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मुंबई से शंघाई, न्यूयॉर्क से लंदन तक... क्या समंदर में डूब जाएंगे दुनिया के बड़े शहर?

वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) की ताजा रिपोर्ट में चेताया गया है कि दुनियाभर में समुद्र का जल स्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा है और अगर ऐसे ही चलता रहा तो इसकी जद में दुनिया के बड़े शहर आ जाएंगे. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई, ढाका, शंघाई, लंदन, न्यूयॉर्क समेत दुनिया के कई शहरों पर खतरा मंडरा रहा है.

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बढ़ते समुद्री जल स्तर का खतरा कई देशों पर मंडरा रहा है. (फाइल फोटो)
बढ़ते समुद्री जल स्तर का खतरा कई देशों पर मंडरा रहा है. (फाइल फोटो)

क्या हो कि आप अभी जहां रह रहे हैं, वो जगह आज से कुछ सालों बाद समंदर में समा जाए? हो सकता है कि इस बात को आप हल्के में लें या काल्पनिक समझें, लेकिन ऐसा हो सकता है. उसकी वजह है क्लाइमेट चेंज. 

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वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) की रिपोर्ट बताती है कि 2013 से 2022 के बीच समुद्र का जल स्तर हर साल औसतन 4.5 मिलीमीटर बढ़ रहा है. हालांकि, ये जल स्तर सब जगह एक जैसा ही नहीं बढ़ रहा है. कुछ इलाकों में ज्यादा बढ़ रहा है तो कुछ इलाकों में कम. 

ये रिपोर्ट बताती है कि जिस तेजी से समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है, उससे छोटे-छोटे आइलैंड को बड़ा खतरा है. इतना ही नहीं, इससे भारत, चीन, नीदरलैंड्स और बांग्लादेश को भी खतरा है, क्योंकि इन देशों की बड़ी आबादी तटीय इलाकों के आसपास रहती है.

इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि समुद्र का जल स्तर बढ़ने की वजह से मुंबई, शंघाई, ढाका, बैंकॉक, जकार्ता, मापुटो, लागोस, कायरो, लंदन, कोपेनहेगन, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, ब्यूनोस एयर्स और सैनटियागो जैसे शहरों को खतरा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये बड़ी आर्थिक, सामाजिक और मानवीय चुनौती है.

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इस पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, 'बढ़ता समुद्री जल स्तर भविष्य को डुबा रहा है.' उन्होंने कहा कि बढ़ता समुद्री जल स्तर न सिर्फ अपने आप में खतरा है, बल्कि इसके और भी खतरे हैं. जैसे इसकी वजह से पानी, खाना और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच को खतरा है, खारापन बढ़ने से समुद्री जीवों के जीवन को खतरा है, साथ ही इससे टूरिज्म भी प्रभावित होगा, और इन सब वजहों से इसके आर्थिक नुकसान हैं.

WMO ने चेतावनी दी है कि बढ़ता समुद्री जल स्तर बड़ी चुनौती बन रहा है. (फाइल फोटो- Getty Images)

किस तेजी से बढ़ रहा है जल स्तर?

WMO की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1900 के बाद से समुद्र का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 1993 से 2002 के बीच हर साल औसतन 2.1 मिमी जल स्तर बढ़ा था, जबकि 2003 से 2012 के बीच सालाना औसतन 2.9 मिमी जल स्तर बढ़ा. वहीं, 2013 से 2022 के बीच हर साल औसतन 4.5 मिमी जल स्तर बढ़ा है.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढ़ने नहीं दिया गया, तब भी अगले दो हजार साल में समुद्री जल स्तर हर साल औसतन 2 से 3 मीटर तक बढ़ जाएगा. 

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इसमें कहा गया है कि अगर तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो समुद्री जल स्तर 2 से 6 मीटर तक बढ़ सकता है. अगर 5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जाता है तो फिर 19 से 22 मीटर तक जल स्तर बढ़ने का खतरा है.

रिपोर्ट बताती है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का बहुत ज्यादा उत्सर्जन होता है तो 2100 तक ही समुद्री जदल स्तर 2 मीटर तक बढ़ जाएगा और 2300 तक 15 मीटर तक बढ़ने की आशंका है.

न्यूयॉर्क के कई हिस्से डूब सकते हैं. (सांकेतिक फोटो- Getty Images)

कितना बड़ा खतरा है ये?

