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Yamuna River: 57 साल के सबसे निचले स्तर पर पानी, कहीं 'सरस्वती' न बन जाए यमुना?

Delhi Water Crisis: दिल्ली में यमुना का पानी 57 साल के सबसे निचले स्तर पर है. साल 1965 के बाद पहली बार यमुना का जलस्तर इतना नीचे गया है. जिसकी वजह से दिल्ली जल बोर्ड ने चेतावनी जारी की है कि लगभग पूरी दिल्ली को पानी की कमी से जूझना पड़ सकता है.

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Delhi Water Crisis: वजीराबाद बराज पर यमुना नदी का जलस्तर अपने निचले स्तर पर रिकॉर्ड किया गया. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP)
Delhi Water Crisis: वजीराबाद बराज पर यमुना नदी का जलस्तर अपने निचले स्तर पर रिकॉर्ड किया गया. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 1965 के बाद 666.80 फीट पर यमुना का जलस्तर
  • लगभग पूरी दिल्ली में हो सकती है पानी की किल्लत

अगले कुछ सालों में कही दिल्ली की यमुना नदी (Yamuna River) प्रयागराज के संगम में लापता सरस्वती नदी (Saraswati River) की तरह गायब न हो जाए. क्योंकि यहां जलस्तर लगातार घटता जा रहा है. पिछले 57 साल में दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है. ऐसा 1965 के बाद हुआ है. जलस्तर नीचे जाने की वजह से दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) को दिल्लीवासियों के लिए पानी की कमी से संबंधित चेतावनी जारी करनी पड़ी. 

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बुधवार यानी 29 जून 2022 को यमुना का जलस्तर अपने निचले स्तर 666.80 फीट पर था. 1965 के बाद यह इतनी नीचे गया है. नदी का यह जलस्तर देखकर दिल्ली जल बोर्ड ने कहा कि उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में गुरुवार यानी 30 जून 2022 को पानी का संकट हो सकता है. इसके अलावा नई दिल्ली और दिल्ली कैंटोनमेंट के कुछ इलाकों में भी पानी सप्लाई बाधित हो सकती है. दिल्ली में पिछले दो महीने से पानी का संकट हो रहा है. पहली बार इस समस्या की शुरुआत अप्रैल में हुई थी. 

अगर हरियाणा ने यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा तो दिल्ली को पानी के भारी संकट का सामना करना पड़ेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
अगर हरियाणा ने यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा तो दिल्ली को पानी के भारी संकट का सामना करना पड़ेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) 

इस महीने की शुरुआत में वज़ीराबाद (Wazirabad) में जलस्तर 667.6 फीट चला गया था. जबकि, सामान्य जलस्तर 674.5 फीट है. वजीराबाद बराज पर यमुना का जलस्तर 667 फीट के चिन्ह से मात्र 0.6 फीट ही ऊपर था. इससे पहले ऐसा डेटा साल 1965 में दर्ज किया गया था. जल बोर्ड के मुताबिक दिल्ली सब ब्रांच और कैरियर लाइन चैनल में पानी की कमी हो रही है. जिसकी वजह से चंद्रवाल और वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी की भारी कमी है. 

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हरियाणा पानी नहीं छोड़ेगा तो दिल्ली को होगी दिक्कत

