनानास. इन इलाकों में बारिश में आया थोड़ा सा बदलाव अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकता है. 

यह स्टडी नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी में जलवायु मॉडल में महासागर, समुद्री बर्फ, भूमि और वायुमंडल से जुड़े कई फैक्टर्स को शामिल किया है. ये सभी एकदूसरे पर असर डालते हैं. पिछले कुछ दशकों की तुलना में बारिश इस समय 0.2 डिग्री उत्तर की ओर चली गई है.  

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