WMO की रिपोर्ट के मुताबिक, तीन हजार सालों में 20वीं में पहली बार ऐसा हुआ जब समुद्र का जल स्तर इतनी तेजी से बढ़ा है. इतना ही नहीं, 11 हजार सालों में पहली बार समुद्र इतना गर्म हुआ है.

इसमें चेताया गया है कि अगर मान लिया जाए कि समुद्र का जल स्तर कम से कम हर साल औसतन 0.15 मीटर तक भी बढ़ता है तो बाढ़ से प्रभावित होने वाली आबादी 20 फीसदी बढ़ जाएगी. 0.75 मीटर बढ़ने पर ये आबादी दोगुनी और 1.4 मीटर बढ़ने पर तीन गुनी हो जाएगी. 

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने मंगलवार को कहा कि दुनिया की 10 फीसदी आबादी यानी करीब 90 करोड़ लोग तटीय इलाकों में रहते हैं और समुद्री जल स्तर बढ़ने से इन पर सबसे ज्यादा खतरा है. इसका मतलब हुआ कि पृथ्वी पर रहने वाला हर 10 में से 1 व्यक्ति इससे प्रभावित होगा. उन्होंने बताया कि कई अफ्रीकी देशों में समुद्री जल स्तर बढ़ने से लोगों की आजीविका खत्म हो गई है.

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गुटेरेस का कहना है कि समुद्री जल स्तर बढ़ने से कई आइलैंड या देश गायब हो सकते हैं. बड़े पैमाने पर पलायन भी होगा. रहने के लिए जमीन नहीं होगी, पीने के लिए पानी नहीं होगा, और भी कई सारे संसाधनों की कमी आ जाएगी.

संयुक्त राष्ट्र में मंगलवार को इस रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान ये भी निकलकर सामने आया कि बढ़ते जल स्तर की वजह से 80 से भी कम साल में 25 से 45 करोड़ लोगों को रहने के लिए नई जगह ढूंढनी पड़ सकती है.

मुंबई स्थित गेटवे ऑफ इंडिया (फाइल फोटो- Getty Images)

 क्यों बढ़ रहा है जल स्तर?

इसकी सबसे बड़ी वजह है क्लाइमेट चेंज. WMO की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1971 के बाद समुद्र का जल स्तर तेजी से बढ़ने की वजह इंसान हैं. 

इसके मुताबिक, 1901 से 1971 के बीच समुद्र का जल स्तर सालाना 1.3 मिमी तक बढ़ रहा था, जबकि 1971 से 2006 के बीच हर साल 1.9 मिमी तक बढ़ा. वहीं, 2006 से 2018 के बीच हर साल औसतन 3.7 मिमी जल स्तर बढ़ा. 

क्लाइमेट चेंज होने की वजह से धरती का तापमान बढ़ रहा है और इस वजह से बर्फ पिघल रही है और समंदर भी गर्म हो रहे हैं. 

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संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि हर साल अंटार्कटिका में 150 अरब टन बर्फ पिघल रही है. हिमालय के ग्लेशियर पिघलने की वजह से पाकिस्तान में बाढ़ आ रही है. संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि जैसे-जैसे ये ग्लेशियर पिघलते जाएंगे, वैसे-वैसे नदियां सिकुड़ती जाएंगी.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस कारण लोगों को नई जगह तलाशनी पड़ेगी. (फाइल फोटो-Getty Images)

भारत पर क्या हो सकता है असर?

WMO की रिपोर्ट में भारत के लिए भी चेतावनी है. ये बताती है कि बढ़ते समुद्री जल स्तर से भारत को भी खतरा है. सबसे ज्यादा खतरा मुंबई को है.

2021 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज यानी IPCC ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के आधार पर नोएडा स्थित फर्म RMSI ने अनुमान लगाया था कि बढ़ते समुद्री जल स्तर के कारण 2050 तक मुंबई, कोच्चि, मंगलौर, चेन्नई, विशाखापट्टनम और तिरुवनंतपुरम समेत कई शहर डूब सकते हैं.

हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि पूरा का पूरा शहर गायब हो जाएगा. लेकिन समुद्र का जल स्तर बढ़ने की वजह से निचले तटीय इलाकों में बसे गांव और इलाके जरूर प्रभावित हो सकते हैं. 

बढ़ते समुद्री जल स्तर का खतरा भारत पर इसलिए भी है क्योंकि इसकी 7,500 किलोमीटर लंबी तटीय सीमा है, जहां घनी आबादी बसी हुई है. इसके अलावा लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार जैसे द्वीप भी हैं.

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