अगर हरियाणा पर्याप्त मात्रा में यमुना में पानी नहीं छोड़ता है आने वाले दिनों में दिल्ली को पानी के संकट से जूझना पड़ सकता है. सब ब्रांच और कैरियर लाइन चैनल के पॉन्ड का लेवल 666.80 फीट है, जबकि सामान्य स्तर है 674.50 फीट. दिल्ली के जिन इलाकों में पानी का फोर्स कम रहेगा वो हैं- सिविल लाइंस, हिंदू राव हॉस्पिटल के आसपास का इलाका, कमला नगर, शक्ति नगर, करोलबाग, पहाड़गंज, एनडीएमसी के इलाके, पुराना और नया राजेंद्रनगर, ईस्ट और वेस्ट पटेल नगर, बलजीत नगर, प्रेम नगर, इंद्रपुरी, कालकाजी, गोविंदपुरी, तुगलकाबाद, संगम विहार, अंबेडकर नगर, प्रहलादपुर, रामलीला मैदान, दिल्ली गेट, सुभाष पार्क, मॉडल टाउन, गुलाबी बाग, पंजाबी बाग, जहांगीरपुरी, मूलचंद, साउथ एक्सटेंशन, ग्रेटर कैलाश, डिफेंस कॉलोनी, बुरारी और कैंटोनमेंट. 

यमुना नदी में कई स्थानों पर पानी खत्म हो गई है, रेतीली जमीन दलदली सी बची है. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP)
यमुना नदी में कई स्थानों पर पानी खत्म हो गई है, रेतीली जमीन दलदली सी हो गई है. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP)

क्या है दिल्ली में पानी की कमी अन्य वजहें? 

aajtak.in ने 20 जनवरी 2022 'Delhi-NCR: जमीन से निकला जा रहा है बेहिसाब पानी, खोखली हो गई धरती, धंस सकता है 100 वर्ग KM का इलाका' नाम से एक खबर प्रकाशित की थी. जिसमें बताया था कि दिल्ली में किस हिसाब से अंडरग्राउंड पानी निकाला जा रहा है. विज्ञान कहता है कि नदियां और जमीन के नीचे का जलस्तर आपस में एकदूसरे की पूरक होती है. एकदूसरे की कमी को पूरा करती है. अगर इसी तरह जमीन से पानी खींचते रहे तो नदी का पानी और अंडरग्राउंड पानी दोनों ही खत्म हो जाएंगे. दिल्ली एक खोखले जमीन के टुकड़े पर बसी राजधानी बनकर रह जाएगी. 

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क्या थी IIT बॉम्बे और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की स्टडी?

दिल्ली-NCR में जमीन के अंदर से इतना ज्यादा पानी निकाला जा रहा है कि इसके कुछ हिस्से भविष्य में कभी भी धंस सकते हैं. दिल्ली-NCR का करीब 100 वर्ग KM का इलाका धंसने की हाई रिस्क जोन में है. यह स्टडी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के पीएचडी शोधार्थी शगुन गर्ग, IIT Bombay से प्रो. इंदू जया, अमेरिका की साउदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के वामशी कर्णम और जर्मन सेंटर फॉर जियोसाइंसेस के प्रो. महदी मोटाघ ने किया था. शगुन गर्ग ने बताया था कि उनका डेटा अक्टूबर 2014 से लेकर जनवरी 2020 तक का है. शगुन ने बताया कि भूस्खलन मिलिमीटर और सेंटीमीटर में होता है. यह इतना धीमा होता है कि पता नहीं चलता. 

दिल्ली के ये इलाके ज्यादा खतरे में... न पानी मिलेगा, न बचेगी जमीन

दिल्ली-NCR का कापसहेड़ा, महिपालपुर, दिल्ली-गुरुग्राम ओल्ड रोड और फरीदाबाद में स्थिति काफी बुरी है. दिल्ली-NCR में ग्राउंडवाटर तेजी से कम हो रहा है. पानी का स्तर किस लेवल पर कम हो रहा है, इसकी जांच तो भारतीय वैज्ञानिक संस्थाओं को करनी चाहिए. हम तो यह स्टडी करके लोगों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर ऐसे ही जमीन के अंदर से पानी निकालते रहेंगे तो कहीं कोई इलाका धंस कर नीचे चला जाएगा. कहीं कोई इलाका ऊपर बढ़ जाएगा. अगर यह किसी रिहायशी इलाके में हुआ तो इमारतें गिर सकती हैं. सड़कों पर दरारें पड़ सकती हैं.

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