फेस रिकगनिशन (Face Recognition) टेक्नोलॉजी के जरिए किसी भी व्यक्ति के चेहरे के माध्यम से उसकी पहचान सुनिश्चित की जाती है. फेस रिकगनिशन टेक्नोलोजी का उपयोग करके फोटो, वीडियो या रियल टाइम में लोगों की पहचान की जाती है. इसमें आरोपी की 3D Image ली जाती है. ये इमेज ठीक उसी एंगल से ली जाती है जैसा कि आरोपी वीडियो में या CCTV में दिख रहा होता है.
इसके बाद CFSL के एक्सपर्ट आरोपी की CCTV या वीडियो में से उसका ग्रैब निकालते है. उसके बाद ग्रैब और सीएफएसएल द्वारा ली गई आरोपी की फोटो को फोरेंसिक लैब भेजते हैं. वहां सीएफएसएल के एक्सपर्ट Amped नाम के सॉफ्टवेयर में दोनों तस्वीरों को अपलोड करते है. इसी सॉफ्टवेयर से पता लगता है कि दोनों तस्वीरों में एक ही शख्स है या नहीं.
फेस रिकगनिशन टेस्ट की रिपोर्ट 2 से 3 दिनों में आती है. क्योंकि दिल्ली पुलिस के पास पहले से अफताब का वीडियो है. लिहाजा फेस रिकगनिशन टेक्नोलोजी का इस्तेमाल करके अफताब का फेस रिकगनिशन टेस्ट किया जाएगा. टेस्ट में जो इमेज सामने आएगी उसका वीडियो में मौजूद अफताब के इमेज से मिलान होगा. इससे पुष्टि होगी की वीडियो में दिख रहा शख्स अफताब ही है या नहीं.
इसके अलावा आफ़ताब की वॉयस सैंपल भी लिए गए हैं. दरअसल आफ़ताब का एक ऑडियो क्लिप दिल्ली पुलिस के हाथ लगा है. इस क्लिप में आफ़ताब श्रद्धा से झगड़ा कर रहा है. अब दिल्ली पुलिस वॉयस सैंपल टेस्ट से ये पुख्ता करना चाहती है कि जो ऑडियो क्लिप दिल्ली पुलिस को मिला है वह ऑडियो क्लिप आफताब का ही है.
आरोपी का जो ऑडियो क्लिप दिल्ली पुलिस को मिला है वैसा ही कंटेंट CFSL के अधिकारी आरोपी को लिख कर देते हैं. उसे पढ़ने के लिए कहा जाता है. आरोपी का वॉयस रिकॉर्ड होता है. इसके बाद Goldwave Multispeech नाम के सॉफ्टवेयर में दोनों आवाजों को डालकर मिलान किया जाता है. यह एक जैसे शब्दों को छांट कर अलग कर देता है. उसके बाद कंप्यूटर स्पील लैब के जरिए उन शब्दों का मिलान किया जाता है. CFSL के अधिकारी Voice Sample रिपोर्ट तैयार करते है. ये रिपोर्ट ECG के ग्राफ़िक्स की तरह होती है.